#व्यंग्य : बेंत से डर नहीं लगता साहेब, आपकी गाड़ी पलटने से लगता है...

एक समय था जब यूपी पुलिस फर्द में लिखती थी कि बदमाशों ने पुलिस पार्टी पर फायरिंग शुरू कर दी। आत्मरक्षार्थ गोलियां चलाई गई तो एक बदमाश को गोली लग गई। अंधेरे का लाभ उठाकर उसका दूसरा साथी फरार हो गया, जिसकी तलाश जारी है। मगर अब कहानी कुछ और ही हो चली है। अब जेल बदमाशों की नर्सरी नहीं बल्कि छुपने की जगह है, वो भी अगर पड़ोसी राज्य की जेल हो तो बेहतर। हालांकि ये यूपी वाले वहां भी चैन की सांस लेने नहीं दे रहे। पहले जेल से अपराध के नेटवर्क चलाए जाते थे मगर अब जेल में रामनाम लिया जा रहा है कि न जाने कब पेशी पर चलने का आदेश हो जाए और रास्ते में गाड़ी पलट जाए...। अपराधी अब कह रहा है कि ‘बेंत से डर नहीं लगता साहेब, आपकी गाड़ी पलटने से लगता है’!!!

#व्यंग्य : बेंत से डर नहीं लगता साहेब, आपकी गाड़ी पलटने से लगता है...
यमलोक में आजकल एक अजीब सी बेचैनी तारी है, चिंताओं ने वहां के सामान्य कलेक्शन एजेंट (यमदूत) से लेकर सीईओ यानी यमराज तक को घेर रखा है। ये बेचैनी है महाराज चित्रगुप्त का सिरदर्द। वर्कलोड कुछ ऐसा आन पड़ा है कि गुप्त जी सिरदर्द, बीपी, कब्ज से लेकर तनाव, अनिद्रा और बेचैनी जैसी तमाम समस्याओं से ग्रस्त हो चले हैं। यमराज ने स्वर्ग से दो पार्टटाइम अप्सराओं को सम्मन कर चित्रगुप्त को नवरत्न तेल की चंपी करने का फुलटाइम असाइनमेंट थमा दिया है। हालांकि इससे भी आराम नहीं है, गुप्त जी की कराहें और राम-राम अक्सर उनके कार्यालय से बाहर तक आती रहती हैं...!
यमराज चित्रगुप्त जी के पास पहुंचे और उनकी परेशानियों का कारण पूछा तो जवाब मिला वर्कलोड...! यमराज ने कहा कि कोरोना काल में थोड़ा वर्कलोड तो सभी पर बढ़ा है। उन्होंने चित्रगुप्त को समझाने की चेष्टा की कि ‘‘तुम्हारा तो डेस्क जॉब है, सोचो बेचारे यमदूतों की जिनका फील्ड जॉब है और उन्हें दुनिया के कोने-कोने में कोरोना के चक्कर में जाना पड़ रहा है। कई बार तो दिन में धरती के डेढ़ डेढ़ सौ चककर लगाने पड़ जा रहे हैं। एक दिन तो खुद मेरे भैंसे का इंजन गरम हो गया और रास्ते में ही उसने दो भैंसों को पिछिया लिया।
 
लोकलाज का डर भय दिखाकर जैसे तैसे मैने उसे रोका और मनाया।’’ चित्रगुप्त चुप हो गए। एक शब्द न बोले क्योंकि मंदी के समय नौकरी जाने का डर उन्हें भी था। होलिका दहन से कोई दो दिन पहले यमराज ने चित्रगुप्त को घुमाने की योजना बनाई। और आप तो जानते ही हैं कि कोई भी सीईओ जब अपने किसी इम्प्लाई को उपहार स्वरूप छुट्टी या घूमने का कोई पैकेज देता है तो उसमें सिर्फ छुट्टी नहीं बल्कि अगला असाइनमेंट भी होता है। यमराज की प्लानिंग थी कि चित्रगुप्त की समस्याओं का धरती पर घूमते हुए समाधान किया जाएगा। साथ ही भेस बदल कर उन्हें सच से रूबरू भी कराया जाएगा। उनके आदेश पर चित्रगुप्त ने ऑनलाइन लीव एप्लीकेशन डाल दिया जिसे यमराज ने वहीं बैठे-बैठे अपने लेटेस्ट आईफोन से अप्रूव भी कर दिया।
दोनों यमलोक से अंतरध्यान हुए और पृथ्वी पर किसी जगह प्रकट हो गए। देखा तो यह पंजाब का मोहाली था और सामने मोहाली की जेल का दरवाजा था। अब जेल में दो ही लोगों को प्रवेश मिल सकता है, अफसर या अपराधी। यमराज ने ग्रास रूट लेवल सर्वे के लिए अपराधी का भेस धरना सही समझा। चित्रगुप्त समेत उन्होंने दो इनामियों का चेहरा बनाया और जेल में दाखिल हो गए। घूमते-घूमते देखा कि एक सेल के बाहर काफी सुरक्षा है, भीतर झक सफेद पठानी कुर्ता पायजामा पहने एक शख्स ऊंचे आसन पर बैठा और उसके सामने खुर्राट चेहरों वाले कई लोग पालथी मारे बैठे हुए हैं। यमराज पहले थोड़ा कन्फ्यूज हुए कि यहां कोई सत्संग चल रहा है मगर जल्द ही समझ गए कि यह कोई सत्संग नहीं। सभी के चेहरे उतरे हुए थे। यमराज और चित्रगुप्त उस भीड़ में शामिल होकर चेहरे लटका कर वहीं बैठ गए।
 
 
भक्तों में से एक ने बोला – ‘जनाब, क्या लगता है। अब क्या होगा!’
दूसरे ने थोड़ा बटरिंग वाले अंदाज में कहा – ‘अमां वहीं होगा जो भाईजान (सफेद पठानी वाला शख्स) चाहते हैं।’ 
‘मियां जरा चुप भी बैठो। बके जा रहे हो कबसे। देखा नहीं ये यूपी वाले हाईकोर्ट से सुप्रीमकोर्ट तक की दौड़ लगाकर यूपी के जेल में शिफ्ट कराने का आदेश ले लिए, और तो और जेसीबी लेकर अलग ही काम पर लगे हैं। हर जगह से हमारी काली कमाई से बने होटल, मकान, मॉल, कटरे सब ढहा रहे हैं...’।
यमराज ने कुहनी से चित्रगुप्त को खोदा और इशारे से माजरा पूछा। चित्रगुप्त ने उठकर बाहर चलने का इशारा किया। बाहर पहुंच कर उन्होंने बताना शुरू किया।
 
 
 बोले – ‘प्रभु, ये यूपी पुलिस ही है जो इनके उतरे चेहरों और हमारे बढ़े बीपी का कारण है।’ कहते-कहते वो भूतकाल में चले गए और यमराज उनकी बातों को ध्यान से सुनते रहे...। ‘एक दौर था जब ये यूपी पुलिस जगह-जगह लतियाई जाती थी। साइकिल पर चलने वाले चिंटू छात्रनेता भी कप्तान का ट्रांसफर कराकर कॉलर खड़ी कर घूमते थे। जमीन कब्जा करने वाले विधायक ताव से इंस्पेक्टर को धक्का देकर वर्दी उतारने की धमकी देते थे।’
‘हां, हां, ये वाला तो मुझे भी याद है...’ यमराज ने बीच में टोका मगर चित्रगुप्त जारी रहे, ‘वही दौर था जब यूपी पुलिस असलहे निकालना नहीं चाहती थी और मुंह से ही ठांय-ठांय की करतल ध्वनि निकालकर अपराध व अपराधियों पर नकेल कसने में यकीन करती थी। जेल तब अपराध की नर्सरी होते थे और नेताजी लोग यूनिवर्सिटी। पुलिस वाले इसमें एडहॉक शिक्षक के रूप में कार्यरत रहते थे। 
 
मगर...’
‘हां मगर अब क्या हो गया !!’ यमराज ने पुन: टोका।
‘अब हुआ यह है कि एक गेरुआ वस्त्रधारी यूपी का मुख्य सेवक बन बैठा है प्रभु। वो खुलेआम कहता है कि अपराधियों की जगह जेल में है या फिर ऊपर है। उसने खुली छूट दे दी और पुलिस के असलहों के मुंह खुल गए प्रभु। अब समस्या हमारी बढ़ गई है। ई तो गिरा के पंचनामा भर दे रहे हैं मगर हमारे यहां तो मामला अलग है न प्रभु...’ – चित्रगुप्त की आवाज में लाचारी झलक रही थी।
‘अरे मालिक, तो यही न अपना काम है यार चित्रगुप्त’ – यमराज ने फिर इंटरप्ट किया।
‘अरे नहीं प्रभु,’ – चित्रगुप्त बोल पड़े। ‘धरती से इनका एकाउंट क्लोज होने के बाद हमारे यहां ओपन होता है। हमारे यहां पंचनामा और पीएम थोड़े न भरा जाना है। यहां कर्मों का लेखाजोखा, पाप-पुण्य और उसके फल, अगला जन्म-पिछला जन्म सब का डेटा एनालिसिस करना पड़ता है। पिछले ही हफ्ते मेरे आईपैड का मदरबोर्ड उड़ गया यही चक्कर में... आपै बताइए का करें हम’ – चित्रगुप्त ने सिर पीट लिया।
 
 
यमराज गंभीर हुए, ‘अमां तो करना का है तुमको। ई सब डेटा तो सिस्टम में फीड रहता ही है न।’
‘जी रहता तो है। लेकिन सिस्टम में तो ये भी फीड रहता है कि इनका एकाउंट कब क्लोज होगा धरती से। ई सब जहां न तहां गाड़ी पलट दे रहे हैं। अपने गोली खा रहे हैं बुलेटप्रूफ जैकेट पर और सामने वाले को सुता दे रहे हैं खंती में। ये भी कोई तरीका हुआ भला प्रभु... बताइए-बताइए’।
यमराज ने मुकुट हटाकर खोपड़ी खुजाते हुए कहा – ‘अरे हां यार, महाकाल के दरबार में विकास दुबे कानपुर वाले का केस याद आया...’
‘वही नहीं प्रभु, लखनऊ में डाक्टर का मामला भूल गए क्या। बुलेटप्रूफ गाड़ी वालों को सुता देता था, लेकिन अपने को ही नहीं बचा पाया।’
एक समय था जब यूपी पुलिस फर्द में लिखती थी कि बदमाशों ने पुलिस पार्टी पर फायरिंग शुरू कर दी। आत्मरक्षार्थ गोलियां चलाई गई तो एक बदमाश को गोली लग गई। अंधेरे का लाभ उठाकर उसका दूसरा साथी फरार हो गया, जिसकी तलाश जारी है। मगर अब कहानी कुछ और ही हो चली है। अब जेल बदमाशों की नर्सरी नहीं बल्कि छुपने की जगह है, वो भी अगर पड़ोसी राज्य की जेल हो तो बेहतर। हालांकि ये यूपी वाले वहां भी चैन की सांस लेने नहीं दे रहे। पहले जेल से अपराध के नेटवर्क चलाए जाते थे मगर अब जेल में रामनाम लिया जा रहा है कि न जाने कब पेशी पर चलने का आदेश हो जाए और रास्ते में गाड़ी पलट जाए...। अपराधी अब कह रहा है कि ‘बेंत से डर नहीं लगता साहेब, आपकी गाड़ी पलटने से लगता है’!!!
 
 
यमराज अब सीरियसली चित्रगुप्त के लिए नया सॉफ्टवेयर बनवाने की सोच रहे हैं...।
 
 
 
यमराज के सिस्टम में चार साल का फीड डाटा
 
 
135 अपराधियों को यूपी पुलिस ने मार गिराया
 
  • 2017-28
  • 2018-41
  • 2019-34
  • 2020-26
  • 2021-06
 
 
  • 5 लाखिया इनामी 1
  • ढाई लाखिया इनामी 3
  • दो लाखिया इनामी 2
  • डेढ़ लाखिया इनामी 3
  • एक लाखिया इनामी 18
  • 75 हजारी इनामी 1
  • 62 हजारी इनामी 1
  • 50 हजारी इनामी 46
  • 25  हजारी इनामी 20
  • 15 हजारी इनामी 11
  • 12 हजारी इनामी 4 
  • 5 हजार इनामी 1

(वरिष्ठ पत्रकार अभिषेक त्रिपाठी की कलम से)