महंत परिवारों की लड़ाई में श्रद्धालु आहत: महंत लोकपति तिवारी का आरोप बाबा विश्वनाथ की प्राचीन रजत चल प्रतिमा रोकी गई
वाराणसी,भदैनी मिरर। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत परिवारों की लड़ाई अक्सर ही सार्वजनिक हो जाती है। महंत कुलपति तिवारी और उनके छोटे भाई लोकपति तिवारी के बीच चल रहे खींचतान में श्रद्धालु आहत होते है। जब-जब बाबा विश्वनाथ के रजत चल प्रतिमा को मंदिर पहुंचाने या यात्रा निकालने की बारी आती है दोनों भाई आमने-सामने होते है। सोमवार को भी महंत लोकपति तिवारी ने प्रेसवार्ता कर दावा किया कि उनके पास ही प्राण-प्रतिष्ठित बाबा विश्वनाथ की चल रजत प्रतिमा है। जिसे श्रावणी पूर्णिमा पर मंदिर ले जाने से रोक दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके बड़े भाई महंत कुलपति तिवारी ने परंपरा को खंडित करने के लिए जर्मन सिल्वर की डुप्लीकेट प्रतिमा तैयारी किए है। इसमें उनका सहयोग श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा ने किया है।
लोकपति का आरोप गर्भगृह में पहुंचा नकली प्रतिमा
लोकपति तिवारी का कहना है कि बाबा विश्वनाथ की परंपरागत प्राचीन प्रतिमा उनके आवास पर विराजित है। जिसे प्रत्येक वर्ष मंदिर में होने वाले अन्नकूट महोत्सव और रक्षाबंधन पर गर्भगृह में भेजी जाती है। जो एक प्राण प्रतिष्ठित प्रतिमा है, उनके बड़े भाई ने इस वर्ष एक डुप्लीकेट प्रतिमा बनवा कर इस परंपरा को खंडित किया, जो काफी गलत और आस्था के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने बताया कि, मंदिर प्रशासन और जिला प्रशासन की मिलीभगत और साजिश के चलते इस परंपरा को नकली प्रतिमा गर्भगृह में बैठाकर खंडित किया गया है। लोकपति ने बताया कि इस विषय में वह प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को भी पत्र भेजेंगे। आरोप लगाया कि मंदिर की लोक परंपराओं को प्रशासनिक अधिकारी खंडित करने में भरपूर सहयोग कर रहे हैं जो सरासर अन्याय और गलत है। उनसे इस पूरी विषय की उच्च अधिकारियों द्वारा जांच कराने की मांग रखी जाएगी।
धूमधाम से मनाया गया झूलनोत्सव
बीते रविवार को मनाएं गए झुलनोत्सव की परिवार संग बाबा विश्वनाथ की तस्वीर
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रावणी पूर्णिमा यानि की बीते रविवार को धूमधाम में मनाया गया। भगवान का पंचबदन प्रतिमा महंत कुलपति आवास से मंदिर पहुंची और विशेष श्रृंगार कर बाबा को शाही झूले पर परिवार संग विराजमान किया गया। जिसके बाद भव्य आरती उतारी गई। इस स्वरुप का दर्शन करने के लिए भक्त लालायित रहे।
सैकड़ो साल पुरानी है परंपरा
श्रावणी पूर्णिमा पर बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ के पंचबदन प्रतिमा का दर्शन होता है। महंत आवास से बाबा विश्वनाथ, मां पार्वती, प्रथमेश गणेश के रजत पंचबदन प्रतिमा का विधि-विधान से पूजन अर्चन कर रजत शाही झूला के साथ मन्दिर प्रांगण में लाया जाता है। उसके बाद काशी पुराधिपति को परिवार के साथ झूले पर बैठाया जाता है और झूला सहित मन्दिर गर्भगृह में विराजमान कर पुजारियों द्वारा धूमधाम से बाबा को झूला झूलाकर झूलनोत्सव मनाया जाता है। यह परंपरा करीब 350 साल पुरानी बताई जाती है।