प्रियंका गांधी का यूपी चुनाव में सक्रियता एक चुनौती

प्रियंका गांधी का यूपी चुनाव में सक्रियता एक चुनौती

यूपी का सियासी तापमान अब गरमाने लगा है। सीएम योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर जहां एक ओर बीजेपी चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है वही कांग्रेस महासचिव व यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी की सक्रियता से अन्य राजनैतिक पार्टियों में हलचल है। पिछले दो दिनों के उनके लखनऊ दौरे ने न केवल कार्यकर्ताओं में जोश फूंका बल्कि यूपी की सियासी गलियारों में हलचल बढ़ा दी है। उन्होंने साफ किया कि वह योगी सरकार पर शब्दबाण चलाने के एक भी मौके नहीं छोड़ेंगी। योगी सरकार में ध्वस्त कानून-व्यवस्था का आरोप लगाकर वह जिस तरह जमीन पर मौन धरने पर बैठी और उन्हें कोरोना का हवाला देकर हटाने पहुंचे पुलिसकर्मियों को 'पंचायत चुनाव में कहा था कोरोना' कहकर जबाब दी, उसने सच मायने में सबकी घिग्घी बंद कर दी। इतना ही नहीं लखीमपुर में पंचायत चुनाव के दौरान अभद्रता की शिकार महिला प्रत्याशी से उनका मिलना भी बड़ा संदेश दिया, उन्होंने साफ किया कि वह नारी अस्मिता के मुद्दे पर दलगत नहीं बल्कि दिल की राजनीति करना चाहती है।
उल्लेखनीय है कि विपक्ष इस बार कोरोना संक्रमणकाल में जनता को हुई समस्या को मुद्दा बनाने वाला है। यूपी में कमजोर हो चुके संगठन को मजबूत करने का जिम्मा जिस तरह प्रियंका गांधी ने उठाया है और यूपी की हर छोटी घटनाओं पर उनकी प्रतिक्रियाएं आ रही है उससे पार्टी नेताओं को बल मिल रहा है। इसमें दो राय नहीं की गांधी परिवार की ओर  ब्राम्हण कुनबा हमेशा से झुकाव रखता है। प्रियंका गांधी को सक्रिय होने से उन्हें मंच मिल रहा है, यह इसलिए कि समाजवादी पार्टी ब्राम्हणों में अब तक पैठ नहीं बना पाई है, वही बीएसपी चाहे जितने जतन कर लें  अब ब्राम्हण उसके साथ जाते नजर नहीं आ रहे है। यदि प्रियंका कांग्रेस के पुराने ब्राम्हण कुनबे को मना पाने में सफल होती है तो उन्हें मुस्लिम वोट का भी फायदा होगा। 
गौरतलब है कि भाजपा और सपा भी वोट बैंक फिक्स करने की कवायद शुरु कर दी है। योगी सरकार सभी जातियों से बड़े चेहरे को तबज्जो दे रही। वही अखिलेश यादव भी बुनकर और यादव वोट बैंक को मजबूत कर रहे है। इन सबके बीच प्रियंका गांधी का आमजन से सीधा संवाद उनकी लोकप्रियता को तो बढ़ा ही रहा है, राजनैतिक पंडित बताते है कि उनकी शैली और वाकपटुता इंदिरा गांधी की याद दिलाने लगा है। उनकी तरह ही जिनसे प्रियंका मिल रही है वह अपनी बहन, दोस्त और बेटी मान रहा है। प्रियंका गांधी की यही सक्रियता रही तो यह तय है की भाजपा और सपा के लिए प्रियंका गांधी चुनौती बनकर उभरेंगी।