जुआ प्रकरण: निलंबित इंस्पेक्टर का दोस्त भेजा गया जेल, फर्जी फोटोयुक्त पहचान पत्र भी मिला, रिमांड पर लेगी पुलिस
बहन के घर मुंबई से गिरफ्तार धर्मेंद्र चौबे को पुलिस उसे लेकर रविवार को वाराणसी पहुंची. सारनाथ थाने में पूछताछ के बाद उसे कोर्ट में पेश किया गया. वहां से उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.
वाराणसी, भदैनी मिरर। तत्कालीन सारनाथ इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता का दोस्त छीतमपुर (चौबेपुर ) निवासी धर्मेंद्र चौबे उर्फ पिंटू को मुंबई से लाने के बाद पुलिस ने पूछताछ की. पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश किया. जहां से उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. खुद को सीएम का ओएसडी बताने वाला धर्मेंद्र मुंबई में छिपा था. यह पहड़िया रुद्रा हाइट्स अपार्टमेन्ट के फ्लैट से 41 लाख रुपए लूट मामले में इसकी तलाश थी. हालांकि अब तक निलंबित तत्कालीन सारनाथ इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता का पुलिस पता नहीं लगा सकी है.
मूल खबर: इंस्पेक्टर का दोस्त 41 लाख रूपये लूट मामले में महाराष्ट्र से गिरफ्तार, CM का खुद को बताता था ओएसडी
पुलिस को धर्मेंद्र के पास से सीएम के ओएसडी और सोशल मीडिया प्रभारी का फर्जी आईकार्ड मिला है. वहीं, एडीसीपी वरुणा सरवणन टी ने बताया कि धर्मेंद्र ने जांच में पुलिस का सहयोग नहीं किया है. अदालत से अनुमति लेकर उसे रिमांड पर लिया जाएगा और उससे मोबाइल और नगदी बरामद की जाएगी. यह भी पता लगाया जाएगा कि अपार्टमेंट के किस फ्लैट में जुआ हो रहा था. जुआ खेलने में शहर के कौन-कौन लोग इकट्ठा हुए थे. धर्मेंद्र का मोबाइल बरामद कर उसका डेटा रिकवर किया जाएगा. मामले में नामजद और निलंचित इंस्पेक्टर परम हंस गुप्ता की तलाश में एसओजी और पुलिस की तीन टीमें लगी हैं.
डीसीपी वरुणा चंद्रकांत मीणा ने बताया कि धर्मेंद्र चौबे जांच में बिल्कुल भी सहयोग नहीं किया. उसने बताया कि वह एक पत्रकार है और रुद्रा हाइट्स अपार्टमेन्ट में रहने वाले उसके एक करीबी व्यापारी ने दीपावली का गिफ्ट देने के लिए बुलाया था. यह महज संयोग है कि बाहर निकलते समय इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता मिल गए. धर्मेंद्र अपने मोबाइल के बारे में भी पुलिस को कुछ नहीं बताया. वह बार-बार यही कहता रहा कि जो कुछ पता होगा परमहंस गुप्ता को ही पता होगा.
प्रयागराज से मुंबई गया धर्मेंद्र
सोशल मीडिया पर रुद्रा हाइट्स अपार्टमेन्ट से इंस्पेक्टर दोस्त परमहंस गुप्ता के साथ दो बैग लिए बाहर निकलने का वीडियो वायरल होते ही वह अपने दोस्त के घर प्रयागराज चला गया. 14 नवंबर को जब सारनाथ थानाध्यक्ष विवेक कुमार त्रिपाठी की तहरीर पर प्राथमिकी दर्ज हो गई तो वह अपनी बहन के घर मुंबई चला गया. धर्मेंद्र वीडियो वायरल होते ही अपना मोबाइल बंद कर दिया, जिससे पुलिस उसे ट्रैक नहीं कर पा रही थी. मगर, वह अपने परिचितों के माध्यम से परिजनों के संपर्क में था. इस पर पुलिस को सर्विलांस की मदद से पता लगा कि धर्मेंद्र मुंबई में अपनी बहन के यहां छिपा हुआ है. पुलिस टीम मुंबई गई तो वह अपनी बहन के घर मिल गया. धर्मेंद्र अपनी जमानत की तैयारी में लगा हुआ था और वाराणसी के अधिवक्ताओं के संपर्क में था.
बता दें, सारनाथ थाना क्षेत्र के पहड़िया स्थित रुद्रा हाइट्स अपार्टमेंट में बीते सात नवंबर की आधी रात बाद एक इंस्पेक्टर अपने एक दोस्त के साथ घुसा था. आरोप है कि अपार्टमेंट के एक फ्लैट में जुआ खेल रहे व्यापारियों को इंस्पेक्टर के दोस्त ने खुद को मुख्यमंत्री का ओएसडी बताया था. इसके बाद इंस्पेक्टर और उसका दोस्त व्यापारियों को तगड़ी कानूनी कार्रवाई का भय दिखाकर मौके पर मिले 41 लाख रुपये समेट लिए थे. दोनों ने रुपये दो बैग में लेकर निकले तो अपार्टमेंट के सीसी फुटेज में कैद हो गए. पुलिस आयुक्त ने तत्कालीन इंस्पेक्टर सारनाथ परम हंस गुप्ता की भूमिका को संदिग्ध पाते हुए उसे 10 नवंबर को निलंबित कर दिया था. थानाध्यक्ष विवेक कुमार त्रिपाठी की तहरीर पर 14 नवंबर को निलंबित इंस्पेक्टर परम हंस गुप्ता और धर्मेंद्र सहित अन्य के खिलाफ सारनाथ थाने में लूट सहित अन्य आरोपों और जुआ अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. इसके बाद मुकदमे की विवेचना कैंट थानाध्यक्ष राजकुमार शर्मा को सौंप दी.