#Photos कल्याण सिंह का निधन: पूर्व CM और राज्यपाल ने ली 89 साल की उम्र में अंतिम सांस, कद्दावर नेता को सुनने के लिए उमड़ती थी भीड़, राजनीतिक जीवन यात्रा पर डालें एक नजर...

#Photos कल्याण सिंह का निधन: पूर्व CM और राज्यपाल ने ली 89 साल की उम्र में अंतिम सांस, कद्दावर नेता को सुनने के लिए उमड़ती थी भीड़, राजनीतिक जीवन यात्रा पर डालें एक नजर...

वाराणसी, भदैनी मिरर। लंबे समय से बॉडी ऑर्गन फेल्योर की वजह से लखनऊ पीजीआई में भर्ती यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री (CM) और राज्यपाल कल्याण सिंह (बाबू जी) का निधन 89 साल की उम्र 21 अगस्त 2021 दिन शनिवार को हो गया। यूपी के पूर्व सीएम और राज्यपाल कल्याण सिंह 48 दिनों से अस्पताल में भर्ती थे। 7 दिनों से वेंटिलेटर पर थे। 21 जून को उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने के कारण लखनऊ के लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद स्वास्थ्य में सुधार न होने पर 4 जुलाई को उन्हें पीजीआई शिफ्ट किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने कल्याण सिंह के निधन पर शोक जताया है।

कल्याण सिंह यूपी में भाजपा के पहले सीएम थे। उन्होंने पहली बार सीएम बनने के बाद मंत्रिमंडल के साथ सीधे अयोध्या में जाकर राम मंदिर बनाने की शपथ ली थी। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी ढांचा गिराए जाने के दौरान कल्याण सिंह यूपी के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलाने की अनुमति नहीं दी थी। 


अलीगढ़ के मढौली गाव में पैदा हुए थे कल्याण सिंह

कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के अतरौली तहसील के मढ़ौली गांव में हुआ था। भाजपा के कद्दावर नेताओं में शुमार होने वाले कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और राजस्थान के राज्यपाल भी रहे। एक दौर में कल्याण सिंह राम मंदिर आंदोलन के सबसे बड़े चेहरों में से एक थे। उनकी पहचान हिंदुत्ववादी और प्रखर वक्ता के तौर पर थी।


दो बार यूपी के मुखिया रहे कल्याण सिंह

कल्याण सिंह के राजनैतिक यात्रा की बात करें तो वह उत्तर प्रदेश (UP) के दो बार मुख्यमंत्री रहे।  भाजपा की ओर से यूपी के पहले मुख्यमंत्री के रुप में कल्याण सिंह ने शपथ ली थी। पहले कार्यकाल में 24 जून 1991 से 6 दिसम्बर 1992 तक और दूसरी बार 21 सितंबर 1997 से 12 नवंबर 1999 तक मुख्यमंत्री रहे। 30 अक्टूबर, 1990 को जब मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलवा दी थी। प्रशासन कारसेवकों के साथ सख्त रवैया अपना रहा था। ऐसे वक्त में भाजपा ने मुलायम का मुकाबला करने के लिए कल्याण सिंह को आगे किया। कल्याण सिंह भाजपा में अटल बिहारी वाजपेयी के बाद दूसरे ऐसे नेता थे, जिनके भाषणों को सुनने के लिए जनता सबसे ज्यादा बेताब रहती थी।

 अयोध्या में जाकर राम मंदिर बनाने की शपथ ली

कल्याण सिंह ने एक साल के अंदर ही भाजपा को उस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया कि पार्टी ने 1991 में अपने दम पर यूपी में सरकार बना ली। इसके बाद कल्याण सिंह यूपी में भाजपा के पहले सीएम बने। सीबीआई में दायर आरोप पत्र के मुताबिक मुख्यमंत्री बनने के ठीक बाद कल्याण सिंह ने अपने सहयोगियों के साथ अयोध्या का दौरा किया और राम मंदिर का निर्माण करने की शपथ ली थी। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी ढांचा गिराए जाने के दौरान कल्याण सिंह यूपी के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलाने की अनुमति नहीं दी थी। ढांचा गिराए जाने के बाद कल्याण ने इस्तीफा सौंप दिया था। हालांकि कल्याण सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर कहा था कि यूपी के सीएम के रूप में, वह मस्जिद को कोई नुकसान नहीं होने देंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने साथ की तस्वीर साझा कर नमन किया।

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कल्याण ने बाबरी मस्जिद गिराने की नैतिक जिम्मेदारी ली

सरेआम बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए कल्याण सिंह को जिम्मेदार माना गया। कल्याण सिंह ने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए 6 दिसंबर, 1992 को ही सीएम पद से इस्तीफा दे दी। लेकिन दूसरे दिन केंद्र सरकार ने यूपी की भाजपा सरकार को बर्खास्त कर दिया।
कल्याण सिंह ने उस समय कहा था कि ये सरकार राम मंदिर के नाम पर बनी थी और उसका मकसद पूरा हुआ। ऐसे में सरकार राममंदिर के नाम पर कुर्बान हुई। अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने और उसकी रक्षा न करने के लिए कल्याण सिंह को एक दिन की सजा मिली। बाबरी मस्जिद विध्वंस की जांच के लिए लिब्राहन आयोग का गठन हुआ। तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी नरसिम्हा राव को क्लीन चिट दी, लेकिन कल्याण और उनकी सरकार की आलोचना की। कल्याण सिंह सहित कई नेताओं के खिलाफ सीबीआई ने मुकदमा भी दर्ज किया था। लेकिन बाद में बरी कर दिया।
(इनपुट- साभार दैनिक भास्कर)