कुछ ऐसा था अटल जी का काशी से नाता, यहीं से की थी पत्रकारिता की शुरुआत, बनारसी खानपान के थे शौकीन

भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का काशी से गहरा नाता था, उन्हें काशी नगरी काफी भाती थी. आज उनकी छठवीं पुण्यतिथि पर हम आपको उनकी काशी से जुड़ी स्मृतियों और कुछ अनुसने किस्से से रूबरू कराएंगे. Atal ji had a deep connection with Kashi. He started journalism from here, he was fond of Banarasi food.

कुछ ऐसा था अटल जी का काशी से नाता, यहीं से की थी पत्रकारिता की शुरुआत, बनारसी खानपान के थे शौकीन

6th Death Anniversary Of Atal Bihari Vajpayee : स्वतंत्रता दिवस के एक दिन बाद 16 अगस्त 2018 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था. अटल जी की वाक्पटुता, फैसले लेने की क्षमता और राजनीतिक शुचिता की तारीफ करने से विरोधी भी नहीं चूकते थे. भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का काशी से गहरा नाता था, उन्हें काशी नगरी काफी भाती थी. आज उनकी छठवीं पुण्यतिथि पर हम आपको उनकी काशी से जुड़ी स्मृतियों और कुछ अनुसने किस्से से रूबरू कराएंगे.

काशी के कण-कण से रहा अटल जी का वास्ता 

भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का काशी के कण-कण से नाता रहा. उनकी काशी से जुड़ी बातें और स्मृतियां समय-समय पर प्रकाशित की जाती रहती हैं. यहां की प्रसिद्ध मिठाइयों समेत खानपान उनकों काफी पंसद थे. उन्होंने काशी से पत्रकारिता शुरू की थी, लंबे समय तक राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन जैसी पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया था. यह कहना है प्रख्यात साहित्यकार और संपादक स्वर्गीय मोहन लाल गुप्ता भइया जी बनारसी के प्रपौत्र राजेश गुप्ता का.

पत्रकारिता जीवन की शुरुआत वाराणसी से की थी

आज भी भइया जी बनारसी के प्रपौत्र राजेश गुप्ता अपने पितामह और अटल जी के संस्मरणों को याद करते हैं. उन्होंने बताया कि भइया जी बनारसी अंग्रेजी हुकूमत के दौरान वाराणसी के सबसे प्रतिष्ठित अखबार ‘आज’ के साहित्य संपादक थे. 1942 में भइया जी ने ‘समाचार’ अखबार का प्रकाशन किया था. अटल जी का वाराणसी से बहुत ही गहरा नाता रहा. उन्होंने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत वाराणसी से की थी. उस जमाने में बनारस से ‘समाचार’ अखबार निकलता था. आधे पैसे की कीमत वाले उस अखबार में तब अटल बिहारी वाजपेयी, नाना जी देशमुख और बाला साहब देवरस जैसे लोग लिखा करते थे. अटल जी ‘समाचार’ अखबार के लिए लेख, यात्रा संस्मरण और रिपोर्ट लिखा करते थे. बाद में अटल बिहारी वाजपेयी ने वीर अर्जुन और पांचजन्य का संपादन भी किया था.

‘आज’ अखबार में 50 साल तक दी थी सेवाएं 

राजेश गुप्ता के मुताबिक उनके पितामह भइया जी बनारसी ने ‘आज’ अखबार में 50 साल तक सेवाएं दी और हिंदी पत्रकारिता के मार्ग का उन्नयन किया. उनके सानिंध्य में रहकर अटल जी ने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत की थी. इस बात की पुष्टि तब हुई जब उनकी वाराणसी संस्कृत विश्वविद्यालय में सभा हो रही थी, उसमें हमलोग भी मित्रों के साथ गए थे. वहां अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि काशी मेरे लिए नई नहीं है. शिव की नगरी काशी से मैंने (अटल जी) पत्रकारिता के गुण सीखे हैं.

नानाजी देशमुख, अटल जी, सभी मिलकर साहित्य सृजन करते थे. स्वतंत्रता आंदोलन में भी इन सभी की लेखनी ने लोगों के अंदर आजादी को लेकर जबरदस्त उत्साह पैदा किया था. एक तरह से कहा जा सकता है कि अटल बिहारी वाजपेयी का जो काशी से नाता था, वो बिल्कुल घर जैसा था. इस लिहाज से भी बनारस के लोग वाजपेयी जी को बनारस का मानते हैं. भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सारे लेख जो ‘आज’ अखबार में आते थे, उसमें सबसे प्रमुख रूप से सिंहावलोकन होता था.

काशी से वाजपेयी जी का जीवनभर का था गहरा लगाव

राजेश गुप्ता के मुताबिक सिंहावलोकन में अटल जी के लेख होते थे. परिशिष्ट में वाजपेयी जी के लेख देश की सुरक्षा, हालात, राजनीतिक मुद्दों पर होते थे. सभी लेख भइया जी बनारसी छापते थे. दोनों लोगों के साथ ने हिंदी साहित्य को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई थी. मुझे याद है कि हमारे चाचा और बुआ को डिप्थीरिया हो गया था. उस वक्त डिप्थीरिया एक लाइलाज बीमारी थी. इस बीमारी के लिए एक इंजेक्शन आती थी. हमारे दादाजी कभी किसी से सिफारिश नहीं की थी. मगर, उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी जी को खास संदेश भिजवाया. वो उस वक्त विदेश मंत्री हुआ करते थे.