गुरू पूर्णिमा पर गंगा में श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी,जल पुलिस और NDRF मुस्तैद, जाने पूर्णिमा का महत्त्व...
हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का पर्व शुभ माना जाता है. यह हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है.
वाराणसी,भदैनी मिरर। हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का पर्व शुभ माना जाता है. यह हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस तिथि पर महाभारत के रचयिता महान ऋषि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था. जिसके चलते इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस शुभ अवसर पर गंगा स्नान, गुरु पूजा ,पूजा-पाठ और दान-पुण्य का खास महत्व है. सुबह से ही बनारस के घाटों पर भक्तो ने पहले गंगा स्नान किया उसके बाद अपने-अपने गुरु के मन्दिर, आश्रम और मठो की तरफ आशीर्वाद लेने के लिये बढ़ गये.
श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए अलसुबह ही घाटों पर नंगे पांव पहुंचने लगे. दशाश्वमेध घाट, शीतला घाट, अहिल्याबाई घाट, पंचगंगा घाट, अस्सी घाट पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ दिखाई दे रही हैं. दशाश्वमेध में श्रद्धालुओं की भीड़ के चलते मेले जैसा नजारा रहा.
घाटों पर किया गया है बैरिकेडिंग
गंगा में भक्तों की सुरक्षा को लेकर भी काफी कड़े इंतजाम किए गए हैं. गंगा के जलस्तर बढ़ाने के कारण प्रमुख घाटों पर बैरिकेटिंग की गई है. इसके अलावा जल पुलिस और गोताखोरों को भी अलर्ट किया गया है. एनडीआरएफ की टीमें भी मुस्तैद है. जल पुलिस लगातार लाउड हेलर से श्रद्धालुओं को बैरिकेडिंग के अंदर ही स्नान करने की हिदायत दे रही है.
गुरु पूर्णिमा शुभ योग
बनारस के पंडित कृष्ण कुमार शर्मा ने हमे बताया कि इस बार “गुरु पूर्णिमा पर कई शुभ योग का महासंयोग बन रहा है. दरअसल, इस तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5 बजकर 37 मिनट पर शुरू हुआ है. वहीं, इसका समापन मध्य रात्रि 12 बजकर 14 मिनट पर होगा. इसके साथ ही उत्तराषाढ नक्षत्र भोर से लेकर मध्य रात्रि 12 बजकर 14 मिनट तक रहेगा” और साथ ही श्रवण नक्षत्र और प्रीति योग का भी निर्माण होगा. इसके अलावा विष्कंभ योग प्रात: से लेकर रात्रि 9 बजकर 11 मिनट तक रहेगा.
जरूरतमंदो को पीले समान के दान का विशेष महत्व
पंडित शशांक ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन स्नान दान और गुरु की पूजा से सारे बिगड़े काम बनते है और घर में सुख शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है. गुरु दोष से मुक्ति के लिए गुरु पूर्णिमा पर घर में गुरु यंत्र भी स्थापित करना चाहिए. जरूरतमंदों को दान में पीले समान देना चाहिए.इससे भी गुरु मजबूत होतें है.
क्या है गुरु पूर्णिमा कथा
गुरु पूर्णिमा का पर्व महर्षि वेदव्यास को समर्पित है. कहते हैं ये वही दिन है जिस दिन हिंदुओं के पहले गुरु वेदव्यास जी का जन्म हुआ था. महर्षि वेदव्यास भगवान विष्णु के अंश के रूप में धरती पर आए थे. इनके पिता का नाम ऋषि पराशर था और माता का नाम सत्यवती था. वेदव्यास जी को बचपन से ही अध्यात्म में काफी रुचि थी. उन्होंने अपने माता-पिता से प्रभु दर्शन की इच्छा प्रकट की जिसके लिए उन्होंने वन में जाकर तपस्या करने की मांग की लेकिन उनकी माता ने इस इच्छा को नहीं माना.
महर्षि वेदव्यास ने अपनी माता से इसके लिए हठ किया और अपनी बात को मनवा लिया. लेकिन उनकी माता ने आज्ञा देते हुए कहा की जब भी घर का ध्यान आए तो वापस लौट आना. इसके बाद वेदव्यास जी तपस्या हेतु वन में चले गए और वहां जाकर उन्होंने कठोर तपस्या की. इस तपस्या के पुण्य से उन्हें संस्कृत भाषा में प्रवीणता हासिल हुई. इसके बाद वेदव्यास जी ने चारों वेदों का विस्तार किया. साथ ही महाभारत, अठारह महापुराणों और ब्रह्मास्त्र की रचना की. इसी के साथ उन्हें अमरता का वरदान प्राप्त हुआ. ऐसी मान्यता है कि किसी न किसी रूप में महर्षि वेदव्यास आज भी हमारे बीच में उपस्थित हैं. इसलिए हिंदू धर्म में वेदव्यास जी को भगवान के रूप में पूजा जाता है और गुरु पूर्णिमा पर इनकी विधि विधान पूजा की जाती है.