120 रुपये के मासिक वेतन से लेकर यूपी के 3 बार CM और देश के रक्षामंत्री तक का सफर, जानें नेताजी के जीवन से जुड़े कुछ रोचक किस्से

22 नवंबर 1939 को इटावा जिले के सैफई गांव में जन्मे मुलायम सिंह यादव का बचपन साधारण था। राजनीति में आने से पहले वे शिक्षक थे। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत जैन इंटर कॉलेज, करहल से की।

120 रुपये के मासिक वेतन से लेकर यूपी के 3 बार CM और देश के रक्षामंत्री तक का सफर, जानें नेताजी के जीवन से जुड़े कुछ रोचक किस्से

आज उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का 86वां जन्मदिन बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। राजनीति के इस दिग्गज का सफर न केवल सियासी गलियारों में बल्कि उनके पारिवारिक जीवन में भी हमेशा चर्चा का विषय रहा। उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री और देश के रक्षा मंत्री रह चुके मुलायम सिंह का योगदान राजनीति में बेहद महत्वपूर्ण और प्रभावशाली रहा है। आज उनके जन्म जयंती पर उनके जीवन से जुड़े कुछ रोचक पहलुओं पर नज़र डालते हैं। 

बचपन और प्रारंभिक जीवन  

22 नवंबर 1939 को इटावा जिले के सैफई गांव में जन्मे मुलायम सिंह यादव का बचपन साधारण था। राजनीति में आने से पहले वे शिक्षक थे। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत जैन इंटर कॉलेज, करहल से की। 1955 में इस कॉलेज में प्रवेश लेने के बाद 1959 में इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की। 1963 में वे इसी कॉलेज में सहायक अध्यापक बने और हिंदी तथा सामाजिक विज्ञान पढ़ाने लगे। उस समय उनकी तनख्वाह मात्र 120 रुपये मासिक थी।

बच्चों के प्रिय शिक्षक थे मुलायम

मुलायम सिंह यादव का पढ़ाने का तरीका बेहद अनूठा और दिलचस्प था। उनके बारे में कहा जाता है कि वे कभी रटाकर पढ़ाने वाले शिक्षक नहीं थे। उनकी खासियत थी कि वे विषय को रोचक बनाकर बच्चों को पढ़ाते थे, जिससे छात्र आसानी से चीजें समझ सकें।

मुलायम सिंह बच्चों की पिटाई के कट्टर विरोधी थे। उनका मानना था कि बच्चों को मारने-पीटने से उनकी बौद्धिक क्षमता और सृजनशीलता पर नकारात्मक असर पड़ता है। यही वजह है कि वे हमेशा शिक्षा में सकारात्मक और सृजनात्मक दृष्टिकोण अपनाने पर जोर देते थे।

राजनीति में कदम  

मुलायम सिंह शुरू से ही तेजतर्रार और कड़े निर्णय लेने वाले नेता माने जाते थे। राजनीति विज्ञान में पढ़ाई पूरी करने के बाद वे राज नारायण और राम मनोहर लोहिया जैसे दिग्गज नेताओं के संपर्क में आए। इनके मार्गदर्शन में उन्होंने राजनीति की शुरुआत की। 1967 में पहली बार मुलायम सिंह उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य बने।

आपातकाल और संघर्ष  

1975 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया, मुलायम सिंह भी विरोध की आवाज़ में शामिल हुए। उन्हें गिरफ्तार कर 19 महीने तक जेल में रखा गया। इसके बाद वे लोकदल पार्टी का हिस्सा बने, लेकिन 1985 में पार्टी के विभाजन के बाद उन्होंने क्रांतिकारी मोर्चा नामक पार्टी बनाई।  

समाजवादी पार्टी का गठन  

1992 में मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी की स्थापना की। उनकी पार्टी ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में गहरी छाप छोड़ी। उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री का पद तीन बार संभाला (1989-1991, 1993- 1995 और 2003-2007)। इसके अलावा, 1996 से 1998 तक वे भारत के रक्षा मंत्री भी रहे। 

निजी जीवन  

मुलायम सिंह यादव का पारिवारिक जीवन भी चर्चा में रहा। उन्होंने दो शादियां कीं। उनकी पहली पत्नी मालती देवी का 2003 में निधन हो गया। दूसरी पत्नी साधना गुप्ता का निधन 2022 में हुआ था। साधना और मुलायम के बेटे प्रतीक यादव हैं, जबकि अखिलेश यादव, जो उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी भी हैं, उनकी पहली पत्नी मालती देवी के पुत्र हैं।  

मुलायम सिंह का जीवन राजनीति में संघर्ष, नेतृत्व और सफलता की मिसाल है। उनका व्यक्तित्व उन्हें आम जनमानस से जोड़ता है, और आज भी वे अपने समर्थकों के दिलों में ज़िंदा हैं। उनके योगदान को प्रदेश और देश दोनों हमेशा याद करेंगे।