चरण रज पाने को लालायित रहे भक्त, गुरु पूर्णिमा पर वाराणसी के मठ-मंदिरों और आश्रमों में पहुंचे शिष्य
आज गुरु पूर्णिमा पर 'क्रीं-कुण्ड' पर देश और दुनिया के श्रद्धालुों का जमावाड़ा लगा हुआ है. सबके शिव रुप अपने गुरु, बाबा सिद्धार्थ गौतम राम के दर्शन-पूजन की लालसा था. रविवार, को सुबह 4 बजे से ही आश्रम परिसर के बाहर लम्बी कतार में श्रद्धालु अनुशासनबद्ध होकर गुरु के आसन पर विराजमान होने का इंतज़ार कर रहे थे.
वाराणसी, भदैनी मिरर। गुरु-शिष्य परम्परा का पावन पर्व गुरु पूर्णिमा पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है, लेकिन देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी में इस पर्व का नज़ारा देखते ही बनता है. इस अति-आधुनिक वैज्ञानिक युग में, अति-प्राचीन, गुरु-शिष्य परंपरा को देखना, सुनना, समझना अद्भुत लगता है. गुरु पूर्णिमा के दिन काशी के हर मठ-मंदिर में शिष्य का गुरु के प्रति समर्पण देखने को मिलता है, अघोरपीठ, 'बाबा कीनाराम स्थल, गढ़वाघाट आश्रम, तुलसीघाट, महंत बालक दास आश्रम, धर्मसंघ, पड़ाव स्थित अवधूत भगवान राम आश्रम में गुरु का आशीष पाने को भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही.
रविन्द्रपुरी कॉलोनी स्थित विश्वविख्यात अघोरपीठ, 'बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड', यहां के वर्तमान पीठाधीश्वर, अघोराचाचार्य महाराज बाबा सिद्धार्थ गौतम राम को अध्यात्म की दुनिया में साक्षात शिव माना जाता है. आज गुरु पूर्णिमा पर 'क्रीं-कुण्ड' पर देश और दुनिया के श्रद्धालुों का जमावाड़ा लगा हुआ है. सबके शिव रुप अपने गुरु, बाबा सिद्धार्थ गौतम राम के दर्शन-पूजन की लालसा थी.
रविवार, को सुबह 4 बजे से ही आश्रम परिसर के बाहर लम्बी कतार में श्रद्धालु अनुशासनबद्ध होकर गुरु के आसन पर विराजमान होने का इंतज़ार कर रहे थे. सुबह 8 बजे जैसे ही अघोराचार्य महाराजश अपने कक्ष से बाहर निकले, हर-हर महादेव के जयघोष से पूरा परिसर गूंज उठा.
परिसर में स्थित अघोराचार्य महाराज बाबा कीनाराम और अघोरेश्वर महाप्रभु अवधूत भगवान् राम सहित सभी 55-60 समाधियों के पूजन- दर्शन के बाद जब अघोराचार्य अपने औघड़ तख़्त पर आसीन हुए तो ढोल-डमरू- नगाड़े-शंख के साथ हर-हर महादेव का जयाघोष जारी रहा. क़तारबद्ध भक्तों ने बड़े ही अनुशासन के साथ गुरु के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित कर शीश नवाया और उसके बाद प्रसाद ग्रहण किया.
सतुआ बाबा आश्रम में भी उमड़ा भक्तों का जनसैलाब
वहीं गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर मणिकर्णिका घाट स्थित सतुआ बाबा आश्रम में भी भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा. विधिविधान से लोगों ने संतोष दास सतुआ बाबा की आराधना की. भक्तों ने बाबा को माला-फूल चढ़ाकर और भोग लगाकर पूजा-अर्चना की और गुरु का आशीर्वाद लिया. बटुकों ने भी मंत्रोच्चार के साथ गुरु की आराधना की. सतुआ बाबा ने भक्तों को गुरु शिष्य की इस पावन परंपरा के बारे में बताया.
उन्होंने कहा कि गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व सनातन संस्कृति को जीवंतता व प्रकाश की तरफ ले जाने वाला है. भारत एक गुरु रूपी तेज व प्रकाश की तरह पूरे विश्व को ऊर्जा और प्रकाश देता है.