साइंस ऑनलाइन नहीं सीखा जा सकता, एल-वन कोचिंग के डायरेक्टर बोले-आर्थिक रुप से कमजोर बच्चों का स्वागत...

वाराणसी के दुर्गाकुंड स्थित एल-1 कोचिंग के छात्रों ने जेईई मेन्स फाइनल के परिणाम में इतिहास रचा है.

वाराणसी। वाराणसी के दुर्गाकुंड स्थित एल-1 कोचिंग के छात्रों ने जेईई मेन्स फाइनल के परिणाम में इतिहास रचा है. कोचिंग की प्रतीक्षा नाम की लड़की ने 340वाँ रैंक हासिल किया है. जिस पर कोचिंग के डायरेक्टर इंजीनियर बृजेश सिंह ने भदैनी मिरर से वार्ता करते हुए कहा कि पूरे देश के रिजल्ट की बात करें तो लड़कियां का सलेक्शन सबसे ज्यादा होगा. लड़कियां तेजी से आगे बढ़ रही है. इस बात की खुशी है.

आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों का स्वागत

एल-वन कोचिंग के निदेशक बृजेश सिंह ने बताया कि आर्थिक रूप से कमजोर होनहार बच्चों के लिए एल-वन कोचिंगन सुपर-40 नाम से परीक्षा लेती है, उसमें क्वालीफाई बच्चों को रहने, खाने से लेकर कोचिंग और स्टडी मटेरियल तक सब कुछ फ्री है. उसका कारण यह है कि सभी तबके में सबकी अपनी शिकायतें होती है. खासकर गरीब तबके के बच्चों को शिकायत होती है कि उन्हें अच्छी कोचिंग नहीं मिल पाती या बड़े शहरों में रहने को मिल पाता.

साइंस ऑनलाइन नहीं सीखा जा सकता

बृजेश सिंह ने कहा कि गरीब बच्चों को जब फैसिलिटी नहीं मिल पाती तो वह ऑनलाइन या बेसिक किताबों से अच्छा करने की कोशिश करते है. वह जोर देते हुए कहते है कि कभी भी साइंस ऑनलाइन नहीं सीखा जा सकता. किताबों से खुद ही सब कर लेते तो शिक्षण संस्थाओं में फिर क्यों आते? हर क्षेत्र की हजारों किताबें ऑनलाइन उपलब्ध है. उन बच्चों को मौका देना चाहिए बेहतर करने की. उन्होंने कहा कि फिजिकल क्लासरूम में पढ़ाई करना और ऑनलाइन में बहुत अंतर है. क्लासरूम में किसी टॉपिक पर डिस्कस का होना, किसी लॉ पर आर-पार की लड़ाई का होना. इससे माइंड में जो इंप्रेशन बनता है वह लाइफ लॉन्ग होता है. इसलिए उन बच्चों को हम सुपर 40 में लेते है ताकि उन्हें कोई शिकायत न रह जाए.