Hello, मैं CBI से बोल रहा हूं...एक कॉल और हो जाएंगे 'डिजिटल अरेस्ट', जानें क्या है यह नया Scam

क्या आपको पता है कि ये डिजिटल हाउस अरेस्ट क्या है, कैसे लोग इसके जाल में फंस रहे है? इसके बारे में जानने के लिए भदैनी मिरर की टीम वाराणसी के साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आईआईटियन मृत्युंजय सिंह के पास पहुंची, जिन्होंने बताया कि कैसे लोग डिजिटल हाउस अरेस्ट के जरिए आजकल ठगी का शिकार हो रहे और कैसे इससे आप खुद को बचा सकते है

Digital House Scam : स्कैमर्स आए दिन लोगों को ठगने के लिए नए-नए हथकंडे अपनाते रहे हैं. अब इन दिनों साइबर क्रिमिनल्स ने लोगों को ठगी का शिकार बनाने के लिए डिजिटल हाउस अरेस्ट का नया तरीका ढूंढ निकाला है, जिसके जरिए लोगों से पैसे लूट रहे है. पिछले कुछ महीनों में इस स्कैम के जरिए होने वाले फ्रॉड के कई मामले भी सामने आ चुके हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि ये डिजिटल हाउस अरेस्ट क्या है, कैसे लोग इसके जाल में फंस रहे है? इसके बारे में जानने के लिए भदैनी मिरर की टीम वाराणसी के साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आईआईटियन मृत्युंजय सिंह के पास पहुंची, जिन्होंने बताया कि कैसे लोग डिजिटल हाउस अरेस्ट के जरिए आजकल ठगी का शिकार हो रहे और कैसे इससे आप खुद को बचा सकते है. 

पेश है बातचीत के मुख्य अंश :


जानें क्या है 'डिजिटल हाउस अरेस्ट' और इससे कैसे बचे

भदैनी मिरर की टीम से बातचीत के दौरान साइबर विशेषज्ञ मृत्युंजय सिंह ने बताया कि आजकल एक नया साइबर फ्रॉड चलन में है, जिसे "डिजिटल हाउस अरेस्ट" कहा जा रहा है. इस स्कैम में ठग पीड़ितों को फोन करते हैं और उन्हें किसी सरकारी एजेंसी जैसे ईडी या सीबीआई से होने का दावा करते हुए कहते हैं कि वे अपने लैपटॉप या मोबाइल का कैमरा चालू करें और कमरे में खुद को बंद कर लें. स्कैमर वीडियो कॉल पर होने का दावा करते हैं और कहते हैं कि इस बारे में किसी से भी बात न करें, जब तक स्कैमर निर्देश न दें, तब तक कहीं न जाने के निर्देश दिए जाते हैं. इस दौरान स्कैमर पीड़ितों के बैंक खातों से पैसे ट्रांसफर कर लेते हैं, यह दावा करते हुए कि पीड़ित के खाते में गए पैसे अवैध हैं और जांच के बाद उन्हें 48 घंटे में वापस कर दिए जाएंगे। पीड़ितों को लगता है कि पैसा वापस मिल जाएगा और वे ट्रांसफर कर देते हैं.

हाल ही में हुए एक साइबर स्कैम का जिक्र करते हुए सिंह ने बताया कि एक महिला ने बैंक से पैसे निकालकर स्कैमर्स के खाते में ट्रांसफर कर दिए थे और कुछ दिन बाद उसे पता चला कि उसके साथ धोखा हुआ है. 

मृत्युंजय ने "न्यूड वीडियो कॉल" स्कैम का भी जिक्र किया, जिसमें अधिकांश पीड़ित शर्म के कारण केस दर्ज नहीं कराते हैं. उनके अनुसार, 100 मामलों में से केवल पांच मामलों में एफआईआर दर्ज होती है, जबकि बाकी मामलों में लोग रिपोर्ट दर्ज ही नहीं कराते.

ट्रेडिंग स्कैम्स का बढ़ता प्रचलन

मृत्युंजय सिंह ने बताया कि सबसे ज्यादा धोखाधड़ी के मामले ट्रेडिंग स्कैम से जुड़े हुए हैं, जिसमें पीड़ित को किसी फर्जी कंपनी से फोन आता है और एक क्लोन ऐप इंस्टॉल करने के लिए कहा जाता है. लोग इसमें पैसा लगाते हैं और बाद में फंस जाते हैं.

आने वाले समय में ओटीपी बायपास स्कैम का खतरा

सिंह ने यह भी चेताया कि भविष्य में ओटीपी बायपास करके लोगों को ठगने का एक नया स्कैम सामने आएगा. इस स्कैम में लोगों को न तो कोई कॉल आएगी और न ही कोई एसएमएस फॉरवर्ड होगा, लेकिन उनके बैंक खाते से पैसे निकल जाएंगे. इससे बचने का तरीका यह है कि बैंक को तुरंत सूचित करें और अपने अंतरराष्ट्रीय ट्रांजैक्शन को बंद कर दें, जिससे बिना ओटीपी के पैसे निकाले नहीं जा सकें.

साइबर फ्रॉड से बचाव के उपाय

मृत्युंजय सिंह ने सलाह दी कि साइबर फ्रॉड से बचने के लिए जागरूकता सबसे महत्वपूर्ण है. किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें, अनजान वेबसाइटों पर अपने डेबिट कार्ड का उपयोग न करें और यदि कोई आपको पैसे ट्रांसफर करने का अनुरोध करता है तो पहले यह सुनिश्चित करें कि वह लीगल है या नहीं. उन्होंने बताय कि कोई भी बैंक कभी सीधे फोन कॉल करके आपकी निजी जानकारी नहीं मांगती.

उन्होंने आगे कहा कि यदि कभी किसी साइबर फ्रॉड में आप फंस गए है, तो तुरंत अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स और अन्य डिजिटल प्रोफाइल को ब्लॉक करें. जागरूकता और सतर्कता के जरिए 50-60% साइबर फ्रॉड के मामलों को रोका जा सकता है.