काल विनाशिनी माता कालरात्रि स्वरुप का सप्तमी को हो रहा दर्शन-पूजन, जाने क्या है मान्यता...

शारदीय नवरात्र की सप्तमी तिथि को माता के कालरात्रि स्वरूप के दर्शन पूजन का महात्म्य  है। काशी में मां कालरात्रि का मंदिर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित कालिका गली में है।

काल विनाशिनी माता कालरात्रि स्वरुप का सप्तमी को हो रहा दर्शन-पूजन, जाने क्या है मान्यता...

वाराणसी,भदैनी मिरर। शारदीय नवरात्र की सप्तमी तिथि को माता के कालरात्रि स्वरूप के दर्शन पूजन का महात्म्य  है। काशी में मां कालरात्रि का मंदिर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित कालिका गली में है। कहते हैं कि काल का विनाश करने की शक्ति के कारण इन्हें कालरात्रि कहा गया। देवी कालरात्रि का स्वरूप विकराल किंतु अत्यंत शुभ है। यह भी कहा जाता है कि देवी कालरात्रि अकाल मृत्यु से बचाने वाली और भय बाधाओं का विनाश करने वाली है।

मां कालरात्रि का रंग गहरा काला है और केश खुले हुए हैं। मां गन्धर्व पर सवार रहती हैं। माता की चार भुजाएं हैं। उनके एक बाएं हाथ में कटार और दूसरे बाएं हाथ में लोहे का कांटा है। वहीं एक दायां हाथ अभय मुद्रा और दूसरा दायां हाथ वर मुद्रा में रहता है। माता के गले में मुंडों की माला होती है। इन्हें त्रिनेत्री भी कहा जाता है। माता के तीन नेत्र ब्रह्मांड की तरह विशाल हैं। माता का यह स्वरूप कान्तिमय और अद्भुत दिखाई देता है।

ऐसी मान्यता है कि अंधकार का नाश करने वाली व काल से रक्षा करने वाली देवी कालरात्रि के दर्शन पूजन से समस्त ग्रहों की भय और बाधा का नाश होता है।

इसी मान्यता के अनुसार मंगलवार की भोर से ही देवी कालरात्रि के मंदिर में दर्शन पूजन करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। मां का भोर में पंचामृत स्नान के बाद गुड़हल, गेंदा और गुलाब के फूलों से भव्य श्रृंगार किया गया। मंगला आरती के बाद माता के मंदिर का पट भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिया गया। श्रद्धालुओं ने नारियल और चुनरी का प्रसाद चढ़ाकर माता से सौभाग्य की कामना की।