संगीत का स्वास्थ्य से गहरा संबंध, संक्रमित मरीजों को मिलता है आत्मबल...

संगीत का स्वास्थ्य से गहरा संबंध, संक्रमित मरीजों को मिलता है आत्मबल...
संगीत एक वाचिक कला है इसका प्रभाव जड़ चेतन पर समान रूप से होता है संगीत की स्वर लहरियां प्राणी के मनोभावों व मानसिक  स्थिति को प्रभावित करती हैं। संगीत के सूक्ष्म उपकरण स्वर एवं लय गत्यात्मक होते हैं, मानवीय क्रियाएं भी गत्यात्मक होती हैं। अतः दोनों में सादृश्यता होने के कारण ही संगीत विभिन्न प्रकार से मानव के मन और आत्मा पर प्रभाव डालता है। हमारे पूर्वाचार्यों को संगीत के चिकित्सकीय गुणों के विषय में जानकारी थी, इस बात की पुष्टि हमें नारद मुनि कृत ग्रंथ संगीत मकरंद में होती है-
"आयुधर्म यशोबुद्धि धन धान्य फलं लभेत
रागाभी वृद्धि संतान पूर्ण रागा प्रगियते
संग्राम रूप लावण्य विरहं गुण कीर्तनम
षाङवेश प्रगातव्यं लक्षणं गदितं यथा
व्याधिनाशे शत्रुनाशे भयशोकविनाशने
व्याधिदारिद्रय संतापे विशमग्रह मोचने
कायडम्बरनाशे च मंगल विष संहते
औडवेन प्रगातव्यं ग्राम शान्तथं कर्माणि।।"
अर्थात् आयु धर्म यश बुद्धि धन-धान्य फल संतान की अभिवृद्धि इत्यादि के लिए पूर्ण रागों का गायन करना चाहिए। संग्राम रूप लावण्य विरह और किसी के गुण कीर्तन की दशाओं में षाडव रागों का गायन करना चाहिए। किसी व्याधि को दूर करने शत्रु नाश करने और भय शोक में किसी व्याधि दारिद्रय के संताप या विष ग्रह मोचन करने के लिए शारीरिक स्वास्थ्य और मंगल के लिए औडव रागों का गायन करना चाहिए, जो ग्राम के शांति कर्मों में भी प्रयुक्त होता है।
इस प्रकार हम देखते हैं कि चिकित्सकीय समाधान हेतु संगीत का प्रयोग भारतीय समाज में अत्यंत प्राचीन काल से होता आया है।
वर्तमान समय में जब कोरोना जैसी महामारी ने पूरे विश्व में त्राहि-त्राहि मचा रखी है और हर व्यक्ति अपने घरों में बंद है तब हम सभी को अपने- अपने स्तर पर यह प्रयास करना होगा कि हमसे जुड़े हुए प्रत्येक व्यक्ति का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर रहे।
योगिक प्राणायाम और संगीत के स्वरों के रियाज का महत्व लगभग समान है। दोनों से ही हमारे फेफड़ों को मजबूती मिलती है और स्नायु तंत्र गतिशील रहता है। संगीत चिकित्सा के इसी महत्व को देखते हुए कई अस्पतालों में कोरोना के मरीजों की म्यूजिक काउंसलिंग भी की जा रही है। दिल्ली, राजकोट, प्रयागराज, बीएचयू में स्थित पंडित राजन मिश्र कोविड अस्पताल आदि कई जगहों पर कोविड केयर सेंटरों में आईसीयू से लेकर जनरल कोविड वार्ड में भी रोगियों को तनाव व अवसाद से उबारने के लिए म्यूजिक थेरेपी का प्रयोग किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त ऐसे मरीज जो ए सिंप्टोमेटिक हैं या सेल्फ आइसोलेशन में हैं उनके लिए भी संगीत सुनना गुनगुनाना उपयोगी है।
डॉ रुचि मिश्रा
असिस्टेंट प्रोफेसर, संगीत गायन विभाग
आर्य महिला पी जी कॉलेज, वाराणसी