बाबा विश्वनाथ होते है श्री राम कथा के प्रथम श्रोता, मनुष्य शरीर को बीमारी से बचाने की कथा सबसे बड़ी दवा है : राजन जी महराज

काशी की धरती पर पहली बार पूज्य राजन जी महराज राम कथा का श्रवण करवा रहे है.

बाबा विश्वनाथ होते है श्री राम कथा के प्रथम श्रोता, मनुष्य शरीर को बीमारी से बचाने की कथा सबसे बड़ी दवा है : राजन जी महराज

वाराणसी, भदैनी मिरर। काशी भूमि महापुरुषों, विद्वानों, अवधूतों की भूमि है जो महादेव को सबसे प्रिय है। काशी स्वयं में सबको मुक्ति प्रदान करने वाली नगरी है, जहाँ शिव सदैव विराजमान रहते है। उक्त बातें विश्वविख्यात कथा वाचक प्रेममूर्ति प्रेमभूषण जी महाराज के कृपापात्र शिष्य राजन जी महाराज ने प्रथम दिवस सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के खेल मैदान में नौ दिवसीय कथा श्रवण कराते हुए कहा। उन्होंने कहा की राम कथा के प्रथम श्रोता के रुप में भी साक्षात विश्वनाथ जी रहते है। 

राम कथा के महात्म्य का वर्णन करते हुए राजन जी महाराज ने कहा कि जीव जब अपनी कथा सुनाता है तो वह सिर्फ व्यथा को बढ़ावा देता है, प्रभु श्रीराम की कथा जीवन की व्यथा को समाप्त कर देने वाली होती है। मनुष्य शरीर को बीमारी से बचाने के लिए यह कथा ही सबसे बड़ी दवा है और यह कथा स्थल इस शरीर को ठीक करने का सर्विस सेंटर है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपने अन्तःकरण को सुख प्रदान करने के लिए राम कथा कही थी जिसे रामचरित मानस के रूप में जाना जाता है। पुरुषोत्तम मास की महिमा का बखान करते हुए राजन जी महाराज ने कहा कि जो फल 100 वर्षों की तपस्या से प्राप्त होता है वही फल पुरुषोत्तम मास में सिर्फ एक दिन तपस्या करने से प्राप्त हो जाता है। द्वादश अक्षर का एक जप एक करोड़ जप के बराबर पुण्य प्रदान करता है। प्रथम दिवस उन्होंने सती की कथा, शिव विवाह की कथा आदि प्रसंगों का भी अत्यंत सहज वर्णन किया।

कलश शोभायात्रा में लहराया केशरिया पताका

रामकथा के शुभारंभ के अवसर पर कबीरचौरा स्थित सरोजा पैलेस से विशाल कलश शोभायात्रा निकली। कलश यात्रा में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी, हजारों की संख्या में श्रद्धालु केशरिया पताका लहराते, श्रीराम भजन की धुन पर नाचते गाते चल रहे थे। शोभायात्रा में सबसे आगे 501 महिलाएं लाल चुनरी में सिर पर मंगल कलश धारण किये चल रही थी, उनके पीछे पीछे बजरंग बली के भक्त बैंड बाजे की धुन पर केशरिया ध्वजा लिए भक्तिरस में डूबते चलते रहे। उनके पीछे प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न सहित अन्य देव विग्रहों की झाँकी घोड़े पर सवार थी। उनके पीछे शिव बारात की दिव्य झांकी प्रस्तुत करते उनके गण चल रहे थे। सबसे पीछे विशाल रथ पर प्रभु श्रीराम एवं माता जानकी की दिव्य झाँकी सजी थी जिसके दर्शन कर श्रद्धालु निहाल होते रहे। शोभायात्रा के मार्ग भर श्रद्धालुओं ने देव विग्रहों एवं झाँकियों पर गुलाब की पंखुड़ियों से पुष्प वर्षा कर स्वागत अभिनंदन किया। शोभायात्रा में यजमान विनोद सराफ एवं इंदु सराफ सिर पर मानस की पोथी लेकर चल रहे थे। यात्रा रामकटोरा, लहुराबीर, जगतगंज होते हुए कथा स्थल सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय पहुँच कर समाप्त हुई।

इनकी रही उपस्थिति

 कथा में पहले दिन महामंडलेश्वर सतुआ बाबा संतोष दास जी महाराज, महंत बालक दास जी महाराज, सुमित सराफ, विनोद सराफ, राकेश त्रिवेदी, अजीत सिंह बग्गा, विजय कपूर, भरत सराफ, अनूप सराफ, अजय लिल्हा, संजीव अग्रवाल, विजय मोदी, प्रमोद बजाज, सुरेश तुलस्यान, प्रतीक गनेडिवाल, अरविन्द जैन, महेश चौधरी, दिलीप सिंह, अजय यादुका, कृष्ण कुमार काबरा, अमरीश सिंह भोला, अरविंद वर्मा आदि उपस्थित रहे। मंच संचालन पवन कुमार अग्रवाल ने किया।