स्कूली वाहनों में क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाने वालों की अब खैर नहीं! मंडलायुक्त ने दिए कार्रवाई के सख्त निर्देश
स्कूली वाहनों में क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाने वाले ड्राइवरों के लिए अब खैर नहीं. दरअसल, मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित मंडल स्तरीय सड़क सुरक्षा बैठक में निर्णय लिया गया कि ऐसे वाहनों और उनके अभिभावकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी
वाराणसी, भदैनी मिरर। स्कूली वाहनों में क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाने वाले ड्राइवरों के लिए अब खैर नहीं. दरअसल, मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित मंडल स्तरीय सड़क सुरक्षा बैठक में निर्णय लिया गया कि ऐसे वाहनों और उनके अभिभावकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, जो बच्चों की सुरक्षा को खतरे में डालते हैं. मंडलायुक्त ने निर्देश दिया कि स्कूली वाहनों के खिलाफ एक विशेष अभियान चलाया जाए और अधिक बच्चों को बैठाने वाले वाहनों को चिन्हित कर नोटिस जारी किए जाएं.
बैठक में "जिला स्तरीय सड़क सुरक्षा समिति" और "जिला विद्यालय परिवहन यान सुरक्षा समिति" द्वारा लिए गए पिछले निर्णयों की समीक्षा की गई. मंडलायुक्त ने स्कूली वाहनों के खिलाफ चेकिंग अभियान चलाने के निर्देश दिए, जिसमें क्षमता से अधिक बच्चों को ले जाने वाले वाहनों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
इसके साथ ही बैठक में वाराणसी मंडल में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े भी प्रस्तुत किए गए. रिपोर्ट के अनुसार, सड़क दुर्घटनाओं में मृतकों की संख्या में 2023 की तुलना में 2024 के अगस्त तक 0.43 प्रतिशत की कमी आई है। सरकार का लक्ष्य 2030 तक सड़क दुर्घटनाओं में 50 प्रतिशत की कमी लाने का है.
बैठक में पुलिस और परिवहन विभाग को प्रेशर हॉर्न और हूटर के खिलाफ भी व्यापक अभियान चलाने के निर्देश दिए गए. वाहनों से प्रेशर हॉर्न जब्त कर उन्हें मौके पर नष्ट किया जाएगा और ऐसे उपकरणों को बेचने वालों पर भी सख्त कार्रवाई की जाएगी.
सड़कों पर सुरक्षा के लिए ब्लैक स्पॉट्स और अवैध कट की पहचान कर सुधारात्मक कदम उठाने का निर्देश भी दिया गया. ओवरलोड वाहनों पर नियंत्रण के लिए टोल प्लाजा पर "वे-इन-मोशन" प्रणाली लागू करने और संबंधित अधिकारियों को कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं.
मंडलायुक्त ने ट्रैफिक नियमों के प्रशिक्षण के लिए पुलिस से मिलकर प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने का निर्देश दिया. साथ ही, परमिट धारकों के मामलों में भी समीक्षा की गई, जिसमें मंडलायुक्त ने निर्देश दिया कि परमिट धारक की मृत्यु के बाद उसके उत्तराधिकारी को 90 दिन के भीतर परमिट हस्तांतरित किया जाए.