मोदक के बिना क्यों अधूरा है गणेशोत्सव, जानें भगवान गणेश को क्यों प्रिय है यह मिठाई
क्या आप जानते हैं कि गणेश चतुर्थी और मोदक का आपस में क्या संबंध है और यह मिठाई बप्पा को क्यों इतनी प्रिय है? तो आज हम आपको बताएंगे कि गणपति बप्पा और मोदक का क्या गहरा संबंध है.
Ganesh Chaturthi 2024 : पूरे देश में गणेशोत्सव की धूम है. लोग अपने-अपने तरीकों से गणपति बप्पा की आराधना कर रहे हैं, लेकिन उनके प्रिय भोग, मोदक के बिना यह त्योहार अधूरा माना जाता है. भगवान गणेश को कई मीठे व्यंजन प्रिय हैं, लेकिन मोदक उनका सबसे पसंदीदा भोग है. इसलिए, गणेशोत्सव के दौरान उन्हें 'मोदक' अवश्य अर्पित किया जाता है.
गणपति बप्पा को अलग-अलग प्रकार के मोदक का भोग चढ़ाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणेश चतुर्थी और मोदक का आपस में क्या संबंध है और यह मिठाई बप्पा को क्यों इतनी प्रिय है? तो आज हम आपको बताएंगे कि गणपति बप्पा और मोदक का क्या गहरा संबंध है.
भगवान गणेश को मोदक क्यों पसंद है?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान शिव, देवी पार्वती और भगवान गणेश ऋषि अत्रि की पत्नी, देवी अनुसूया के घर गए. वहां पहुंचते ही भगवान शिव और गणेश को भूख लग गई. अनुसूया ने सभी के लिए भोजन का प्रबंध किया. भगवान शिव और देवी पार्वती की भूख तो शांत हो गई, लेकिन गणपति बप्पा का पेट किसी भी भोजन से नहीं भर रहा था. अनुसूया ने उन्हें तरह-तरह के व्यंजन खिलाए, लेकिन गणेश जी की भूख फिर भी शांत नहीं हुई.
जब भगवान गणेश सभी व्यंजनों को खाकर भी संतुष्ट नहीं हुए, तो अनुसूया ने सोचा कि कुछ मीठा उन्हें तृप्त कर सकता है. उन्होंने गणेश जी को एक मिठाई का टुकड़ा दिया, जिसे खाते ही गणपति बप्पा की भूख शांत हो गई. गणेश जी की भूख शांत होते ही, भगवान शिव ने भी 21 बार डकार ली और दोनों संतुष्ट हो गए.
मोदक और गणेश चतुर्थी का संबंध
जब देवी पार्वती ने अनुसूया से इस मिठाई के बारे में पूछा, तो उन्होंने बताया कि वह मिठाई मोदक थी. तभी से गणेश पूजन के दौरान मोदक चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई. यह प्रथा धीरे-धीरे पूरे संसार में फैल गई और प्रत्येक गणेश चतुर्थी पर गणपति को विभिन्न प्रकार के मोदक भोग के रूप में अर्पित किए जाने लगे.
इस पौराणिक कथा से यह पता चलता है कि मोदक अनादिकाल से प्रचलन में है. यही नहीं, धर्मग्रंथों और शास्त्रों में भी भगवान गणेश की तस्वीरों में उन्हें मोदक और लड्डू के साथ देखा जा सकता है.