तुलसी घाट पर बहती नदी में निभाया गया दुनिया का अकेला नागनथैया प्रसंग, लीलाधर ने किया कालिया नाग का मर्दन...
काशी के लक्खा मेले में शुमार नाग नथैया लीला का प्रसंग दुनिया में अकेले तुलसीघाट पर ही बहती नदी में निभाया जाता है.
वाराणसी, भदैनी मिरर। तुलसीघाट की पथरीली सीढियां फिर एक बार शुक्रवार को श्रद्धा और आस्था की प्रतीक बन चुकी नागनथैया लीला के इतिहास की साक्षी बनी. अनुपम झांकी ने आज श्रद्धालुओं के मन को तृप्त किया. लीला देखने के लिए जनसैलाब जुटा और आज के दिन यमुना की भूमिका निभा रही गंगा के अलौकिक झांकी की गवाह बनी.
कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को कालीय नाग के विष से परेशान हो चुके गोकुल के लोगों को मुक्त कराने के लिए जैसे ही घड़ी की सुई 4 बजकर 40 मिनट पर पहुंची तो लीलाधारी भगवान श्री कृष्ण कंदूक क्रीड़ा करते हुए यमुना में फेंक दिए. सखाओं के लाख मनाने और यमुना में विषधर नाग के होने की बात कहकर यमुना में न जाने की गुहार के बाबजूद श्री हरि ने कदंब की पेड़ से छलांग लगा दी. भगवान के छलांग लगाते ही श्रद्धालुओं में सन्नाटा छा गया.
लेकिन चंद सेकेंड बाद जैसे ही भगवान कालीय नाग का मर्दन कर उसके फन पर वेणु बजाते हुए नृत्य की भूमिका में यमुना से बाहर निकलते है तो तुलसीघाट 'बांके बिहारी लाल की जय' और 'हर-हर महादेव' के गगनचुंबी जयघोष से गूंज उठा. भगवान को महंत प्रोफेसर विश्वंभरनाथ मिश्र और इस लीला के साक्षी काशी नरेश कुंवर अनंत नारायण सिंह ने माला पहनाकर आरती उतारी. भगवान नाग पर ही सवार होकर चारो तरफ से भक्तों को दर्शन देकर उनकी जिज्ञासा शांत की.
सुरक्षा के रहे मुकम्मल इंतजाम
नागनथैया लीला को लेकर जिला प्रशासन अलर्ट था. सुरक्षा व्यवस्था का मुकम्मल इंतजाम रहा. हर परिस्थिति से निपटने के लिए पुलिस ने मुकम्मल व्यवस्था कर रखी थी. सुरक्षा में सात एसएचओ के अलावा 13 थानों की फोर्स, पीएसी, एनडीआरएफ, 180 महिला-पुरुष कांस्टेबल और 48 महिला-पुरुष सब इंस्पेक्टर तैनात किए गए थे. गंगा में जल पुलिस और एनडीआरएफ के जवान तैनात रहे. जेबकतरों और उचक्कों के लिए श्रद्धालुओं के बीच में 100 महिला-पुरुष पुलिसकर्मी सादे कपड़े में तैनात किए गए थे.