लूट के 8 लाख रुपए और दो पिस्टल के साथ वाराणसी में दरोगा सहित तीन गिरफ्तार , तीन बदमाशों की तलाश...

कूड़ाखाना गली, नीचीबाग निवासी सराफ जयपाल कुमार कारोबारी के 42.50 लाख रूपये के लूट कांड में वाराणसी में दरोगा सहित तीन आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है

लूट के 8 लाख रुपए और दो पिस्टल के साथ वाराणसी में दरोगा सहित तीन गिरफ्तार , तीन बदमाशों की तलाश...

वाराणसी, भदैनी मिरर। कूड़ाखाना गली, नीचीबाग निवासी सराफ जयपाल कुमार कारोबारी के 42.50 लाख रूपये के लूट कांड में वाराणसी में दरोगा सहित तीन आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है. पुलिस पूछताछ में पता चला कि दरोगा ने 4 शातिर युवकों के साथ नकली 'स्पेशल क्राइम ब्रांच' बनाई थी और हाईवे पर लूटपाट की घटना को अंजाम देता था और दोस्त रेकी करते थे, फिर दरोगा साथियों के साथ छापेमारी करता और जब्त माल को आपस में बांट लेता था.

             आरोपी दरोगा सूर्य प्रकाश पांडेय

गिरफ्तार सूर्य प्रकाश पांडेय बलिया का मूल निवासी है. शुक्ला मार्केट सलोरी प्रयागराज में रहता है. वर्ष 2019 बैच का सब इंस्पेक्टर है. उसके साथ चोलापुर के आयर बाजार निवासी विकास मिश्रा और अजय गुप्ता की गिरफ्तारी हुई है. जबकि इस मामले में नीलेश यादव, मुकेश दुबे उर्फ हनी व योगेश पाठक उर्फ सोनू पाठक की तालाश जारी है.

सूत्रों के मुताबिक पूरे घटना में कैंट थाने के नदेसर चौकी इंचार्ज सूर्य प्रकाश पांडेय अपने चार-पांच साथियों के साथ मिलकर इस वारदात को अंजाम दिया था. पुलिस अफसरों का कहना है कि अभी भी पूछताछ जारी है. पुलिस विभाग के विश्वस्त सूत्रों की माने तो पूछताछ के बाद कई घटनाओं से पर्दा उठ सकता है.

जानकारी के अनुसार सराफ जयपाल कुमार के यहां काम करने वाले कर्मचारी अविनाश गुप्ता, धनंजय यादव 26 जून की रात फर्म के 93 लाख रुपये लेकर भुल्लनपुर से बस से कोलकाता निकले थे. इस बीच रात में अविनाश ने फोन कर जयपाल बताया कि हाईवे पर बस में एक व्यक्ति पुलिस की वर्दी में, दो व्यक्ति सादे कपड़े में चढ़े. खुद को सैय्यदराजा थाना की क्राइम टीम का सदस्य बताया. बैग सहित दोनों कर्मचारियों को नीचे उतारकर बिना नंबर प्लेट की कार में बैठा लिया. देर रात लगभग डेढ़ बजे अविनाश ने जयपाल को दूसरे नंबर से फोन किया. अविनाश ने जयपाल को रामनगर के निकट कटरिया (चंदौली) स्थित बनारस ढाबा पर बुलाया. जयपाल के मुताबिक वहां पहुंचने पर एक बैग में 50.50 लाख रुपये दिये, इसके बाद दोनों कर्मचारी भाग गये. प्रकरण में रामनगर पुलिस ने 17 दिन बाद कर्मचारियों पर केस दर्ज किया था.

उधर, इतनी बड़ी घटना के बाबजूद रामनगर पुलिस द्वारा 17 दिन बाद एफआईआर दर्ज होने से प्रभारी निरीक्षक की भी भूमिका संदिग्ध है. फिलहाल दरोगा और उसके दो बदमाश दोस्तों से पूछताछ कर रही ऑफिसर्स की टीम टीम को अहम सुराग हाथ लगे है. सूत्र बताते हैं कि दरोगा की चैटिंग, कॉल डिटेल के साक्ष्य जेल भेजने के लिए पर्याप्त है.

पहले से करता रहा है तीरंदाजी 

घटना में पुलिस महकमें के दरोगा का नाम प्रकाश में आने के बाद अफसर कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे है. हालांकि कैंट थाने के सूत्र बताते है कि चौकी इंचार्ज बनने से पहले यह दरोगा चर्चित चौकी पर सेकेंड अफसर था. उस समय भी वह कई बार गायब हो जाता था. पुलिस महकमे में मजबूत पकड़ के साथ ही उसकी पहुंच राजनीति में भी अच्छी होने से उसे चौकी प्रभारी बना दिया गया. चौकी प्रभारी बनने के बाद भी उसकी हरकतें नहीं रुकी और उसने कारोबारी के पैसे को हवाला का बताकर हाथ डाल दिया. दरोगा इतना चतुर है कि घटना के बाद लगातार वह रामनगर और सैयदराजा थाने में तैनात पुलिसकर्मियों से अपने संबंधों का फायदा उठाकर अपडेट लेता रहा. रामनगर थाने में मुकदमा दर्ज होने के बाद से वह ज्यादा चौकन्ना हो गया था.