साहित्य और शिक्षा के लिए आचार्य रामयत्न शुक्ल को 'पद्मश्री' सम्मान, बड़े धर्माचार्यों को दी है शिक्षा ...
खोजवां शंकुलधारा निवासी आचार्य जी उत्तर प्रदेश नागकूप शास्त्रार्थ समिति के संस्थापक होने के साथ ही संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के व्याकरण विभाग के पूर्व आचार्य व अध्यक्ष रहे। आचार्य जी बीएचयू में वेदांत के प्राध्यापक भी रहे। वह गोयनका संस्कृत कॉलेज वाराणसी के अलावा श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ नई दिल्ली में भी अपने अध्यापन से शिष्यों की लंबी फेहरिस्त तैयार की है।
वाराणसी, भदैनी मिरर। काशी के लिए पद्मश्री अवार्ड की घोषणा होते ही गौरव का क्षण तब हुआ जब सूची में आचार्य रामयत्न शुक्ल का नाम मौजूद था। काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष आचार्य रामयत्न शुक्ल को शिक्षा और साहित्य के लिए यह सम्मान मिला है। वह एक से बढ़कर एक धर्माचार्यों जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती, स्वामी गुरुशरणानन्द, रामानन्दाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य जी जैसे सन्तों को शिक्षा दी है। आचार्य जी को पद्म श्री सम्मान मिलने से संतों और काशी विद्वतजनों में खुशी का माहौल है।
खोजवां शंकुलधारा निवासी आचार्य जी उत्तर प्रदेश नागकूप शास्त्रार्थ समिति के संस्थापक होने के साथ ही संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के व्याकरण विभाग के पूर्व आचार्य व अध्यक्ष रहे। आचार्य जी बीएचयू में वेदांत के प्राध्यापक भी रहे। वह गोयनका संस्कृत कॉलेज वाराणसी के अलावा श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ नई दिल्ली में भी अपने अध्यापन से शिष्यों की लंबी फेहरिस्त तैयार की है।
राष्ट्रपति पुरस्कार सहित दो दर्जन मिल चुके है सम्मान
आचार्य रामयत्न शुक्ल को राष्ट्रपति पुरस्कार सहित दो दर्जन सम्मान मिल चुके है। काशी के अलावा उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में व्याकरण के लिए जाना जाता है। आचार्य जी को 1999 में राष्ट्रपति पुरस्कार, 2000 में केशव पुरस्कार, 2003 में उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान से विशिष्ट सम्मान, वर्ष 2006 में कर्नाटक के राज्यपाल से अभिनव पाणिनि पुरस्कार, 2007 में धर्मसंघ शिक्षा मंडल से करपात्री रत्न पुरस्कार, वर्ष 2015 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ओरिएंटल हेरिटेज द्वारा डी.लिट. उपाधि, 2015 में उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान से विश्वभारती पुरस्कार सहित करीब दो दर्जन बड़े सम्मानों से सम्मानित है।