संकटमोचन संगीत समारोह: बनारस घराने के सिरमौर कलाकार हुए सजीव, दिवंगत पंडित राजन मिश्र को श्रद्धांजलि निवेदित...

संकटमोचन संगीत समारोह: बनारस घराने के सिरमौर कलाकार हुए सजीव, दिवंगत पंडित राजन मिश्र को श्रद्धांजलि निवेदित...

वाराणसी, भदैनी मिरर। संकट मोचन मंदिर समारोह 97 संस्करण की तीसरी निशा का आगाज  दूसरी निशा की तर्ज पर हुआ। रविवार श्रोताओं ने संगीत मार्तंड जसराज की अंतिम सार्वजनिक प्रस्तुति की रिकॉर्डिंग सुनी। अतीत हो चुके पद्मभूषण पंडित राजन मिश्र की रागांजलि सोमवार को वीडियो रिकॉर्डिंग के माध्यम से जीवंत हुई।


कार्यक्रम का शुभारंभ पिछले वर्ष डिजिटल माध्यम से संकटमोचन दरबार में दिल्ली से लगाई गई उनकी हाजिरी के कुछ अंश से हुआ। जिसमें वह अपने अनुज पंडित साजन मिश्र पुत्रद्वय रितेश और रजनीश के साथ बैठे थे, मगर गायन सिर्फ वही कर रहे थे '...जिनके हृदय में राम विराजे' भजन के कुछ अन्य प्रस्तुति के साथ संगीत की रसधारा का प्रवाह आरंभ हुआ। कमेंट बॉक्स में श्रोताओं की प्रतिक्रियाएं बता रही थी कि वह रागों  के राजन के असमय बैकुंठवासी होने से वह किस कदर मर्माहत हैं।


अगली कड़ी में पद्म विभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र के शिष्य भगीरथ जालान के गायन से हुआ, उन्होंने राग यमन में निबद्ध बंदिश 'दर्शन बिन नयना तरसे' से शुरुआत की। फिर राग यमन में ही तराना छेड़ा, फिर अपने गुरु की ही बंदिश 'न जाओ जी मोसे बतिया बनाय' की प्रस्तुति के बाद उन्होंने समापन गोस्वामी तुलसीदास जी के पद से किया। उनके साथ तबले पर प्रभावी संगत पं. ललित कुमार ने की, हारमोनियम पर पंकज मिश्र ने साथ दिया। तीसरी प्रस्तुति विशाल कृष्ण के नृत्य की हुई। उन्होंने शिव वंदना पर तीन ताल में पारंपरिक कथक की बेजोड़ बानगी पेश की।


चौथी प्रस्तुति नई दिल्ली से ऑनलाइन हुए युवा सितार वादक मेहताब अली नियाजी की रही। भिंडी बाजार मुरादाबाद घराने के साथ उस्ताद मोहसीन अली नियाजी पुत्र एवं शिष्य मेहताब ने अपना वादन पं. राजन मिश्र को समर्पित किया। उनके साथ तबले पर उनके अनुज खुर्रम अली नियाजी से संगत की। अगली कड़ी में मेवाती घराने के प्रतिनिधि कलाकार एवं पंडित जसराज के शिष्य हेमांग मेहता पुणे से गायन की प्रस्तुति दी।  उन्होंने राग जोग में अपनी प्रस्तुति अर्पित की। उसके बाद बनारस के नीरज मिश्र सितार वादन की राग कौशी कान्हड़ा में आलाप, जोड़ एवं झाला की बेहतरीन प्रस्तुति दी।


कार्यक्रम की अगली कड़ी में ग्वालियर घराने की इंद्राणी दासगुप्ता के गायन की प्रस्तुति हुई। कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति सारंगी वादन की थी। ख्यात कलाकार संदीप मिश्र और संगीत मिश्र ने सारंगी युगल वादन की अनुपम प्रस्तुति दी, उनको तबला वादन के माध्यम से अमित मिश्र ने सहयोग प्रदान किया। उन्होंने अंत में राग मिश्र भैरवी में निबद्ध दादरा "चला रे परदेसिया नैना मिलाइके" सुनकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।