नवरात्र में शुरु हुआ देवी अर्चना: माता शैलपुत्री और मुखनिर्मलिका के दर्शन को उमड़ी भीड़...
देवाधिदेव की नगरी में मंगलवार से हिन्दू नववर्ष के साथ ही शक्ति की आराधना की शुरुआत हुई। चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री के दर्शन पूजन का विधान है।
वाराणसी/भदैनी मिरर। देवाधिदेव की नगरी में मंगलवार से हिन्दू नववर्ष के साथ ही शक्ति की आराधना की शुरुआत हुई। चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री के दर्शन पूजन का विधान है। काशी में इनका मंदिर अलईपुरा में स्थित है। मान्यतानुसार प्रथम तिथि को मां के दर्शन पूजन के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे। मंगला आरती के बाद मंदिर का पट भोर में 4 बजे से ही खोल दिया गया। श्रद्धालुओं ने मां को गुड़हल के फूल माला नारियल का प्रसाद चढ़ाकर सुख समृद्धि की कमाना कि। वहीं मंदिर परिसर में सुरक्षा की पूरी व्यवस्था भी की गई है मंदिर में ताकि किसी भी तरह की परेशानी श्रद्धालुओं को न हो।
मान्यता है कि माँ शैलपुत्री महान उत्साह वाली देवी हैं और भय का नाश करने वाली है। मां की आराधना से यश, कीर्ति, धन और विद्या कि प्राप्ति होती है और इनकी पूजा मात्र मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। जगदम्बा माँ शैलपुत्री पर्वत राज हिमालय के घर मे पुत्री रूप मे अवतरित हुई थी और कालांतर मे जगदम्बा इसी स्वरुप मे पार्वती के नाम से देवाधिदेव भगवान शंकर की अर्धांगनी हुई। नवरात्री के पहले दिन माँ शैलपुत्री के दर्शन के लिए पहुचे श्रद्धालु हाथो मे नारियल और फूल माला लेकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। इस दौरान पूरा मंदिर परिसर जय माता दी के उद्घोष से गूंज उठा ।
इसके साथ ही चैत्र नवरात्र में नव गौरी के दर्शन पूजन का भी विधान है। जिसके क्रम में पहले दिन मुखनिर्मलिका माता का दर्शन पूजन कर भक्तों ने जीवन मंगल की कामना की।