जिला प्रशासन पर चुनाव में पक्षपात का अजय राय ने लगाया आरोप, बोले- प्रधानमंत्री मोदी के इशारों पर...
उत्तर प्रदेश के कांग्रेस प्रत्याशी और वाराणसी लोकसभा सीट से इंडी गठबंधन के प्रत्याशी अजय राय ने प्रशासन पर पक्षपात का आरोप लगाया है. अजय राय ने यहाँ तक कह दिया कि यह पक्षपात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष कृपा से पांच सालों से एक महत्त्वपूर्ण पद पर बैठे उच्चाधिकारी के दबाव में हो रहा. यह बातें अजय राय ने प्रेसवार्ता के दौरान यह बातें कही.
वाराणसी,भदैनी मिरर। उत्तर प्रदेश के कांग्रेस प्रत्याशी और वाराणसी लोकसभा सीट से इंडी गठबंधन के प्रत्याशी अजय राय ने प्रशासन पर पक्षपात का आरोप लगाया है. अजय राय ने यहाँ तक कह दिया कि यह पक्षपात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष कृपा से पांच सालों से एक महत्त्वपूर्ण पद पर बैठे उच्चाधिकारी के दबाव में हो रहा. यह बातें अजय राय ने प्रेसवार्ता के दौरान यह बातें कही.
चुनावी लाभ में पक्षपातपूर्ण भूमिका निभा रहा चुनाव प्रशासन
अजय राय ने आरोप लगाते हुए कहा कि वाराणसी का चुनाव प्रशासन पूरी तरह भाजपा प्रत्याशी, प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के इशारों पर उनके चुनावी लाभ में पक्षपातपूर्ण भूमिका निभा रहा है. इसके बड़े उदाहरण हैं श्री मोदी के नामांकन पत्र के कई कालमों में वांछित सुचना नहीं भरे जाने के बावजूद आपत्तियां आमंत्रित किये बिना उनके पर्चे को दबाव में एकतरफा वैध घोषित करना, रुद्राक्ष सांस्कृतिक कन्वेंशन सेंटर को चुनावी राजनीतिक संवाद के लिये पीएम मोदी को आबंटित होना और उनके आने जाने एवं रोड शो के मार्गों पर विशेष सज्जा एवं रोशनी आदि में शासकीय एवं अर्ध शासकीय निकायों द्वारा व्यय के अलावा प्रत्याशी द्वारा बसों, अन्य वाहनों, फूलों आदि पर किये गये भारी चुनावी धन व्यय की अनदेखी करना. वाराणसी मंडल के उच्चाधिकारी को वाराणसी से हटाये जाने की मांग यूपी कांग्रेस कमेटी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर की है.
... इसलिए बीजेपी ने डमी कैंडिडेट का पर्चा भरवाया
अजय राय ने कहा कि अन्य प्रत्याशियों के नामांकन पत्रों की छानबीन में दो तीन बार तक पुकार लगाकर आपत्ति आमंत्रित की गई, लेकिन नरेन्द्र मोदी के पर्चे को बिना आपत्ति आमंत्रित किये सबसे पहले वैध कर दिया गया, जबकि अपनी धर्मपत्नी की आय आदि से जुड़ी सूचनाओं के कालमों में उन्होंने कोई जानकारी नहीं भरी है. उन गंभीर कमियों के कारण ही भाजपा ने दल की ओर से एक डमी प्रत्याशी का भी नामांकन कराया था. इस स्थिति में कांग्रेस ने उनके नामांकन पर अपनी आपत्तियां चुनाव आयोग को आन-लाइन भेजी.
पहली बार राजनितिक लाभ के लिए रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर का प्रयोग
भारत-जापान के बीच सांस्कृतिक संवर्धन करार के तहत जापान सरकार के धन से बनी रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में पीएम के चुनावी सभा पर भी अजय राय ने सवाल उठाये. राय ने कहा कि रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर पब्लिक प्रॉपर्टी है. नामांकन के बाद प्रधानमंत्री को रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में चुनावी संवाद सभा कराइ गई. कहा कि आबंटन चुनाव आचार संहिता के खिलाफ है. कहा कि सांस्कृतिक शैक्षिक आयोजनों के लिये प्रयुक्त होने वाले रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर का प्रयोग पहली बार राजनीतिक लाभ के लिये प्रशासन के दखल से हुआ. जबकि शासन अनुदानित निजी कालेज आदि भी चुनाव प्रचार के लिये प्रयुक्त नहीं होते रहे हैं. रुद्राक्ष का आबंटन यदि भाजपा प्रत्याशी को हुआ है, तो नियमों को शिथिल कर किसने होने दिया. इसकी भी जांच कराने के साथ साथ चुनाव आयोग यह सुनिश्चित करे कि बिना रियायत निर्धारित शुल्क जमा हुआ या नहीं? नामांकन इवेंट व्यय प्रत्याशी के निजी खाते में जुड़ रहा है कि नहीं ? साथ ही यह भी सुनिश्चित करे कि चुनाव में उन्हीं शर्तों पर अन्य दलों एवं उम्मीदवारों को भी रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर का आबंटन किया जाए.
गुजरात खींचकर नहीं ले जाते रोजगार प्रतिष्ठान
अजय राय ने कहा कि अटैची लेकर बनारस आने-जाने वाले सांसदों की परम्परा पर इस चुनाव में विराम लगाने का फैसला जनता लेगी. अटैची वाले ऐसे कई सांसद काशी आये एवं लौट गये और नरेंद्र मोदी भी लौट जायेंगे. कारण साफ है काशी में रम कर काशी को जीने की संवेदना इन लोगों में नहीं रही है. यदि काशी के लिये दिल में संवेदना होती, तो नरेन्द्र मोदी 1 लाख 54 करोड़ की लागत एवं 1 लाख रोजगार के प्रतिष्ठान फाक्सोन वेदांता सेमीकंडक्टर प्लांट तथा टाटा एयरबस सी-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट प्रोजेक्ट 2022 में और 10 हजार करोड़ का सब मेरीन प्रोजेक्ट 2024 में महाराष्ट्र से खींच कर गुजरात नहीं ले जाते, बल्कि जिस बनारस से जीवन का सबसे बड़ा मर्तबा मिला, उसे अपने उसी बनारस क्षेत्र में ले आते और बच्चों को रोजगार के बड़े अवसर खोलते.
काशी के युवाओं के लिये संवेदना दिल में होती, तो अमूल डेयरी प्लांट में या सरकारी जमीन पर बने अडाणी के स्माल बायोगैस प्लांट में सभी स्थायी कर्मी गुजराती नहीं होते, बल्कि काशी के युवा होते और काशी के सारे निर्माण कार्य भी यहां के उद्यमी करते न कि गुजरात के उद्यमियों की कंपनियां।