जिला मुख्यालय पर एपेक्स हॉस्पिटल के कर्मचारियों और पीड़ित परिजनों में नोकझोक, परिजनों की मांग अस्पताल की लापरवाही से हमनें सदस्य खोया मेरा भी दर्ज हो FIR...

मृतक सौरभ मिश्रा की पत्नी ने आरोप लगाया की 15 दिन तक एपेक्स हॉस्पिटल में भर्ती कराने के बाद भी जब सुधार नहीं हुआ तो हम पीजीआई के लिए रेफर करने की बात कहे तो अस्पताल प्रबंधन ने आश्वासन दिया की मरीज ठीक हों जाएगा.

जिला मुख्यालय पर एपेक्स हॉस्पिटल के कर्मचारियों और पीड़ित परिजनों में नोकझोक, परिजनों की मांग अस्पताल की लापरवाही से हमनें सदस्य खोया मेरा भी दर्ज हो FIR...

वाराणसी,भदैनी मिरर। नेवादा (सुंदरपुर) में दो दिन पूर्व हुए क्रिटिकल केयर यूनिट (CCU) में हुए हरहुआ के प्रतापपट्टी निवासी सौरभ की मौत के बाद हंगामें और तोड़फोड़ की शिकायत लेकर शनिवार को अस्पताल के कर्मचारी और नर्सिंग स्टाफ जिला मुख्यालय पहुंचे, जहां पहले से अस्पताल पर लापरवही का आरोप लगाते हुए न्याय के लिए पहुंचे परिजनों के बीच जमकर नोकझोक हुई. सूचना पर पहुंचे एसीपी कैंट मनीष शांडिल्य के साथ कैंट पुलिस ने दोनों पक्षों को समझा बुझाकर शांत करवाया. 

अस्पताल प्रबंधन पर लगाया लापरवाही का आरोप

मृतक सौरभ मिश्रा की पत्नी ने आरोप लगाया की 15 दिन तक एपेक्स हॉस्पिटल में भर्ती कराने के बाद भी जब सुधार नहीं हुआ तो हम पीजीआई के लिए रेफर करने की बात कहे तो अस्पताल प्रबंधन ने आश्वासन दिया की मरीज ठीक हों जाएगा. पीड़ित पत्नी ने कहा की हमें मेडिकल की क्या जानकारी साहब? अस्पताल के लोग कांट्रेक्ट पेपर पर जबरदस्ती हस्ताक्षर करवा लिए. 

सौरभ मिश्रा की बहन अंजली मिश्रा ने आरोप लगाया की अस्पताल के चिकित्सकों ने कहा की गले के ऑपरेशन के बाद आपका मरीज बिलकुल ठीक हो जाएगा. लेकिन अस्पताल की लापरवाही के बाद मरीज के गले से दो जगहों से ब्लड आने लगा और मेरे भाई की मौत हो गई. उसके बाद पुलिस को हमने लिखित तहरीर दी लेकिन पुलिस ने परिजनों की एक न सुनी और मुकदमा भी दर्ज नहीं किया. आज न्याय की उम्मीद में उच्चाधिकारियों से मिलने पहुंचे तो यहां भी सैकड़ों की संख्या में पहुंचे नर्सिंग स्टाफ और चिकित्सकों ने हाथापाई और मारपीट की.  

परिजनों को पहले ही बता दिया था रिस्क

वहीं जिला मुख्यालय पहुंचे चिकित्सक का कहना है की जब मरीज भर्ती हुआ था तो उसे पहले से कार्डियक अरेस्ट आ चुका था मरीज वेंटीलेटर पर था. किडनी फेल्योर थी, डायलिसिस चल रहा था. मरीज का 10 दिन से ब्रेन डेड भी था. हमने अपनी तरफ मरीज की जान बचाने की पूरी कोशिश की. हमनें इसलिए एक प्रोसिजर के तहत मरीज के गले के ऑपरेशन किया था जिसमें मरीज को मुंह से सांस लेने में परेशानी होती है तो गले में मुंह की नली डालते हैं ताकि मरीज सांस ले सके, इसके लिए जो भी रिस्क था उसे परिजनों को बता दिया गया था. उसके बाद ही ऑपरेशन किया गया था, लेकिन इसके बावजूद मरीज की मौत होने के बाद परिजनों ने अस्पताल में जमकर उपद्रव किया. 

चिकित्सकों की तहरीर पर दर्ज हो गई है FIR

अस्पताल की ओर से मिले तहरीर के आधार पर चितईपुर पुलिस ने जांचोपरांत मारपीट की धाराओं 323, 504 और 506 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. जिला मुख्यालय पहुंचे एसीपी कैंट मनीष शांडिल्य ने बताया की दोनों पक्षों को समझा बुझाकर शांत करवाया गया है. चिकित्सकों की तहरीर पर एफआईआर दर्ज की जा चुकी है, बाकी पीड़ित परिजनों की ओर से तहरीर मिलने पर कार्रवाई की जाएगी.