बिहार में केवल नाम का सुशासन: पत्रकार हत्याकांड को लेकर बनारस में उबाल, कैंडल मार्च निकालकर हत्यारों के गिरफ्तारी की मांग...

Good Governance in Bihar in Name Only. Anger in Banaras over journalist murder.Demand for arrest of killers by taking out candle march. बिहार में केवल नाम का सुशासन, पत्रकार हत्याकांड को लेकर बनारस में उबाल, कैंडल मार्च निकालकर हत्यारों के गिरफ्तारी की मांग.

बिहार में केवल नाम का सुशासन: पत्रकार हत्याकांड को लेकर बनारस में उबाल, कैंडल मार्च निकालकर हत्यारों के गिरफ्तारी की मांग...

वाराणसी, भदैनी मिरर। मधुबनी (बिहार) के युवा पत्रकार अविनाश झा (22) की अस्पताल-नर्सिंग होम के गोरखधंधे के खिलाफ लगातार कलम चलाने के कारण हुई नृसंश हत्या से अब सीएम नीतीश कुमार के प्रदेश में सुशासन का मखौल उड़ रहा है। युवा पत्रकार की हत्या से न केवल बिहार पुलिस बल्कि नीतीश सरकार की कर्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे है। बिहार में पत्रकार की हत्या का आक्रोश मंगलवार को वाराणसी में भी देखने को मिला। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के छात्रों ने बिहार युवा संघर्ष समिति के बैनर तले कैंडल मार्च जलाया।

भाजपा और नीतीश सरकार में कोई सुरक्षित नहीं

आक्रोशित छात्रों ने कहा कि मृतक पत्रकार अविनाश झा को पूर्व मे भी  जान से मारने की धमकियां मिली थी।  शिकायत के बावजूद पुलिस के द्वारा उन्हें कोई सुरक्षा नही मुहैया कराई गई। बिहार पुलिस और प्रशासन वहां बिगड़ती कानून व्यवस्था पर आंख मूंदे बैठी है। नीतीश-भाजपा सरकार में आम जन सुरक्षित नहीं महसूस कर रहा। हर रोज हत्याओं और अत्याचार की खबरों से अख़बार पटे पड़ें हैं। सुशासन के नाम पर सत्ता में आये नीतीश कुमार के नाक के नीचे भ्रष्टाचार और कुव्यवस्था फल-फूल रहा है। बिहार प्रशाशन और पुलिस को पता था कि अविनाश फर्जी अस्पताल-नर्सिंग के गोरख धंधे के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं और उन्हें जान का खतरा हो सकता है लेकिन बावजूद इसके पुलिस प्रशासन और सरकार ने उन्हें कोई सुरक्षा नहीं पहुँचाई। इससे जाहिर है कि अपराधियों को सत्ता का संरक्षण मिल रहा है। 

अविनाश ने बंद करा दिए थे गोरखधंधा करने वाले हॉस्पिटल

मृतक पत्रकार अविनाश झा लगातार अस्पताल-नर्सिंग होम के गोरख धंधे के खिलाफ खबरें लिख रहे थे। कई महीनों से क्षेत्र में व्यापत असुविधाओं और स्वास्थ्य विभाग में फैले अराजकता के खिलाफ लिखने की कीमत उन्हें जान देकर चुकानी पड़ी। अविनाश की रिपोर्टिंग के आधार पर ही कई गैर-कानूनी अस्पताल बंद करने पड़े थे। अविनाश सूचना के अधिकार कानून का इस्तेमाल कर अपने गांव जवार के लोगों के लिए एक बेहतर और कामयाब स्वास्थ्य प्रणाली को बनाने के लिए लगातार लिख पढ़ रहे थे। 

छात्रों की यह थी मांग

  1. अविनाश के हत्यारों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी हो।
  2. मृतक के परिवार को हर्जाना और एक सदस्य को सरकारी नौकरी दिया जाए।
  3. सरकार पत्रकारों सामाजिक कार्यकर्ताओं और व्हिसल ब्लोअर सुरक्षा कानून लाये।

कैंडल मार्च में शामिल होने वालों में मुख्य रूप से राज अभिषेक, राजेश, उमेश, गौरव, आशुतोष, कृष्णा, राजनीति कुमार, कुंदन, अविनाश, विवेक, कृष्णा, अर्जुन, दीपक आदि  युवा शामिल रहे।