Sawan 2024 : महादेव को क्यों प्रिय हैं श्रावण मास? जानें कैसे पड़ा इस महीने का नाम सावन

क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव को सावन का महीना इतना प्रिय क्यों है? क्या इसके पीछे की पौराणिक कथा क्या और इस महीने का नाम सावन क्यों पड़ा..

Sawan 2024 : महादेव को क्यों प्रिय हैं श्रावण मास? जानें कैसे पड़ा इस महीने का नाम सावन

Sawan 2024 : ये सावन का पावन महीना चल रहा है. हिन्दू धर्म में इस महीने का बहुत ही महत्व है. यह मास भगवान शिव का प्रिय महीना भी माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि श्रावण महीने में भगवान शिव की प्रेमपूर्वक भाव से अगर पूजा की जाए तो भगवान शिव अपने भक्तों की हर मनोकामना जरूर पूरी करतें हैं. शिव पुराण के अनुसार सावन मास में भगवान शिव और माता पार्वती पृथ्वीलोक पर निवास करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव को सावन का महीना इतना प्रिय क्यों है? क्या इसके पीछे की पौराणिक कथा क्या और इस महीने का नाम सावन क्यों पड़ा..

पृथ्वीलोक की रक्षा के लिए भगवान शिव ने पिया था जहर

सावन का महीना कई कारणों से भगवान शिव को प्रिय है. इसके पीछे कई पौराणिक कथा है. हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार सावन के महीने में समुद्र मंथन हुआ था. इस मंथन से विष निकला तो चारों तरफ हाहाकार मच गया. पृथ्वीलोक की रक्षा करने के लिए भगवान शिव ने विष पी लिया, जिसकी वजह से उनका कंठ नीला पड़ा गया, इस कारण उन्हें नीलकंठ कहा गया. विष का प्रभाव कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने भगवान शिव को जल अर्पित किया, जिससे उन्हें राहत मिली, इससे वह प्रसन्न हुए. तभी से हर वर्ष सावन मास में भगवान शिव को जल अर्पित करने या उनका जलाभिषेक करने की परंपरा बन गई.

भगवान शिव ने पार्वती को पत्नी के रूप में किया था स्वीकार

भगवान शिव की पत्नी माता सती ने शिव को हर जन्म में पति के रूप में पाने तपस्या की थी. सती ने अपने दूसरे रूप में हिमालय राज के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया था. शिव जी को पति रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने सावन मास में कठोर तप किया था. शिव जी का विवाह इसी माह में हुआ था, इसलिए भगवान शिव को सावन माह बहुत प्रिय है. इसके अलावा सावन मास में भगवान शिव अपने ससुराल आए थे, जहां पर उनका अभिषेक करके धूमधाम से स्वागत किया गया था.

कैसे रखा गया इस महीने का नाम सावन

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, पांचवां महीना सावन है. वहीं, हिंदू महीनों के नाम पूर्णिमा के दिन चंद्रमा के नक्षत्र में देखते हुए रखे गए हैं. जब हिंदू कैलेंडर का पांचवां महीना शुरू होता है, तब चंद्रमा श्रवण नक्षत्र में होते हैं. यही कारण है कि इस महीने का नाम श्रावण मास कहा गया. फिर धीरे-धीरे श्रावण को सावन कहा जाने लगा.