इलाज के दौरान दरोगा की मौत: खुद की पिस्टल से चली गोली से हुए थे घायल, 10 दिनों तक लड़े मौत से जंग...

Inspector dies during treatment He was injured due to bullet fired from his own pistol fought to death for 8 daysइलाज के दौरान दरोगा की मौत: खुद की पिस्टल से चली गोली से हुए थे घायल, 8 दिनों तक लड़े मौत से जंग...

इलाज के दौरान दरोगा की मौत: खुद की पिस्टल से चली गोली से हुए थे घायल, 10 दिनों तक लड़े मौत से जंग...

वाराणसी,भदैनी मिरर। खुद की पिस्टल से गोली चलने से घायल चितईपुर थाने पर तैनात दरोगा मनीष सिंह (38) की उपचार के दौरान बीएचयू ट्रामा सेंटर में मौत हो गई। बीते सोमवार को गोली लगने के बाद उन्हें ट्रामा सेंटर भर्ती कराया गया था।  पुलिस के अनुसार पिस्टल साफ करने के दौरान हादसा हुआ था। मौत की सूचना मिलते ही पुलिस महकमें से लगायत परिजनों में शोक की लहर दौड़ गई, वहीं पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। कई वरिष्ठ अधिकारी बीएचयू ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। बिहार के रोहतास जिले के परसिया गांव निवासी मनीष सिंह वर्ष 2012 में मृतक आश्रित कोटे से पुलिस विभाग में दरोगा के पद पर भर्ती हुए थे।


मनीष सिंह सारनाथ क्षेत्र की शक्तिपीठ कॉलोनी में पत्नी सोनी सिंह और बेटे आयांश के साथ रहते थे। बीते सोमवार (14 मार्च) दोपहर में पति-पत्नी होली की खरीदारी करने के लिए घर से बाजार जाने वाले थे। इसी बीच अचानक मनी की सरकारी पिस्टल से फायरिंग हुई और गोली उनके जबड़े को छेदते हुए निकली थी। पत्नी सोनी सिंह की सूचना पर पहुंचे इंस्पेक्टर सारनाथ अर्जुन सिंह ने एंबुलेंस से मनीष को मलदहिया स्थित एक निजी अस्पताल भिजवाया था। हालत गंभीर होने पर उन्हें बीएचयू ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया गया था। 10 दिन अस्पताल में जिंदगी से जंग लड़ते हुए मंगलवार सुबह सब इंस्पेक्टर मनीष सिंह की मौत हो गई।

सूचना के बाद परिजनों में कोहराम मच गया। मनीष की सरकारी पिस्टल को कब्जे में लेकर सारनाथ थाने की पुलिस घटना की जांच कर रही है।मनीष चितईपुर थाने में सितंबर में तैनात हुए थे। इसके पहले वह कपसेठी और सिगरा में तैनात थे। मनीष ने 2012 में नौकरी ज्वाइन की थी। मनीष के बड़े भाई राजेंद्र सुल्तानपुर में सिपाही है और छोटा भाई मोनू आशापुर में रहकर प्राइवेट नौकरी करता है।