छात्रों से चिकित्सकों ने की वार्ता: बोले विजयनाथ मिश्र- हर जनपद देता है विज्ञान को आगे बढ़ने की प्रेरणा

छात्रों से चिकित्सकों ने की वार्ता: बोले विजयनाथ मिश्र- हर जनपद देता है विज्ञान को आगे बढ़ने की प्रेरणा

वाराणसी, भदैनी मिरर। बीएचयू के भोजपुरी अध्ययन केंद्र,  में शनिवार को फोरेंसिक लैब, सागर, मध्यप्रदेश  के निदेशक डॉ पंकज श्रीवास्तव के आगमन पर शोध संवाद समूह द्वारा जनपद और विज्ञान श्रृंखला के अंतर्गत छात्रों द्वारा बातचीत का कार्यक्रम का आयोजन किया गया।  

इस दौरान  डॉ पंकज श्रीवास्तव ने कहा की ह्यूमन जीनोम पर उनका काम बीएचयू के पूर्व कुलपति प्रो लाल जी सिंह के साथ जुड़कर हुआ। उन्होंने बताया कि किसी भी जीव की पहचान के लिए डीएनए  की उपयोगिता आज बहुत अधिक है। आजकल इसको 'डू नाट अजयूम' कहा जाता है जिसका मतलब है कि जनपद से लेकर जीव तक में इसकी वस्तुनिष्ठता असंदिग्ध है।

वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो विजयनाथ मिश्र ने कहा विज्ञान व जनपद में कोई अंतर नहीं है। विज्ञान की पुस्तकें भी मूलतः साहित्य ही होती हैं। हर जनपद को विज्ञान आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।विज्ञान तभी सफल है जब सबसे  वास्तविक जनपद तक उसकी पहुंच हो। उन्होंने कहा कि जनपद कई बार विज्ञान को एक नई भाषा देता है जैसे एक गांव का आदमी चेस्ट विभाग को 'दमफुलिया ' विभाग कहता है।

विशिष्ट अतिथि बीएचयू के जीव विज्ञान के आचार्य प्रो ज्ञानेश्वर चौबे ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जीन व भोजपुरी को जोड़कर वे कुछ नया शोध कार्य कर रहे हैं। उनके पास  भोजपुरी जनपद को लेकर  कई प्लान है। उन्होंने कहा कि वे इसपर लगातार सोच रहे हैं कि क्या भोजपुरी जनपद के लोगों के बोलने और गाने में क्या कोई जिनेटिक रिलेशन बनता है ? उन्होंने  जीन और भोजपुरी के बीच के  संबंध पर विस्तार से बात की। 

अतिथियों का स्वागत व्यक्तव्य देते हुए केंद्र के विभाग के समन्वयक  प्रो.श्रीप्रकाश शुक्ल ने कहा कि बदले हुए समय में समाज और दुनिया बदली है तो जाहिर है कि विज्ञान भी बदला है। क्या जनपदीयता को लेकर के विज्ञान में कोई लोकोन्मुखता उभरी है? भूगोल एक बहुत बड़ा क्षेत्र होता है जबकि जनपद भाषाओं का होता है। उन्होंने कहा कि विज्ञान अगर चमकता है तो जनपद चहकता है।जीवन में इन दोनों की जरूरत है क्योंकि जो चहकता है वही चमकता है।इस अवसर पर प्रो शुक्ल ने कठिन कोरोना काल में लिखित व प्रो मिश्र को समर्पित कविता  'पतंग' का पाठ भी किया जो अभी तद्भव पत्रिका के नए अंक 43 में प्रकाशित हुई है।  

कार्यक्रम से पूर्व विश्वविद्यालय का कुलगीत मनोहर कृष्ण श्रीवास्तव, पंकज पटेल तथा सविता सिंह द्वारा गाया गया जिनके साथ तबले पर अखिलेश्वर पांडेय, हारमोनियम पर विशाल तथा ढोलक पर ऋषिकेश पांडेय थे।

कार्यक्रम में केंद्र की छात्रा सविता पांडेय ने सोहर व लाचारी,मनोहर कृष्ण श्रीवास्तव ने हिंडोला और विशाल राव व पंकज पटेल ने लोक गीत प्रस्तुत किया।कार्यक्रम में हज़ारों लोग ऑनलाइन भी जुड़े रहे। कार्यक्रम का संचालन शोध छात्र उदय प्रताप पाल ने किया व धन्यवाद ज्ञापन प्रो. चम्पा कुमारी सिंह दिया।