आपराधिक घटनाओं के खुलासे में वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस के संकटमोचक 'अंजनी'
सतीश गणेश का नाम जैसे ही कमिश्नरेट में आया न केवल पुलिस विभाग बल्कि जनपद में अपराधिक गतिविधियों से पैसे कमाने वाले अंडरग्राउंड हो गए थे. कुछ बचे तो उन पर सतीश गणेश का चाबुक चला.
अवनिन्द्र कुमार सिंह
वाराणसी, भदैनी मिरर। वाराणसी जनपद में कमिश्नरेट लागू होने के बाद शासन के मंशा के अनुरूप क्राइम कंट्रोल करना एक चुनौती थी. वाराणसी को तेजतर्रार आईपीएस सतीश गणेश के रुप में पहला पुलिस कमिश्नर ऐसा मिला जिसके समाने पब्लिक रिलेशनशिप (PR) के मामले में कोई तोड़ न था. सतीश गणेश का नाम जैसे ही कमिश्नरेट में आया न केवल पुलिस विभाग बल्कि जनपद में अपराधिक गतिविधियों से पैसे कमाने वाले अंडरग्राउंड हो गए थे. कुछ बचे तो उन पर सतीश गणेश का चाबुक चला.
क्राइम कंट्रोल के असली हीरो
पुराने थानेदार या दरोगाओं को छोड़ दें तो वर्ष 2015 से अब तक के बैच के ज्यादातर दरोगाओं में पुलिस पब्लिक रिलेशनशिप का भरपूर आभाव दिखता है. न उनका कोई मुखबिर है और न ही क्षेत्र में उनकी ऐसी बैठकी जहां से वह अपराधियों पर चोट कर सके. बदलते दौर में ज्यादातर क्राइम अब सर्विलांस और सीसीटीवी फुटेज के सहारे खुलने लगा. ऐसे में सतीश गणेश के कार्यकाल के दौरान ही प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हजरतगंज समेत कई थानों की कमान संभाल चुके इंस्पेक्टर अंजनी पांडेय ट्रांसफर होकर वाराणसी पहुंचे और उनकी कार्य दक्षता को देखते हुए सर्विलांस सेल का प्रभारी बना दिया गया. सच मायने में पुलिसिंग कैसे की जानी चाहिए उनसे सीखा जाना चाहिए. न सोशल मीडिया पर रील बनाकर जनता के बीच चुलबुल पांडेय बनने का शौक और न ही तरह-तरह की तस्वीरें पोस्ट कर खुद को सिंघम बताने की होड़. अंजनी पांडेय वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस के सच मायने में असली हीरो है. पुलिस विभाग के असली संकटमोचक है.
बैक से कई मामलों का किया खुलासा
लाइमलाइट और प्रचार प्रसार से दूर रहने वाले वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस के सर्विलांस सेल प्रभारी अंजनी कुमार पांडेय अपनी टीम के साथ अपराधियों के काल बने हुए है. अब तक दर्जनों हाई प्रोफाइल और ब्लाइंड केसों के खुलासे में इनका अहम योगदान रहा है. दरअसल पर्दे के पीछे रहकर फ्रंट की टीमों को निर्देशित करने वाले अंजनी पांडेय साइबर क्राइम फील्ड में जबरदस्त पकड़ रखते है और यही वजह है की वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस को जल्दी किसी मामले में विफलता नहीं मिलती. चाहे मलदहिया का 2 करोड़ की ठगी कांड हो या नरिया पर मां-बेटी की हत्या का ब्लाइंड मर्डर केस. नीट पेपर लीक मामला हो, या फिर ईरानी गैंग को दूसरे राज्यों से दबोच जाने का प्रकरण. हर मामले में अंजनी पांडेय ने बाजी जीती. झारखंड और राजस्थान में तेजी से फैल रहे बच्चा चोरी कर बेचने वाले गैंग पर हुए कमिश्नरेट पुलिस के प्रहार के भी असली निर्देशक अंजनी पांडेय ही है और अभी इस बच्चा चोर गिरोह के नेटवर्क को पूरी तरह से नेस्तनाबुद करने में अहम योगदान निभाया.