राम मंदिर अयोध्या से लेकर चुनावी बॉन्ड तक, जानें CJI चंद्रचूड़ के कार्यकाल के अबतक के ऐतिहासिक निर्णय

अपने कार्यकाल CJI चंद्रचूड़ में उन्होंने 23 संविधान पीठों में भाग लिया और 612 फैसले लिखे। वे 10,294 पीठों का हिस्सा रहे, जिनमें उन्होंने कई महत्वपूर्ण व बड़े फैसले सुनाए। आइए एक नजर डालते है उनके कार्यकाल के दौरान सुनाए गए अहम निर्णयों पर...

राम मंदिर अयोध्या से लेकर चुनावी बॉन्ड तक, जानें CJI चंद्रचूड़ के कार्यकाल के अबतक के ऐतिहासिक निर्णय

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर, 2024 को अपने पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं। 2016 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था और नवंबर 2022 में उन्होंने मुख्य न्यायाधीश का पद संभाला। अपने कार्यकाल में, उन्होंने 23 संविधान पीठों में भाग लिया और 612 फैसले लिखे। वे 10,294 पीठों का हिस्सा रहे, जिनमें उन्होंने कई महत्वपूर्ण व बड़े फैसले सुनाए। आइए एक नजर डालते है उनके कार्यकाल के दौरान सुनाए गए अहम निर्णयों पर...

 सीजेआई चंद्रचूड़ के महत्वपूर्ण फैसले

- चुनावी बॉन्ड मामला: सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से चुनावी बॉन्ड योजना को खारिज कर दिया, जो राजनीतिक फंडिंग से संबंधित है।
  
समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता नहीं : सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में पांच जजों की पीठ ने 17 अक्टूबर, 2023 को समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से मना कर दिया. हालांकि, इस फैसले में समलैंगिक जोड़ों को बच्चा गोद लेने का अधिकार दिया गया

- निजी संपत्ति पर अधिकार: संविधान पीठ ने निर्णय दिया कि संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) के तहत सभी निजी संपत्तियां पुनर्वितरण के लिए सामुदायिक संसाधन नहीं मानी जा सकती हैं।
  
- निजता का अधिकार: 2017 में, नौ जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से निजता के अधिकार को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अनिवार्य हिस्सा घोषित किया।
  
- अविवाहित महिलाओं के गर्भपात का अधिकार: सीजेआई चंद्रचूड़ ने अविवाहित महिलाओं को MTP अधिनियम के तहत 24 सप्ताह तक गर्भपात की अनुमति दी, जो विवाहित महिलाओं के समान अधिकार है।
  
- दिल्ली सरकार बनाम एलजी: 2023 में पांच जजों की पीठ ने दिल्ली सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण को पुनर्स्थापित किया, जिससे विधायिका को सेवाओं पर अधिकार प्राप्त हुआ।
  
- धारा 377 का निष्कासन: संविधान पीठ ने IPC की धारा 377 को निरस्त कर दिया, जिससे समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर किया गया।
  
- सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध हटाना: 2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया।
  
- अयोध्या भूमि विवाद: नवंबर 2019 में, पांच जजों की पीठ ने विवादित भूमि को राम मंदिर निर्माण हेतु ट्रस्ट को सौंपा और मुसलमानों के लिए पांच एकड़ जमीन आवंटित की।
  
- व्यभिचार का अपराधीकरण समाप्त: 2018 में संविधान पीठ ने IPC की धारा 497 को असंवैधानिक करार देते हुए व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से हटा दिया।

तकनीकी सुधार और डिजिटल परिवर्तन

सीजेआई चंद्रचूड़ के कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट ने तकनीकी सुधारों को अपनाया, जिससे न्यायालय की कार्यवाही अधिक सुलभ और उपयोगकर्ता-अनुकूल बनी।

हाइब्रिड सुनवाई

सीजेआई ने अदालत में हाइब्रिड सुनवाई प्रणाली शुरू की, जो वकीलों और याचिकाकर्ताओं के लिए बेहद सहायक साबित हुई। उन्होंने कहा था, "तकनीक अब वैकल्पिक नहीं है, बल्कि यह कानून की पुस्तकों जितनी ही महत्वपूर्ण है।"

मामलों की लिस्टिंग और उल्लेख

मुख्य न्यायाधीश ने दैनिक मामलों की सूचीबद्धता में बदलाव किए, जिससे विभिन्न प्रकार के मामलों के लिए विशेष दिन निर्धारित किए गए। एक नई प्रणाली के तहत अब वकीलों को आवश्यक मामलों के उल्लेख के लिए ईमेल भेजने की सुविधा दी गई है।

कागज रहित अदालत

सीजेआई ने ई-फाइलिंग और ऑनलाइन उपस्थिति पोर्टल की शुरुआत की, जिससे कागज के उपयोग में कमी आई और न्यायालय की कार्यवाही अधिक पारदर्शी हो गई।

स्मार्ट कोर्टरूम

सुप्रीम कोर्ट में आधुनिक तकनीक से सुसज्जित स्मार्ट कोर्टरूम बनाए गए हैं, जिनमें न्यायाधीशों के लिए डिजिटल पॉप स्क्रीन और बड़ी स्क्रीन पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा है। अब अदालत में डिजिटल लाइब्रेरी का उपयोग किया जा रहा है, जिससे कागजी किताबों का स्थान डिजिटल रूप में लिया गया है।

सीजेआई चंद्रचूड़ के ये सुधार भारतीय न्यायपालिका के लिए नई दिशा और सरलता प्रदान करते हैं।