World No Tobacco Day: धूम्रपान करने वालों को कोरोना का ज्यादा खतरा, बोले विशेषज्ञ- लत को मारो लात तो बनेगी बात...
वाराणसी/भदैनी मिरर। विश्व धूम्रपान निषेध दिवस के अवसर पर ब्रेथ ईजी चेस्ट सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल द्वारा ऑनलाइन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमे अस्तपताल के वरिष्ठ श्वांस एवं फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डा. एस. के पाठक ने मरीजों को शपथ दिलायी, कि आज के दिन से न वो धूम्रपान करेंगे और न ही किसी को करने की सलाह देंगे और इस बुरी लत को भरसक रोकने का प्रयास करेंगे I
डॉ. पाठक ने लोगों को जागरूक करते हुए बताया की सिगरेट का धुआं रिसेप्टर प्रोटीन अधिक बनाने के लिए फेफड़े को फुला देता है, जिसका इस्तेमाल कोरोना वायरस मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए करता हैI इस तरह के मामलों में रोग के गंभीर लक्षण दिख सकते हैं I धूम्रपान छोड़ना आपको कोरोना संक्रमण से लड़ने में मदद करेगा, इसलिए धूम्रपान छोड़ने का इससे बेहतर कोई और समय नहीं होगा I धुम्रपान व गुटखा खाने वाले मुख्यत: वो होते है जो कभी दूसरों की देखा देखी, कभी बुरी संगत मे पडकर कभी मित्रो के दबाब में, कई बार कम उम्र में खुद को बडा दिखाने की चाहत में तो कभी धुएँ के छ्ल्ले उडाने की ललक, कभी फिल्मों मे अपने प्रिय अभिनेता को धूम्रपान करते हुए देखकर तो कभी पारिवारिक माहौल का असर तम्बाकू उत्पादों की लत का कारण बनता है ।
डॉ. पाठक ने आगे बताया कि प्रत्येक वर्ष दुनिया भर में 4.9 मिलियन लोग धूम्रपान की वजह से मरते हैं, इसके अलावा दुनिया भर में 40 फीसदी बच्चे, 35 फीसदी महिलाएं और 33 फीसदी मर्द बिन चाहे सिगरेट का धुंआ पीते हैं, जिसे पैसिव स्मोकिंग कहते हैं I उन्होंने बताया कि पैसिव स्मोकिंग के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन के आकलन के अनुसार पौने चार लाख लोग दिल की बीमारियों के कारण मरते हैं तो डेढ़ लाख से अधिक लोग सांस की बीमारी के कारण, इसके अलावा 37 हजार लोग अस्थमा से और साढ़े 21 हजार फेफड़े के कैंसर से मरते हैं।
डॉ. पाठक आगे बताते हैं कि धुम्रपान एवँ तम्बाकू खाने से मुंह, गला, श्वासनली व फेफडोँ का कैंसर के अलावा दिल की बीमारियाँ, धमनी काठिन्यता, उच्च रक्तचाप, पेट के अल्सर, अम्लपित व अनिद्रा आदि रोगों की सम्भावना संभवतः हैं Iडॉ. एस.के पाठक ने बताया कि ब्रेथ ईजी समय-समय पर जन जागरूकता कार्यक्रम करता रहता हैं, जिसमे नि:शुल्क चिकित्सा शिविर, जन जागरूकता रैली, ऑनलाइन के मध्यम से जन जागरूकता कार्यक्रम आदि मुख्य हैं I