त्वरित टिप्पणी: मजबूत करनी होगी कांग्रेस को पुरानी जड़ें, औरंगाबाद हाउस की कमी बनी चर्चा का विषय, जाने इस हाउस की कहानी...

त्वरित टिप्पणी: मजबूत करनी होगी कांग्रेस को पुरानी जड़ें, औरंगाबाद हाउस की कमी बनी चर्चा का विषय, जाने इस हाउस की कहानी...

अवनिन्द्र कुमार सिंह, भदैनी मिरर। कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश चुनाव प्रचार का विगुल रविवार को फूंक दिया। प्रियंका गांधी किसान न्याय रैली में ज्यादातर समय किसानों की बात करती रही। वह विवादित कृषि कानून बिल को लेकर भी केंद्र की मोदी सरकार को घेरा। सोनभद्र उम्भा कांड से लेकर हाथरस और लखीमपुर खीरी की यादों को ताजा करवाया और भरोसा दिया की वह जनता के लिए संघर्ष करती रहेंगी। प्रियंका अपनी रैली में जुटी भीड़ देखकर गदगद रही, लेकिन पुराने कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच मंच पर औरंगाबाद हाउस की कमी चर्चा का विषय बनी रही।

लखनऊ से लेकर दिल्ली तक की सत्ता के केंद्र में रहे औरंगाबाद हाउस में कभी दिन भर चेहरा दिखाने की होड़ में रहने वाले नेताओं का जमावड़ा होता था। चाहे वह अच्छे स्कूल में बेटे-बेटियों के दाखिले की फिक्र रही हो या नौकरी की तलाश। पूर्वांचल से लेकर यूपी, बिहार तक लोग इसी हाउस के इर्द-गिर्द मंडराते नजर आते थे। सूबे के मुख्यमंत्री और रेल मंत्री रहे पं. कमलापति त्रिपाठी की राजनीतिक विरासत संभालने और उसे आगे बढ़ाने वाले उनकी चौथी पीढ़ी के प्रपौत्र ललितेशपति त्रिपाठी के पार्टी के प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद किसान न्याय रैली में उनके पिता राजेशपति भी नहीं दिखे।परिवार संग बैठे पंडित कमलापति त्रिपाठी की पुरानी तस्वीर।

नेहरू जी के साथ कांग्रेस से जुड़ाव रखने वाले स्वतंत्रता सेनानी पंडित कमलापति त्रिपाठी के बाद उनके पुत्र स्व. लोकपति त्रिपाठी और बहु चंद्रा त्रिपाठी के बाद पौत्र राजेशपति त्रिपाठी ने कांग्रेस का झंडा थामा। उसी विरासत को आगे बढ़ाते हुए ललितेशपति त्रिपाठी भी कांग्रेस के कई महत्त्वपूर्ण पदों पर रहते हुए मिर्जापुर से विधायक भी चुने गए। हालांकि ललितेशपति अब अपनी राजनैतिक पारी की शुरुआत कहा से करेंगे यह अभी साफ नहीं हो पाया है, लेकिन कांग्रेस को धरातल पर अपनी मजबूत पकड़ बनानी है तो उसे पुराने और रूठे कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को मनाना पड़ेगा।

सनद रहे, पिछले लोकसभा चुनाव प्रचार में आई प्रियंका गांधी के रोड शो में जितनी भीड़ उमड़ी थी, परिणाम उतने बेहतर नही आये थे। पार्टी के बड़े नेता अपनी पकड़ मजबूत दिखाने के लिए रोड शो और रैलियों में कैसे भीड़ इकट्ठा करते है यह जगजाहिर है। भारतीय राजनीति में रसातल में पहुंची देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को नए सिरे से मेहनत कर परिपाटी बदलते हुए युवाओं को महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी देनी चाहिए।

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