#Editorial: जहरीली शराब का तांडव

शराब वैसे भी स्वास्थ्य के लिए घातक है। लोगों को इसका इस्तेमाल सोच समझकर करना चाहिए। मगर मुनाफे के लोभ में दोयम दर्जे की शराब परोसी जाती है, जो जहरीली बनकर लोगों की जान लेती है। आबकारी विभाग ऐसी घटनाओं को रोक पाने में हमेशा असफल रहा है। पूर्व की घटनाओं से प्रशासन कोई सबक नहीं लेता, हर बार निलंबन के बाद जिम्मेदारियों की इतिश्री कर ली जाती है।

#Editorial: जहरीली शराब का तांडव

सूबे में एक बार फिर जहरीली शराब ने तांडव मचा दिया है। अलीगढ़ में जिस तरह जहरीली शराब से लोगों की मौतें हुई है उसने एक बार फिर प्रशासन के क्रियाकलाप को कटघरे में खड़ा कर दिया है। प्रदेश में मादक पदार्थ के क्रय-विक्रय के साथ ही अवैध निर्माण पर रोक के लिए पूरा आबकारी विभाग अब तक असफल रहा है। जब कभी ऐसी घटनाएं प्रकाश में आती है तो विभाग से कुछ अफसरों का निलंबन कर जिम्मेदारी से इतिश्री कर ली जाती है। चूंकि घटना अभी ताजी है तो प्रदेश के अफसर एकदम से एक्शन मोड़ में आ जाएंगे। शराब भट्ठियों की धरपकड़ और छापेमारी कर कुछ आरोपी गिरफ्तार किए जाएंगे उसके बाद हर बार की तरह इस बार भी मामलें के शांत होने के बाद जांच और कार्रवाई ठंडे बस्ते में डाल दी जाएगी। बीतते समय के साथ अवैध शराब का कारोबार फिर जस का तस शुरु हो जायेगा।


उल्लेखनीय है कि जहरीली शराब से मरने वाले कोई अमीर नहीं बल्कि गांव के मजदूर होते है। यह सस्ती शराब के चक्कर में गावों में ही धधकती भट्ठियों में बनने वाले मानक के विपरीत शराब का सेवन कर अपनी जान जोखिम में डाल लेते है, जिसका फायदा शराब माफिया उठाते है। कई बार इस काले धंधे में नेता-अफसर-माफिया गठजोड़ उजागर हो चुका है। पानी के इस धंधे में पानी की तरह बहते पैसे जांच की आंच को असली गुनहगारों तक पहुंचने नहीं देती और हर बार गरीबों को मरने के लिए छोड़ दिया जाता है।

सच मायने में होना तो यह चाहिए था कि प्रत्येक वर्ष औसतन प्रदेश में होने वाली सैकड़ो मौतों को रोकने का प्रयास किया जाए। पिछले दिनों सहारनपुर, कुशीनगर, मेरठ, प्रयागराज, लखनऊ, कानपुर और बाराबंकी जैसे लगभग दर्जनों जनपदों में हुई जहरीली शराब के सेवन से मौत की घटनाओं से सबक लेते हुए तंत्र को मजबूत बनाये और इस धंधे को रोके। उम्मीद की जानी चाहिए कि अलीगढ़ में आंकड़ा भयावह है और सरकार आबकारी विभाग से मिल रहे राजस्व के मुनाफे को दरकिनार कर गरीबों के जीवन की रक्षा करें।

अवनिन्द्र कुमार सिंह
संपादक, भदैनी मिरर