... आईये, आईये, आईये पत्रकार बनिये और झप्प से गाड़ी पर प्रेस लिखवाईये
Come come let s become a journalist and get the press written on the car with a jab... आईये, आईये, आईये पत्रकार बनिये और झप्प से गाड़ी पर प्रेस लिखवाईये
वाराणसी,भदैनी मिरर। इन दिनों सोशल मीडिया पर एक पेड़ पर लगे पत्रकार बने का पोस्टर खूब वायरल हो रहा है। उस पोस्टर के साथ लोग अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे है। इन्ही कारणों से अंग्रेजी हुकूमत के पसीने छुड़ा देने वाले पत्रकारों और देश के लिए समर्पित पत्रकारिता का स्तर गिरता जा रहा है। ज्वलंत मुद्दों पर चुटकी लेने वाले वाराणसी के स्वतंत्र पत्रकार विनय मौर्या ने अपने एफबी वॉल पर लिखा है-
आईये...आईये...आईये पत्रकार बनिये और बनाईये.लप्प से आईकार्ड पाईये, झप्प से गाड़ी पर प्रेस लिखवाईये. और टप्प से पुलिस दरोगा नेता विधायक को अपना बनाइये. उनके साथ स्लेफीयाईये और फेसबुक पर लगाईये. साथ ही समाज में "अचानक वाला बौद्धिक" व्यक्ति का दर्जा पाईये.
कहीं किसी प्रेस कांफ्रेंस में जाईये. वास्तविक पत्रकारों को कुहनी से ठेलते हुये सबसे आगे की लाईन कब्जियाईये. गिफ्ट बख्शीश पाने के चक्कर में कांफ्रेंस खत्म होते ही आयोजक के इर्दगिर्द घूमते हुए "चलें-चलें" कहकर उन्हें ध्यान दिलाईये. बुजुर्ग पत्रकारों को भईया सर नहीं "भाई" कहकर खुद को उनके समकक्ष समकालीन होने का आसपास के लोगों को अहसास कराइये. गमगीन माहौल में भी (किसी घटना दुर्घटना पर भी) साथी पत्रकारों से हंसी ठिठोली पर उतर आईये। किसी पुलिस प्रशासनिक अधिकारी के पास जाईये तो दूसरे पत्रकारों और उनके संस्थानों को बेकार कहकर उनकी बुराई बतियाईये और पत्रकारिता की पकौड़ी बनाकर खाइये चबाईये.लोकतंत्र के चौथे खम्भे पर किसी पोस्टर की माफ़िक लटक जाईये।