उमड़ा आस्था का सैलाब, बम-बम हुई काशी...
महाशिवरात्रि पर श्रीकाशी विश्वनाथ का दर्शन करने के लिए बुधवार की शाम से ही श्रद्धालुओं का रेला उमड़ने लगा था। गुरुवार को पूरी रात मंदिर खुला रहेगा और चार पहर की विशेष आरती होगी। भगवान शिव की नगरी काशी महाशिवरात्रि की पूर्व संध्या पर ही बम-बम नजर आई। मंदिर के आसपास बैरिकेडिंग में रात होते ही श्रद्धालुओं ने अपनी जगह घेरनी शुरू कर दी थी। मंगला आरती के बाद से ही श्रद्धालुओं ने बाबा दरबार में दर्शन और जलाभिषेक करना शुरू कर दिया।
वाराणसी, भदैनी मिरर। भोले की नगरी काशी महाशिवरात्रि पर बम-बम है। चहुओर बाबा भोलेनाथ के भजन और हर-हर महादेव की गूंज है। हर कोई दर्शन कर त्रिपुंड लगाकर शिव बाराती बनने को लालायित है। नगर में एक अलग ही उमंग और खुशी है। बुधवार देर शाम से ही श्रद्धालुओं का बाहर से आना शुरु हो गया था। भोर से ही मणकर्णिका घाट से लेकर दशाश्वमेघ घाट तक लोग गंगा में डुबकी लगाकर भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए कतारबद्ध होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे है।
महाशिवरात्रि पर श्रीकाशी विश्वनाथ का दर्शन करने के लिए बुधवार की शाम से ही श्रद्धालुओं का रेला उमड़ने लगा था। गुरुवार को पूरी रात मंदिर खुला रहेगा और चार पहर की विशेष आरती होगी। भगवान शिव की नगरी काशी महाशिवरात्रि की पूर्व संध्या पर ही बम-बम नजर आई। मंदिर के आसपास बैरिकेडिंग में रात होते ही श्रद्धालुओं ने अपनी जगह घेरनी शुरू कर दी थी। मंगला आरती के बाद से ही श्रद्धालुओं ने बाबा दरबार में दर्शन और जलाभिषेक करना शुरू कर दिया।
महाशिवरात्रि पर भक्तों को बाबा के स्पर्श दर्शन की अनुमति नहीं दी गई है, केवल झांकी दर्शन ही मिल रहा है। गर्भगृह में भी प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए चार प्रवेश द्वार निर्धारित किए गए हैं। मैदागिन से आने वाले भक्त छताद्वार के 20 मीटर पहले से मंदिर चौक से मंदिर के पूर्वी गेट से दर्शन कर रहे हैं और उनकी वापसी मणिकर्णिका गली द्वार से हो रही है। वहीं गोदौलिया से आने वाले भक्त बांसफाटक, ढुंढिराज गणेश होते हुए पश्चिमी गेट से प्रवेश कर दर्शन कर कर रहे हैं। वीआईपी, सुगम दर्शन, दिव्यांगजन छताद्वार से प्रवेश कर मंदिर के दूसरे गेट से दर्शन कर उसी से वापस निकाले जा रहे हैं। स्थानीय लोगों के लिए सरस्वती फाटक गली से मंदिर में दक्षिणी गेट से दर्शन का इंतजाम किया गया है।
काशी विश्वनाथ के अलावा अन्य शिव मंदिरों में भी श्रद्धालुओं का रेला है। महामृत्युंजय महादेव, तिलभांडेश्वर महादेव, केदारेश्वर महादेव और नए विश्वनाथ मंदिर में भी भक्तों का सैलाब है। इनके अलावा छोटे-छोटे शिव मन्दिरों में भी व्रती महिलाओं ने भांग-धतूर और बेलपत्र अर्पित कर भगवान शिव की पूजा अर्चना की।