बाबा विश्वनाथ को लगी हल्दी, शुरु हुई विवाह की तैयारियां...

हल्दी की रस्म के लिए गवनहिरयों की टोली संध्या बेला में महंत आवास पहुंची। एक तरफ मंगल गीतों का गान हो रहा था, दूसरी तरफ बाबा को हल्दी लगाई जा रही थी। बाबा के तेल-हल्दी की रस्म महंत डा. कुलपति तिवारी के सानिध्य में हुई। मांगलिक गीतों से महंत आवास गुंजायमान हो रहा था।

बाबा विश्वनाथ को लगी हल्दी, शुरु हुई विवाह की तैयारियां...

वाराणसी,भदैनी मिरर। महाशिवरात्रि पर शिव-पार्वती विवाह के उत्सव का क्रम मंगलवार से विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर भी आरंभ हो गया। टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर बाबा के रजत विग्रह का प्रतीक आगमन हुआ। संध्याबेला में शिव को हल्दी लगाई गई। इसके पूर्व बसंत पंचमी पर बाबा श्री काशी विश्वनाथ की प्रतिमा का तिलकोत्सव हुआ था।


हल्दी की रस्म के लिए गवनहिरयों की टोली संध्या बेला में महंत आवास पहुंची। एक तरफ मंगल गीतों का गान हो रहा था, दूसरी तरफ बाबा को हल्दी लगाई जा रही थी। बाबा के तेल-हल्दी की रस्म महंत डा. कुलपति तिवारी के सानिध्य में हुई। मांगलिक गीतों से महंत आवास गुंजायमान हो रहा था। ढोलक की थाप और मंजीरे की खनक के बीच शिव-पार्वती के मंगल दाम्पत्य की कामना पर आधारित गीत गाए गए। ‘भोले के हरदी लगावा देहिया सुंदर बनावा सखी...’, ‘पहिरे ला मुंडन क माला मगर दुल्हा लजाला...’, ‘दुल्हा के देहीं से भस्मी छोड़ावा सखी हरदी लगावा ना...’, 'शिव दुल्हा के माथे पर सोहे चनरमा...’, ‘अड़भंगी क चोला उतार शिव दुल्हा बना जिम्मेदार’, आदि हल्दी के पारंपरिक शिवगीतों में दुल्हे की खूबियों का बखान किया गया। साथ ही दुल्हन का ख्याल रखने की ताकीद भी की जा रही थी। मंगल गीतों में यह चर्चा भी की गई कि विवाह के लिए तैयारियां कैसे की जा रही हैं। नंदी, सृंगी, भृंगी आदि गण नाच-नाच कर सारा काम कर रहे हैं। शिव का सेहरा और पार्वती की मौरी कैसे तैयार की जा रही है। हल्दी की रस्म के बाद नजर उतारने के लिए ‘साठी क चाऊर चूमिय चूमिय..’ गीत गाकर महिलाओं ने भगवान शिव की रजत मूर्ति को चावल से चूमा।