सरोजनी नायडू जयंती विशेष: राजनीतिक सक्रियता और अपने कविताओं से समाज को दी नई दिशा...

सरोजनी नायडू जयंती विशेष: राजनीतिक सक्रियता और अपने कविताओं से समाज को दी नई दिशा...

जब हम भारत की स्वतंत्रता सेनानी की बात करते हैं, ऐसे बहुत ही कम नाम है जिनको याद किया जाता है। महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू और भगत सिंह जैसे कई और नाम भी है, जिन्हें याद किया जाना चाहिए। हो सकता है उन पर कोई फिल्म ना बनी हो पर भारत को स्वतंत्र बनाने में उनका योगदान महत्त्वपूर्ण है। उनमें एक नाम है सरोजिनी नायडू का भी। अत्यंत मधुर स्वर में अपनी कविताओं का पाठ करने के कारण सरोजिनी नायडू को 'भारत कोकिला' कहा जाता था। सरोजनी जी पहली महिला थी जो इंडियन नेशनल कांग्रेस की अध्यक्ष और किसी प्रदेश की गवर्नर बनी थी। सरोजनी जी बच्चों के उपर विशेष रूप से कविता लिखा करती थी, उनकी हर कविता में एक चुलबुलापन होता था, ऐसा लगता था उनके अंदर का बच्चा अभी भी जीवित है। यही वजह है कि उन्हें भारत की बुलबुल कहा जाता था। भारत की महान सफल महिलाओं की लिस्ट में सरोजनी नायडू का नाम सबसे उपर आता है। सरोजनी जी ने समाज के उत्थान के लिए कई ऐसे कार्य किए जिससे वह बहुमूल्य हीरे से कम न थी।  सरोजनी जी हम सब भारतीयों के लिए एक सम्मान का प्रतीक है, भारतीय महिलाओं के लिए वे एक आदर्श है, उनके जन्म दिन को महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है।


 'भारत कोकिला' के नाम से विख्यात भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की अप्रतिम योद्धा स्वर्गीय सरोजनी नायडू अपनी सांगठनिक क्षमता, ओजपूर्ण वाणी और देश की आज़ादी के लिए अपने प्रयासों की वज़ह से अपने दौर की सर्वाधिक लोकप्रिय महिला रही है। श्रीमती एनी बेसेंट की मित्र और महात्मा गांधी की इस प्रिय शिष्या ने अपना सारा जीवन देश के लिए अर्पण कर दिया था। सरोजिनी नायडू एक मशहूर कवयित्री, स्वतंत्रता सेनानी और अपने दौर की महान वक्ता भी थीं। सरोजिनी नायडू का जन्म भारत के हैदराबाद 13 फरवरी 1879 में हुआ था। सरोजिनी अपनी कविताओं में टूटे सपनों, शक्ति, आशा, जीवन और मृत्यु, गौरव, सौंदर्य, प्रेम, अतीत और भविष्य के बारे में बात करती थी। वह अपनी कविताओं में इतने सारे भावनाओं को व्यक्त करती जिसे पढ़कर कोई भी मुग्ध हो जाये। कहा जाता है कि उनकी कविताओं के शब्द ऐसे थे जिसे गाया भी जा सकता था और इसी वजह से उन्हें "भारत कोकिला" के नाम से नवाज़ा गया।


 एक कुशल सेनापति की भाँति उन्होंने अपनी प्रतिभा का परिचय हर क्षेत्र में दिया। उन्होंने अनेक राष्ट्रीय आंदोलनों का नेतृत्व किया और जेल भी गयीं। संकटों से न घबराते हुए वे एक धीर वीरांगना की भाँति गाँव-गाँव घूमकर ये देश-प्रेम का अलख जगाती रहीं और देशवासियों को उनके कर्तव्य की याद दिलाती रहीं। उनके वक्तव्य जनता के हृदय को झकझोर देते थे और देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए प्रेरित कर देते थे। वे बहुभाषाविद थी और क्षेत्रानुसार अपना भाषण अंग्रेजी, हिंदी, बंगला या गुजराती में देती थीं। लंदन की सभा में अंग्रेजी में बोलकर इन्होंने वहाँ उपस्थित सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया था।


ऐसी बहुत ही कम महिलाएं हैं जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सबसे आगे रही, इसके मुख्य कारण थे शिक्षा की कमी और महिलाओं पर लगायी समाजिक प्रतिबन्ध। भारत को आज़ादी दिलवाने के लिए भारत के प्रयासों और बाद में भारत के विकास के लिए उनके काम एक मिसाल हैं। एक महिला और एक नेता होने के नाते उन्होंने यह साबित कर दिया की प्रतिभा और समर्पण से कुछ भी मुमकिन हो सकता है। 1947 में देश की आजादी के बाद सरोजनी जी को उत्तर प्रदेश का गवर्नर बनाया गया, वे पहली महिला गवर्नर थी। 2 मार्च 1949 को ऑफिस में काम करते हुए उन्हें हार्टअटैक आया और वे चल बसी। सरोजनी जी भारत देश की सभी औरतों के लिए आदर्श का प्रतीक है, वे एक सशक्त महिला थी, जिनसे हमें प्रेरणा मिलती है।


गोपाल कृष्ण पटेल

दीनदयाल कॉलोनी, जांजगीर छत्तीसगढ़

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