UP के chief Secretary बोले- हमारे प्राचीन आयुर्वेद पद्धति की विदेशों में भी बढ़ी मांग, कुलपति ने कहा BHU और सरकार मिलकर करें काम तो आएंगे बढ़िया परिणाम...

UP Chief Secretary said - Demand for our ancient Ayurveda system has increased in foreign countries as well, Vice Chancellor said if BHU and government work together then good results will come. उत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव ने कहा कि हमारे प्राचीन आयुर्वेद पद्धति की विदेशों में भी मांग बढ़ी है। हमारे आसपास कई ऐसी वनौषधियां हैं जिनका स्वास्थ्य की दृष्टि से महत्व है पर हमें उसकी जानकारी ही नही है।

UP के chief Secretary बोले- हमारे प्राचीन आयुर्वेद पद्धति की विदेशों में भी बढ़ी मांग, कुलपति ने कहा BHU और सरकार मिलकर करें काम तो आएंगे बढ़िया परिणाम...

वाराणसी,भदैनी मिरर। भारत सरकार ने वर्ष 2014 में पृथक आयुष मंत्रालय की स्थापना प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति के लिए संजीवनी का कार्य कर रही है। आज देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। प्राचीन आयुर्वेद विधा को शोधपरक, सुगम एवं जनमानस में लोकप्रिय बनाने हेतु विभिन्न स्तरों पर प्रयास किया जा रहा है। आज समय की यह मांग है कि भागदौड़ भरी जिंदगी में आयुर्वेद में वर्णित उत्तम स्वास्थ्य के सिद्धांतों एवं उपायों को सरल भाषा मे हर व्यक्ति तक पहुचाया जाए। उक्त बातें गिलोय मिशन जागरूकता अभियान के अंतर्गत आयुर्वेद संकाय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) एवं राष्ट्रीय औषधि पादप बोर्ड के संयुक्त तत्त्वावधान में महामना सेमिनार कॉम्प्लेक्स में आयोजित स्वास्थ्य जागरूकता संगोष्ठी में यूपी के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने बतौर मुख्य अतिथि कही।

हमारे आसपास कई ऐसी वनौषधियां हैं जिनका स्वास्थ्य की दृष्टि से महत्व है पर हमें उसकी जानकारी ही नही है। आज देश ही नही विदेशों में भी आयुर्वेद की स्वीकार्यता बढ़ी है। उन्होने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान हमने देखा कि किस प्रकार आयुष पद्धति की क्षमता एवं सार्थकता साबित हुई। उन्होने कहा कि गिलोय मिशन सिर्फ एक शुरुआत है, हमे इस दिशा में काफी काम करना है कि हम अपनी प्राचीन ज्ञान परम्परा को विकसित एवं प्रचलित कर जन-जन तक पहुचाएं।

कुलपति प्रोफेसर सुधीर कुमार जैन ने कहा कि बीएचयू एवं उत्तर प्रदेश सरकार यदि स्वास्थ्य के क्षेत्र में मिलकर कार्य करें तो इसका ऐतिहासिक परिणाम मिल सकता है। इंडस्ट्रीज को औषधि एवं आहार के क्षेत्र में बढ़ना चाहिए जिससे आयुर्वेद को अंतराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता मिलेगी। उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता है कि आयुर्वेद के छात्र तकनीकि स्तर को बढ़ाकर नए नए शोध कार्यों को करें। उन्होने  कहा कि शिक्षण संस्थान के तौर पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की प्राथमिक जिम्मेदारी है ऐसे जिम्मेदार नागरिक तैयार करना है जो समाज, व देश के उत्थान में सकारात्मक योगदान दे। उन्होने कहा कि इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए बीएचयू एक अनूठी विशेषता रखता है। जो किसी भी अन्य संस्थान के पास नही है, और वो है विभिन्न व विविध विषयों की शिक्षा। इसी क्रम में प्राचीन व आधुनिक चिकित्सा की शिक्षा का मेल भी केवल काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में मिलता है। आयुर्वेद के क्षेत्र में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय भी बहुत बढ़िया काम कर रहा है।

कार्यक्रम का संयोजक प्रो.यामिनी भूषण त्रिपाठी, कार्यक्रम आयोजन सचिव वैद्य सुशील कुमार दुबे, एनएमपीबी के प्रतिनिधि के रूप मे आये डाक्टर जितेंद्र कुमार वैस्य, डॉ अवनीश पाण्डेय ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर नम्रता जोशी एवं डॉ० देवानन्द उपाध्याय ने किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर पी के गोस्वामी ने दिया। कार्यक्रम में अखिल भारतीय गोसेवा प्रमुख अजीत महापात्र, विशिष्ट अतिथि मंडलायुक्त वाराणसी दीपक अग्रवाल, संयुक्त निदेशक पंचायती राज अशोक कुमार साही मौजूद रहे।