केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित, चुनाव प्रचार की मांगी गई थी इजाजत
आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार सीएम अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं.
दिल्ली शराब घोटाले में गिरफ्तार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हुई. कोर्ट ने केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर कोई फैसला नहीं दिया है. इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया गया है.
कोर्ट ने समय की कमी के कारण इस मामले पर कोई आदेश नहीं दिया. सुप्रीम कोर्ट नौ मई को इस पर अगली सुनवाई कर सकता है.
अरविंद केजरीवाल ने गिरफ्तारी को कोर्ट में चुनौती दी थी, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ इस मामले की सुनवाई की. बीती 3 मई को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा था कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर विचार किया जा सकता है ताकि वे चुनाव प्रचार में शामिल हो सकें.
ईडी की ओर एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने केजरीवाल की अंतरिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि 'यह राजनीति से प्रेरित मामला नहीं है।.हम इस मामले में हो रही राजनीति को लेकर चिंतित नहीं हैं, लेकिन हमारी चिंता सबूतों को लेकर है. शुरुआत में अरविंद केजरीवाल पर हमारा फोकस नहीं था और न ही ईडी केजरीवाल के खिलाफ कार्रवाई का विचार कर रही थी, लेकिन जैसे जैसे जांच आगे बढ़ी तो केजरीवाल की भूमिका साफ हो गई.
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए ईडी से कई सवाल पूछे हैं. कोर्ट ने पूछा कि चुनाव से पहले ही केजरीवाल की की गिरफ्तारी क्यों हुई? केजरीवाल केस में क्या कुर्की हुई है? मामले में कार्रवाई और गिरफ्तारी के बीच लंबा वक्त क्यों रहा?
सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल के वकील सिंघवी से कहा कि अगर हम अंतरिम जमानत देते हैं तो केजरीवाल बतौर सीएम आधिकारिक काम नहीं कर पाएंगे क्योंकि इससे समस्या हो सकती है और हम सरकार के कामकाज में दखल नहीं देना चाहते.