गंगा में अलखनंदा के बाद दो मंजिला क्रूज, दिखेगी काशी के संस्कृति की झलक...
अधिकारियों का कहना है कि गोवा शिपिंग यार्ड से बनकर आए क्रूज में बहुत से काम अभी करना बाकी है। जिसमें चेयर फीटिंग, आकर्षक रंगरोगन, एलईडी स्क्रीन, किचन सेटअप सहित अन्य कई कार्य किए जाएंगे। छह हजार किलोमीटर की दूरी तय करके गोवा से यह क्रूज लेकर वाराणसी के रविदास घाट पहुंचा हैं। इसके बाद विधिवत मंत्रोच्चार के तहत यूपी टूरिज्म फेरी का स्वागत पर्यटन मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी ने किया।
वाराणसी/भदैनी मिरर। अलखनंदा के बाद अब वाराणसी में दो मंजिला क्रूज भी पहुंच चुका है। लेकिन इसमें घूमने के इच्छुक पर्यटकों को अभी इंतजार करना पड़ेगा। लग्जरी सुविधाओं से लैस इस क्रूज में काशी की संस्कृति की झलक भी दिखाई देगी। पर्यटन अधिकारियों के अनुसार क्रूज संचालन के लिए टेंडर जारी किया जाएगा। संबंधित एजेंसी को टेंडर मिलने के बाद ही क्रूज का संचालन शुरू हो पाएगा। इस प्रक्रिया में एक माह का वक्त लग सकता है। मार्च से पहले गंगा में सुचारू रूप से क्रूज का संचालन संभव नहीं है।
अधिकारियों का कहना है कि गोवा शिपिंग यार्ड से बनकर आए क्रूज में बहुत से काम अभी करना बाकी है। जिसमें चेयर फीटिंग, आकर्षक रंगरोगन, एलईडी स्क्रीन, किचन सेटअप सहित अन्य कई कार्य किए जाएंगे। छह हजार किलोमीटर की दूरी तय करके गोवा से यह क्रूज लेकर वाराणसी के रविदास घाट पहुंचा हैं। इसके बाद विधिवत मंत्रोच्चार के तहत यूपी टूरिज्म फेरी का स्वागत पर्यटन मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी ने किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि दो मंजिला क्रूज के संचालन से गंगा में पर्यटन को नई उड़ान मिलेगी। इससे पर्यटकों की संख्या भी बढ़ेगी, क्रूज पर सवार होकर पर्यटक एक साथ 84 घाटों का नजारा ले सकेंगे।
वहीं पर्यटन अधिकारियों ने बताया कि क्रूज के अंदर ऐसी सजावट की जाएगी कि पर्यटकों को काशी की संस्कृति की झलक दिखेगी। इसमें काशी के गंगा घाट, गंगा आरती, मंदिर, बनारसी खानपान, किला, साधु संत और तमाम ऐसी कलाकृतियां बनाई गई हैं जो अध्यात्मिक व साहित्यिक की यह झलक पेश करती है। अभी तक ऐसी कलाकृतियां किसी भी क्रूज में नहीं है। खासकर बनारस को ध्यान में रखते हुए क्रूज में कई आकर्षक कार्य अभी और होंगे।
उन्होंने बताया कि 23 नवंबर को गोवा से समुद्र के रास्ते चले इस क्रूज की खासियत यह है कि गंगा में चलाने के लिए यह फेरी बनाया गया है। लेकिन खास बात यह भी है कि समुद्र का रास्ता तय करते हुए यह बनारस पहुंचा। आठ से 10 किमी की रफ्तार से ही क्रूज का संचालन गंगा की लहरों पर होगा। फेरी के सफलतापूर्वक संचालन को लेकर जलस्तर 1.4 मीटर होना चाहिए।