वाराणसी पहुंचे ओमप्रकाश राजभर ने स्वामी प्रसाद मौर्य को बताया नासमझ, अखिलेश यादव पर भी जमकर चालाया शब्दबाण
समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा रामचरित मानस पर दिए गए विवादित बयान को लेकर सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने तंज कसा.
वाराणसी, भदैनी मिरर। समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा रामचरित मानस पर दिए गए विवादित बयान को लेकर सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने तंज कसा. वह एक दिवसीय दौरे पर सोमवार को वाराणसी पहुंचे. उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य को नासमझ बताते हुए दिमाग का दिवालियापन करार दिया. इसके साथ ही रामचरित मानस की प्रतियां फूंकने वालों पर रासुका दर्ज होने का समर्थन किया. कहा की किसी भी धर्म मजहब या किसी की आस्था को आहत करने का अधिकार संविधान नहीं देती. जो लोग स्वामी प्रसाद मौर्या का समर्थन कर रहे है उनके विरुद्ध भी कार्रवाई होनी चाहिए.
सत्ता में रहे तो अपमान नजर नहीं आया
ओमप्रकाश राजभर ने स्वामी प्रसाद मौर्य पर जमकर शब्दवाण चलाए. कहा की 4 बार बीएसपी पार्टी की सत्ता में थे तब इनको न तो महिलाओ का अपमान समझ आया और न दलितों का अपमान समझ आया. बहुजन समाज पार्टी की सत्ता जाते इन्होंने ' रामम्-शरणम-गच्छामि' राम की शरण मे चले गए तब उसी राम चरितमानस पर माला फूल चढ़ाकर 'राम नाम जपना, पिछडो का माल लूटना' यही किये. रामचरित मानस पर माला चढ़ाकर बेटी को सांसद बना लिया और खुद मंत्री बन गए. 5 साल इन्हें कोई अपमान नजर नही आया. फिर देखा कि हो सकता है कि सत्ता करवट बदल लें तो सत्ता के लालची लोग पार्टी बदल लिए.
ओमप्रकाश राजभर ने कहा की डॉ. अम्बेडकर ने पूरे संविधान में कहीं शुद्र नहीं लिखा है, उन्होंने चार वर्ग बनाया. जिसमें सामान्य, पिछड़ा, अनुसूचित, अनुसूचित जनजाति शामिल है. यह अभी-अभी एमएलसी बने तो सविधान की शपथ लिए की संविधान के दायरे में रहकर हम काम करेंगे. संविधान यह इजाजत नही देता की किसी जाति धर्म के खिलाफ जाकर टिप्पणी करें. इसका मतलब की आप संविधान को नही मानते औऱ संविधान की बदौलत एमएलसी बने. तो ये सत्ता के लालची लोग हैं जो लड़ाई है देश मे, जो हालात हैं बेरोजगारी के वह दिनोंदिन बढ़ रही है.
कहा की आज लाखों करोड़ों रुपये अमीर लोग जब बैंकों से लोन ले रहे और दे नही पा रहे तो उनके कर्जे डिफाल्टर घोषित कर माफ कर दिए जाते है. किसान जो लोन लिए हैं नहीं चुका रहे, जो गरीब बिजली का बिल नहीं दे पा रहे ऐसे लोगों के लिए लड़ाई क्यों नही लड़ रहे कि इनको भी डिफाल्टर घोषित कर कर्जे माफ क्यों नही करा पा रहे?
अखिलेश तय करें वह क्या है
अखिलेश के समर्थन के सवाल पर कहा की हम तो समाजवाद की परिभाषा पढ़े हैं. राम मनोहर लोहिया जी ने कहा है कि ' समाजवाद लाना है तो अपने नाम के आगे और पीछे से जाति हटा दो'। पहले अखिलेश जी बताएं वह क्या हैं? वह तो अखिलेश सिंह यादव लिखते है, मतलब आधा क्षत्रीय और आधा शुद्र हैं? पहले तो वह तय करें कि वह क्षत्रिय की तरफ हैं या शूद्र के तरफ.
पावर में आते ही भूल जाते है
अखिलेश द्वारा जातिगत जनगणना की मांग पर ओमप्रकाश राजभर ने कहा की जातिगत जनगणना हम तो 20 साल से कह रहे तो ये लोग सत्ता में रहकर क्यो नही करते. प्रमोशन में आरक्षण तो समाजवादी पार्टी की सरकार में ही खत्म हुआ था. 4 सितम्बर 2013 को हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि 12 जतियाँ 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ ले रही शेष जतियाँ नही ले रही. जो नही ले रही उन्हें यूपी सरकार बांटकर दे, तो उस वक्त सीएम अखिलेश थे उन्होंने वो भी काम नही किया. 14 सितम्बर 2013 को एक और आदेश आया की जो पढ़ाई शिक्षा को एक समान किया जाय उसे भी नही किया. जब सत्ता में होते हैं लोग जब पावर होता है तो कुछ नही करते हैं बाहर आते ही यह बाते याद आती हैं. उन्होंने रामचरित मानस के विवाद पर उन्होंने कहा की सारी खुराफात वोट के लिए हो रही और कहीं कुछ नही हैं सब जानते हैं आरएसएस की देश और प्रदेश में सरकार है. तो वो जो कह रहे उसके पीछे भी वोट है. जितने नेता लड़ रहे सब वोट के लिए हो रहे.