वाराणसी: कलेजे के टुकड़े को छोड़ गए सड़क किनारे, 1 दिन के नवजात को अपनों की तलाश
भगवान जिन्हें संतान का सुख नहीं देता, वे अक्सर उसकी मर्जी को ही कोसते हैं। पर जरा सोचिए, उन माता-पिता की निर्दयता का क्या जो अपने ही कलेजे के टुकड़े को ठंड और सन्नाटे के बीच मरने के लिए छोड़ जाते हैं
वाराणसी, भदैनी मिरर। भगवान जिन्हें संतान का सुख नहीं देता, वे अक्सर उसकी मर्जी को ही कोसते हैं। पर जरा सोचिए, उन माता-पिता की निर्दयता का क्या जो अपने ही कलेजे के टुकड़े को ठंड और सन्नाटे के बीच मरने के लिए छोड़ जाते हैं? बाबतपुर क्षेत्र के एक मोटल के पास बुधवार सुबह कुछ ऐसा ही दृश्य देखने को मिला जिसने लोगों झंकझोर कर रख दिया।
ठंड में तड़प रहा था मासूम
सुबह की सैर पर निकले ग्रामीणों ने संपर्क मार्ग के किनारे एक नवजात को बेसहारा हालत में पड़ा देखा। ठंडी हवा और सन्नाटे के बीच एक दिन के बच्चे को देख ग्रामीण हतप्रभ रह गए। उस मासूम की रोने की आवाज जैसे इंसानियत को पुकार रही थी। बिना देर किए ग्रामीणों ने शिशु को उठाया और तुरंत स्थानीय प्रशासन को सूचना दी।
पुलिस की तत्परता से बची जान
सूचना मिलते ही बड़ागांव पुलिस मौके पर पहुंची और नवजात को सुरक्षित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। डॉक्टरों ने बच्चे का प्राथमिक उपचार किया और बेहतर देखभाल के लिए उसे कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल रेफर कर दिया।
पुलिस की पहल बनी मानवता की मिसाल
बड़ागांव पुलिस ने संवेदनशीलता और तत्परता का परिचय दिया। उन्होंने सुनिश्चित किया कि बच्चे को हरसंभव चिकित्सा और सुरक्षा मिले। साथ ही, पुलिस ने स्थानीय लोगों से इस नवजात के परिजनों का पता लगाने में सहयोग करने की अपील की।
हालांकि, इस घटना ने यह भी साबित किया कि समाज में अब भी दया और मानवता जिंदा है। ग्रामीणों की सजगता और पुलिस की तत्परता ने उस मासूम को नया जीवन दिया।