कोर्ट में 2 घंटे तक चली बहस, अब मुकदमें की पोषणीयता पर 30 मई को होगी सुनवाई...

केस की पोषणीयता पर आज जिला जज की अदालत में 2 घंटे तक जिरह हुई. इस दरम्यान सुनवाई पूरी नहीं हो सकी और जज ने आज की कार्रवाई 30 मई तक के लिए स्थगित कर दी.

कोर्ट में 2 घंटे तक चली बहस, अब मुकदमें की पोषणीयता पर 30 मई को होगी सुनवाई...

वाराणसी,भदैनी मिरर।  मां श्रृंगार गौरी व ज्ञानवापी सर्वे के प्रकरण की आज तीसरे दिन गुरुवार को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट में सुनवाई हुई।  सुनवाई के दौरान अंजुमन इंतजामिया कमेटी ने अपने इस प्रार्थना पत्र के साथ लगभग दो घंटे तक दलीलें पेश की। अदालत ने दलीलें सुनने के बाद प्रकरण की सुनवाई के लिए अगली  तारीख 30 मई की दोपहर 2 बजे तय की है। जिसमें मुस्लिम पक्ष फिर अपनी बहस शुरू करेगा।

मुकदमा सुने जाने योग्य नहीं 
सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील अभय नाथ यादव ने अपनी दलीलें पेश करते हुए कहा कि शिवलिंग का अस्तित्व कथित है और अभी तक सिद्ध नहीं हुआ है। अफवाहों के परिणामस्वरूप अशांति होती है। ज्ञानवापी प्रकरण प्लेसेज ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रोविजंस) एक्ट 1991 के तहत कवर्ड है। इसलिए यह मुकदमा सुने जाने योग्य नहीं है। अपने तर्क के समर्थन में मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के कई निर्णयों का हवाला भी दिया। मुस्लिम पक्ष ने दावा किया कि वादी को मस्जिद पर दावा करने का कोई अधिकार नहीं है।

जारी रहेंगी दलीलें

हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि हमारी याचिका के 12 पैराग्राफ तक को उन्होंने पढ़ा है। अभी उनकी दलीलें जारी रहेंगी। हमने अपनी आपत्ति अदालत में दाखिल कर दी है। उनकी दलीलें जब खत्म हो जाएंगी तो हम अपना बहस शुरू करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया था यह आदेश

मां श्रृंगार गौरी से संबंधित मुकदमा पांच महिलाओं ने सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट में 18 अगस्त, 2021 को दाखिल किया था। सुनवाई के क्रम में प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने जनवरी महीने में कोर्ट में प्लेसेज ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रॉविजंस) एक्ट, 1991 का हवाला देते हुए कहा था कि यह मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है। कमेटी के अनुसार, उनकी अपील को खारिज कर सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट ने एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का आदेश दे दिया था। मसाजिद कमेटी ने सर्वे आदेश के खिलाफ बीते 13 मई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 20 मई को आदेश दिया कि मसाजिद कमेटी द्वारा ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत दिए गए प्रार्थना पत्र पर जिला जज सुनवाई करें कि मुकदमा सुनने योग्य है या नहीं है।

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सपा अध्यक्ष समेत 200 पर मुकदमें की मांग

फौजदारी के अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित 7 नामजद और 200 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की मांग कोर्ट से की थी। उनका कहना है कि ज्ञानवापी प्रकरण पर नेताओं ने अनावश्यक बयान देकर लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है। साथ ही, मस्जिद में शिवलिंग मिलने की बावजूद वहां लोगों ने हाथ-मुंह धोया और कुल्ला किया। इससे भगवान शिव के भक्तों को अपार कष्ट हुआ है। ACJM पंचम उज्ज्वल उपाध्याय की कोर्ट ने प्रकीर्ण वाद दर्ज करने का आदेश देकर सुनवाई के लिए 26 मई की तारीख नियत की थी। हरिशंकर पांडेय ने साक्ष्य पेश करने के लिए समय मांगा। इस पर अदालत ने सुनवाई के लिए 2 मई की डेट तय की है।

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने जिला जज की कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया है। उनका कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद में आदि विश्वेश्वर का शिवलिंग मिला है। अकबर के शासनकाल के समय से उनके पूर्वज बाबा विश्वनाथ की पूजा करते चले आ रहे हैं। इसलिए ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग की नियमित पूजा, स्नान, शृंगार और भोग-राग का अधिकार उन्हें दिया जाए।

ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने की मछलियों को अन्यत्र शिफ्ट करने व नमाजियों के टॉयलेट आदि की व्यवस्था की DGC की मांग के साथ ही वादी महिलाओं द्वारा वजूखाने में मिले शिवलिंग के नीचे की जगह को तोड़ कर एडवोकेट कमिश्नर के सर्वे के अनुरोध पर भी अदालत अपना आदेश सुना सकती है।