संकटमोचन संगीत समारोह: शीर्ष कलाकारों के नाम रही विराम निशा, गायन-वादन-नृत्य की बही त्रिवेणी...

संकटमोचन संगीत समारोह: शीर्ष कलाकारों के नाम रही विराम निशा, गायन-वादन-नृत्य की बही त्रिवेणी...

वाराणसी, भदैनी मिरर। संकटमोचन संगीत समारोह के 97वें संस्करण की सातवीं व विराम निशा विभिन्न विधाओं के वरिष्ठ कलाकारों के नाम रही। शुक्रवार को बेंगलुरु, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई के साथ अमेरिका से भी कलाकार ऑनलाइन जुड़े। सात दिवसीय आयोजन में दस लाख से अधिक लोगों ने संकट मोचन संगीत समारोह के फेसबुक पेज पर विजिट किया।


इस नेता के प्रमुख आकर्षण पंडित नागराज हवलदार और पंडित जसराज के प्रिय शिष्य पंडित सुमन घोष रहे। कार्यक्रम के चौथे चरण में अमेरिका से जुड़े पंडित सुमन घोष ने काफी पहले संकटमोचन मंदिर में अपने गुरु के समक्ष ही अपने जीवन की पहली सार्वजनिक प्रस्तुति की थी। उसे याद करते हुए उन्होंने सबसे पहले रात का उचित कांगड़ा में विलंबित ख्याल गायन किया। फिर राग जोगकौंस में द्रुत लय में निबंध बंदिश से गायन को विस्तार दिया। इस निशा की प्रथम प्रस्तुति बेंगलुरु की कुचिपुड़ी नृत्यांगना श्री विद्या ने की। मंदोदरी प्रसंग से नृत्य आरंभ करने के बाद उन्होंने श्रीकृष्ण की बाललीला पर भावपूर्ण नृत्य किया। उन्होंने अपनी प्रस्तुति को आचार्य कृष्णराय देव की रचना मंडूक शब्दम से विराम दिया। 

दूसरी प्रस्तुति किराना घराने के वरिष्ठ कलाकार पंडित नागराज हवलदार एवं उनके पुत्र ओमकार हवलदार की रही। उन्होंने गोरख कल्याण में बंदिशों का सुमधुर गायन किया। तीसरी प्रस्तुति बांसुरी वादन की थी ल। पद्मविभूषण पंडित हरिप्रसाद चौरसिया के वरिष्ठ शिष्य विवेक सुनार ने मुंबई से हाजिरी लगाई। उन्होंने राजहंस ध्वनि में आद्या ताल में प्रस्तुति दी। तबला पर पंडित मुकुंद राजदेव सहयोगी बने। पांचवी प्रस्तुति में संतूर और तबले की जुगलबंदी हुई। कोलकाता से जुड़े पंडित तरुण भट्टाचार्य और शुभांकर बनर्जी ने यादगार बना दिया।


अगली प्रस्तुति में स्वरों की आराधना करने हेतु वरिष्ठ कलाकार एवं गुरु पंडित हरीश तिवारी दिल्ली से हमारे साथ जुड़ें। उन्होंने राग दरबारी कान्हड़ा ने निबद्ध विलंबित की रचना एकताल में एवं द्रुत लय की रचना तीनताल में सुनाया।