ज्ञान का भंडार है वेद, संतों ने कहा वेद श्रवण से होता है सृष्टि का कल्याण...

Vedas are the storehouse of knowledge the saints said that by listening to the Vedas the welfare of the universe isज्ञान का भंडार है वेद, संतों ने कहा वेद श्रवण से होता है सृष्टि का कल्याण...

ज्ञान का भंडार है वेद, संतों ने कहा वेद श्रवण से होता है सृष्टि का कल्याण...

वाराणसी,भदैनी मिरर। यजुर्वेद हिन्दू धर्म का एक महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रन्थ और चार वेदों में से एक है। इसमें यज्ञ की असल प्रक्रिया के लिये गद्य और पद्य मन्त्र हैं। ये हिन्दू धर्म के चार पवित्रतम प्रमुख ग्रन्थों में से एक है और अक्सर ऋग्वेद के बाद दूसरा वेद माना जाता है। इसी के निमित्त महायज्ञ में इसके प्रमुख अध्यायों का परायण किया जाता है। यह उद्घार थे संकुलधारा पोखरा स्थित द्वारिकाधीश मंदिर में आयोजित 51 दिवसीय लक्षचण्डी महायज्ञ के दसवें दिन पधारे भक्तों से महामंडलेश्वर स्वामी प्रखर जी महाराज के। 

इस दौरान स्वामी श्री के शिष्य स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने कहा कि वेद हमें धर्मों का ज्ञान देने के साथ ही संयमित रहने का भी पाठ पढ़ाते है। वेदों में व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रशासनिक व्यवस्था परस्पर संबंध विषयों का विस्तृत ज्ञान भरा हुआ है। वेद समस्त सत्य विद्याओं का ग्रंथ या क्षेत्र के लोगों के लिए सीमित नहीं है। यह ज्ञान सूर्य के प्रकाश के समान समस्त सृष्टि का पोषण एवं कल्याण के लिए है।

महायज्ञ के दसवें दिन गणपति पूजन, के पश्चात यज्ञशाला में विराजमान भगवान के प्रतिरूप के वैदिक विधि विधान द्वारा दुर्गाशप्तशती के पूजन अर्चन हुए। वहीं मंदिर परिसर में विराजमान मां भगवती के समक्ष आचार्य सुभाष तिवारी द्वारा किये जा रहे देवी भागवत के परायण में द्वितीय स्कंध में कुरुवंश का वर्णन, भगवती का महत्व प्रतिपादन, अनेक चंद्रवंशी राजाओं का वर्णन एवं जीवन चरित्र संबंधी उपा क्षणों का वर्णन विशेष रूप से किया गया। इसके बाद सायं 7 बजे भव्य गंगा आरती की गई। आचार्य गौरव शास्त्री, आत्मबोधप्रकाश ब्रह्मचारी,  काशी यज्ञ समिति के अध्यक्ष कृष्ण कुमार खेमका, सचिव संजय अग्रवाल डॉ सुनील मिश्रा, रवि प्रताप द्विवेदी, राजेश अग्रवाल चंदन सिंह,गोलू सिंह,अमित पसारी, दिशा पसारी, तनीषा अरोड़ा ,गौरव तिवारी, अंकित अग्निहोत्री, विशाल पांडेय, कुलदीप तिवारी सहित दर्जनों भक्त उपस्थित रहे।