गंगा जल का रंग बदलने से चिंता, बोले वैज्ञानिक नहीं खोजा गया स्थाई समाधान तो होगा जलचरों को नुकसान...
वाराणसी, भदैनी मिरर। मोक्षदायनी मां गंगा का जल एक बार फिर हरा होने से काशीवासी चिंतित है। इस महीने यह दूसरी बार रंग बदलने से गंगा प्रेमियों के साथ वैज्ञानिकों ने भी चिंता जताई है। पिछली बार मिर्जापुर के निकट लोहिया नदी से आये शैवाल (काई) ने गंगा जल का रंग बदला था लेकिन इस बार प्रयागराज से शैवाल काशी पहुंचने की बात कही जा रही है।
वही इस शैवाल के आने से नियमित गंगा स्नान करने वाले गंगाप्रेमी और घाट पुरोहित भी चिंतित है। उनका कहना है कि गंगा में जलस्तर की बढ़ोत्तरी और घटना तो कई बार देखा है लेकिन बाढ़ के समय में भी इतना शैवाल कभी काशी में नहीं दिखा था, आस्था से जुड़े होने के कारण सुबह स्नान करने से पहले जल के ऊपरी सतह को साफ करना पड़ता है। वही घाट पुरोहितों का कहना है कि गंगा महज नदी नहीं बल्कि करोड़ो परिवारों की आजीविका चलाने की सशक्त माध्यम है। इनके अस्तित्व को खतरा आएगा तो अनर्थ होगा और करोड़ो परिवारों के सामने आर्थिक संकट खड़ा होगा।
वही काशी हिंदू विश्वविद्यालय के नदी वैज्ञानिक प्रो. बी.ड़ी. त्रिपाठी के अनुसार जब नदी का तापमान 25 डिग्री से अधिक होता है तो नदी का वातावरण शैवाल पनपने के अनुकूल बन जाता है। शैवाल के कारण गंगा में ऑक्सीजन स्तर कम हो जाता है, जिससे जलचरों के जीवन पर खतरा मंडराने लगता है। प्रोफेसर त्रिपाठी ने कहा कि जल्द ही इस समस्या का स्थाई हल नहीं खोजा गया तो गंगा की परिस्थिति बर्बाद हो सकती है। तब गंगा में पलने वाले जीवो की प्रजाति पर संकट आएगा, सबसे पहले छोटे आकार वाले जीवो के जीवन पर संकट होगा।