अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए श्रद्धालुओं की घाटों तक अटूट रही कतार, गूंजता रहा लोकगीत...
भगवान भास्कर की आराधना के महापर्व छठ के तीसरे दिन यानि रविवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया गया।
वाराणसी,भदैनी मिरर। भगवान भास्कर की आराधना के महापर्व छठ के तीसरे दिन यानि रविवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया गया। अर्घ्य देने के लिए शाम को तालाबों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। रविवार की दोपहर से ही शहर के अलग-अलग क्षेत्रों से लोग बाजे-गाजे और ढोल नगाड़ों के साथ नाचते गाते घाटों, कुंडों और सरोवरों पर पहुंचने लगे थे।
गूंजते रहे पारंपरिक लोक गीत
पुरुष अपने सिर पर फलों और पकवानों से भरे डाल लिए और महिलायें हाथों में सुप लिए परंपरिक परिधान में छठ गीत गाते हुए जब निकली तो पूरा वातावरण छठमय हो गया। श्रद्धालुओं ने अस्ताचल भगवान सूर्य को तालाबों, कुंडों और गंगा घाटों के किनारे विधि विधान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने अस्ताचल भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया और वैदिक रीति से पूजा-अर्चना की। इस दौरान छठ पूजा के पारंपरिक लोक गीत गूंजते रहे।
सुरक्षा के कड़े थे प्रबंध
महापर्व के अवसर पर सभी घाट रंगीन रौशनी से नहाए हुए है। साथ ही पुलिस प्रशासन की ओर से घाटों, कुंडों और सरोवरों पर सुरक्षा के लिए जवान तैनात किए गए हैं। वहीं पानी मे भी बैरिकेडिंग कर एनडीआरएफ की टीम तैनात की गई है। ताकि कोई गहरे पानी मे न जा सके। वहीं घाटों तक जाने वाले रास्तों पर भी बैरिकेडिंग कर रुट डायवर्जन किया गया था ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो।
उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा समापन
इसके पहले व्रतियों ने शाम भगवान सूर्य की अराधना की और खरना किया था। खरना के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया। पर्व के चौथे और अंतिम दिन यानी सोमवार को उगते सूर्य को अघ्र्य देने के बाद श्रद्धालुओं का व्रत पूरा हो जाएगा। इसके बाद व्रती अन्न और जल ग्रहण करेंगे।