BHU: पत्रकारिता विभाग के प्रोफेसर को कोर्ट ने छेड़खानी और SC-ST के आरोपों से किया मुक्त, वर्ष 2013 में दर्ज हुआ था FIR...

काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के पत्रकारिता विभाग के प्रोफेसर शिशिर वसू पर वर्ष 2013 में विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर द्वारा लगाए गए छेड़खानी, एससी-एसटी सहित अन्य आरोपों से कोर्ट ने बाइज्जत बरी कर दिया है.

BHU: पत्रकारिता विभाग के प्रोफेसर को कोर्ट ने छेड़खानी और SC-ST के आरोपों से किया मुक्त, वर्ष 2013 में दर्ज हुआ था FIR...

वाराणसी,भदैनी मिरर। बीएचयू के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के हेड प्रो. शिशिर बसु को 9 साल पहले हुए मुकदमे में बुधवार को विशेष न्यायाधीश (एससी-एसटी एक्ट) संजीव कुमार सिन्हा की अदालत ने बाइज्जत बरी कर दिया गया है। प्रो बसु पर उन्ही की विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर ने छेड़खानी और एससी-एसटी एक्ट सहित अन्य आरोपों में वर्ष 2013 में मुकदमा दर्ज कराया था। अदालत में प्रो. बसु की ओर से दी सेंट्रल बार एसोसिएशन के पूर्व चेयरमैन एडवोकेट विवेक शंकर तिवारी ने पक्ष रखा। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि प्रो. शिशिर बसु को दोषमुक्त करते हुए उनका जमानत पत्र और निजी बंधपत्र निरस्त किए जाते हैं।

जांच कमेटी में छेड़खानी जैसी कोई बात नहीं आई सामने

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पीड़िता का कहना है कि अभियुक्त उसे वर्ष 2003 से ही प्रताड़ित कर रहा था। लेकिन, उन्होंने 10 वर्ष तक थाने में शिकायत नहीं दर्ज कराई। इससे पीड़िता के आरोप पर संशय उत्पन्न होता है। BHU द्वारा गठित की गई जांच कमेटियों में भी सेक्शुअल हरासमेंट जैसी कोई बात सामने नहीं आई है। अन्य दस्तावेजी साक्ष्यों को देखने पर यह प्रतीत हुआ कि पीड़िता की शिकायत BHU के अधिकारियों से शैक्षणिक विवाद से संबंधित है। पीड़िता की कार्यक्षमता के बारे में BHU में शिकायतें दर्ज हैं और अन्य फैकल्टी मेंबर्स के खिलाफ भी उनके द्वारा दोषारोपण किया गया है। मौखिक और दस्तावेजी साक्ष्य से यह स्पष्ट होता है कि अभियुक्त के खिलाफ लगाए गए आरोप के तहत अपराध, दिन, समय, घटना और घटना किए जाने के तरीके को साबित करने में अभियोजन पूरी तरह से असफल रहा है। इसलिए अभियुक्त प्रो. शिशिर बसु सभी आरोपों से दोषमुक्त किए जाने योग्य है।

छात्र–छात्राओं पर भी था आरोप

BHU के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की एक असिस्टेंट प्रोफेसर ने 16 मार्च 2013 को चीफ प्रॉक्टर को एक शिकायती पत्र दिया था। उनका आरोप था कि विभाग के 6 छात्र-छात्राएं उन्हें जातिसूचक गाली देते हैं। इसके साथ ही उनकी अश्लील फोटो निकाल कर उन्हें प्रताड़ित करते हैं। चारों छात्रों पर तत्काल कार्रवाई की जाए। यह सब करने के लिए छात्रों को प्रो. शिशिर बसु उत्तेजित करते हैं। प्रो. शिशिर बसु के साथ ही सभी पर तत्काल कानूनी कार्रवाई नहीं की गई तो वह आमरण अनशन शुरू करेंगी। यूनिवर्सिटी के प्रॉक्टोरियल बोर्ड ने असिस्टेंट प्रोफेसर के शिकायती पत्र को लंका थाने फॉरवर्ड कर दिया था। उसके आधार पर लंका थाने में प्रो. बसु के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। पुलिस द्वारा दाखिल की गई चार्जशीट पर कोर्ट ने 19 जून 2013 को संज्ञान लिया।