स्वतंत्रता भवन में भोजपुरी अंदाज में PM मोदी बोले - मोदी की गारंटी मतलब पूरा होने की गारंटी, जाने क्यों कहा रंगभरी और शिवरात्रि से पहले आज उत्सव...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (NARENDRA MODI) अपने दो दिवसीय दौरे के दूसरे दिन बरेका से सड़क मार्ग होते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) के स्वतंत्रता भवन पहुंचे.
वाराणसी, भदैनी मिरर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (NARENDRA MODI) अपने दो दिवसीय दौरे के दूसरे दिन बरेका से सड़क मार्ग होते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) के स्वतंत्रता भवन पहुंचे. इस दौरान बरेका से बीएचयू तक सड़क के दोनों तरफ उत्साही कार्यकर्ताओं ने पीएम का भव्य स्वागत किया.
पीएम मोदी स्वतंत्रता भवन में 66 छात्रों को योग्यता छात्रवृत्ति प्रदान की.
पीएम मोदी इस दौरान संस्कृत के छात्रों को किताबें, निःशुल्क ड्रेस सेट और संगीत वाद्ययंत्र प्रदान की. सांसद फोटोग्राफी प्रतियोगिता के प्रतिभागियों से 'संवर्ती काशी' विषयक फोटोग्राफी के सम्बंध में बातचीत कर फोटोग्राफी का अवलोकन किया.
पीएम ने उसके बाद स्वतंत्रता भवन में लोगों को संबोधित किया. पीएम एक तरह बोल रहे थे दूसरी ओर ऑडोटोरियम में बैठे छात्र, छात्राओं, गुरु और अन्य लोग की तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा. पीएम मोदी बीच बीच में मंच से काशी के विकास की बातों पर जनता से सवाल भी पूछते रहे.
पीएम ने टेबल कॉफी बुक का किया लोकार्पण
पीएम मोदी ने महामना को प्रणाम करते हुए भोजपुरी में "आप सब परिवारजन के प्रणाम!" से उपस्थित लोगों का अभिवादन किया. पीएम ने कहा कि काशी तो सर्वविद्या की राजधानी है, आज काशी का वो सामर्थ्य और स्वरूप फिर से संवर रहा है. ये पूरे भारत के लिए गौरव की बात है. वाराणसी के सांस्कृतिक कार्यक्रमों और त्यौहारों को लेकर तैयार कॉफी टेबल के उद्घाटन का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में काशी में विकास के जो कार्य हुए हैं. काशी के बारे में संपूर्ण जानकारी पर आज यहां दो बुक भी लांच की गई है. पिछले 10 वर्ष में काशी ने विकास की जो यात्रा तय की है, उसके हर पड़ाव और यहां की संस्कृति का वर्णन इस बुक में भी किया गया है.
शिवरात्रि और रंगभरी से पहले आज उत्सव
पीएम ने भोजपुरी लहजे में कहा महादेव की कृपा से काशी में चहुओर विकास का डमरू बजा है. हम सब तो निमित्त मात्र हैं, काशी में करने वाले तो महादेव हैं. जहां महादेव की कृपा हो जाती है, वह धरती ऐसे ही संपन्न हो जाती है. आज एक बार फिर काशी के परिवार लोगन खातिर करोड़ों रुपया के लोकार्पण हो रहल है. रंगभरी एकादशी और शिवरात्रि क उत्सव आज मनी. पीएम ने कहा बाबा जवन चाह जालन ओके के रोक पावेला, यही से काशी के लोग हमेशा कुछ होला त "ॐ नमः पार्वती पतये, हर-हर महादेव:" बोलेलन.
काशी शिव की नगरी है और बुद्ध के उपदेशों की भी भूमि है
पीएम मोदी ने कहा कि एक समय था, जब भारत की समृद्धि गाथा पूरे विश्व में कही जाती थी. इसके पीछे भारत की केवल आर्थिक ताकत ही नहीं थी. इसके पीछे हमारी सांस्कृतिक समृद्धि भी थी, सामाजिक और आध्यात्मिक समृद्धि भी थी. काशी जैसे हमारे तीर्थ और विश्वनाथ धाम जैसे हमारे मंदिर ही राष्ट्र की प्रगति की यज्ञशाला हुआ करती थीं. यहां साधना भी होती थी और शास्त्रार्थ भी होते थे. यहां संवाद भी होते थे और शोध भी होते थे. यहां संस्कृति के स्रोत भी थे और साहित्य संगीत की सरिताएं भी थीं. काशी शिव की भी नगरी है, ये बुद्ध के उपदेशों की भी भूमि है. काशी जैन तीर्थंकरों की जन्मस्थली भी है और आदि शंकराचार्य को भी यहाँ से बोध मिला था. पूरे देश से और दुनिया के कोने-कोने से भी ज्ञान, शोध और शांति की तलाश में लोग काशी आते हैं. हर प्रांत, हर भाषा, हर बोली, हर रिवाज के लोग काशी आकर बसे हैं. जिस स्थान पर ऐसी विविधता होती है, वहीं नए विचारों का जन्म होता है. काशी तमिल संगमम और गंगा पुष्करालु महोत्सव जैसे एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियानों का भी विश्वनाथ धाम हिस्सा बना है।
मोदी की गारंटी मतलब पूरा होने की गारंटी
पीएम मोदी ने आगे कहा कि नई काशी नए भारत की प्रेरणा बनकर उभरी है. मैं आशा करता हूं कि यहां से निकले युवा पूरे विश्व में भारतीय ज्ञान परंपरा और संस्कृति के ध्वजवाहक बनेंगे. कहा कि हमारे ज्ञान, विज्ञान और आध्यात्म के उत्थान में जिन भाषाओं का सबसे बड़ा योगदान रहा है, संस्कृत उनमें सबसे प्रमुख है.भारत एक विचार है, संस्कृत उसकी प्रमुख अभिव्यक्ति है. भारत एक यात्रा है, संस्कृत उसके इतिहास का प्रमुख अध्याय है. भारत विविधता में एकता की भूमि है, संस्कृत उसका उद्गम है. अगले पांच वर्षों में देश इसी आत्मविश्वास से विकास को नई रफ्तार देगा, देश सफलताओं के नए प्रतिमान गढ़ेगा और ये मोदी की गारंटी है. मोदी की गारंटी मतलब पूरा होने की गारंटी. काशी तो संवरने वाला है... रोड़ भी बनेंगे, ब्रिज भी बनेंगे, भवन भी बनेंगे लेकिन मुझे तो यहां जन जन को संवारना है, हर मन को संवारना है और एक सेवक बनकर संवारना है, साथी बनकर संवारना है.