जेल से रिहा हुए VHS प्रमुख: सावन के आखिरी सोमवार को जेल भेजे गए थे अरुण पाठक, जेल जाने के बाद दर्ज हुई थी 2 FIR

विश्व हिंदू सेना प्रमुख अरुण पाठक आखिरकार जेल से रिहा हो ही गए है. रेल से रिहा होने पर उनका स्वागत मंत्रोच्चार और माला पहनाकर किया गया.

जेल से रिहा हुए VHS प्रमुख: सावन के आखिरी सोमवार को जेल भेजे गए थे अरुण पाठक, जेल जाने के बाद दर्ज हुई थी 2 FIR

वाराणसी, भदैनी मिरर। कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद विश्व हिंदू सेना प्रमुख अरुण पाठक बुधवार को जेल से रिहा हुए. जेल से बाहर आते ही उनके कार्यकर्ताओं ने शंख और मंत्रोच्चार के बीच माला पहनाकर स्वागत किया. उन्होंने कहा की पुलिस दमनात्मक कार्रवाई कर मुझे जेल भेजा है और तरह तरह के हथकंडे अपनाकर हमारे खिलाफ कई मुकदमें दर्ज करवाया है. जेल से रिहा होने के बाद मीडिया से मुखातिब अरुण पाठक से जब सवाल पूछा गया की कौस्तुभ त्रिपाठी ने नौकरी दिलाने के नाम पर आपके ऊपर जेल जाने के बाद मुकदमा करवाया है, तो उन्होंने कहा की उसके ऊपर मैंने वर्ष 2020 में FIR करवाया था, जिसमें पुलिस ने मेरा लैपटॉप उसके पास से बरामद करके दिया था. हेमांगी सखी द्वारा लगाए गए आरोप को उन्होंने निराधार बताते हुए कहा की उनका समर्थन देने के कई वीडियो और ऑडियो हमारे पास उपलब्ध है. जिन-जिन लोगों ने हमारे साथ अन्याय या बेइज्जत करने का प्रयास किया है उनको उच्च न्यायालय से लेकर उच्चतम न्यायालय तक जवाब देना होगा.

बता दें की सावन के अंतिम सोमवार को विश्व हिंदू सेना द्वारा ज्ञानवापी में श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन के एलान के बाद जिला प्रशासन पूरी तरह सतर्क हो गई थी और . विश्व हिंदू सेना प्रमुख अरुण पाठक को 8 अगस्त को अस्सी घाट से गिरफ्तार कर लिया था. बता दें की किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर हेमांगी सखी ने भी कई गंभीर आरोप लगाए थे. रिहाई के बाद अरुण पाठक ने कहा की ज्ञानवापी को लेकर मेरा आंदोलन जारी रहेगा. हम बाला साहब ठाकरे के शिष्य है जो पुलिस की दमनात्मक कार्रवाई से नहीं डरते.

किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर ने लगाया था गंभीर आरोप


सावन के सोमवार में बतौर अतिथि आ रही किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर हेमांगी सखी ने पुलिस को दिए तहरीर में कहा था की वह अकेले आदि विशेश्वर का जलाभिषेक करना चाहती थी. लेकिन अरुण पाठक ने एक मित्र के माध्यम से संपर्क किया और अपने कार्यक्रम में अध्यक्षता करने को बुलाया. वह तैयार हो गई और वह अपनी जबलपुर की रहने वाली एक सहयोगी महिला के साथ छह अगस्त को ट्रेन पकड़ कर आई. जिसके बाद अरुण पाठक ने दोनो लोगों को ज्ञानपुर स्टेशन पर रोक दिया. जहां उसने गाड़ी भेजकर रिसिव करवाए और किसी अंजान स्थान पर रखें. जिसके बाद वहां अरुण पाठक अपने दस सहयोगियों के साथ पहुंचे और पुलिस द्वारा जलाभिषेक कार्यक्रम रोके जाने का हवाला दिया. जिसके बाद अरुण पाठक हेमांगी सखी और उनके अन्य सहयोगी को दुर्गावति कैमूर बिहार लेकर गए, जहां वह एक होटल में ठहरे. आरोप लगाया की बातचीत के दौरान अरुण ने कहा की आप अपने किन्नर समाज के लोगों को बुलाये, मैं जलाभिषेक कार्यक्रम रोके जाने पर विरोध प्रदर्शन करूंगा. जिससे की शहर का माहौल खराब होगा. हेमांगी सखी द्वारा इसका विरोध करने पर अरुण पाठक ने गाली गलौज किया. पुलिस ने तहरीर मिलने के बाद अरुण पाठक व एक अज्ञात के खिलाफ भेलूपुर पुलिस ने आईपीसी 342, 354, 504 और 506 में मुकदमा भी दर्ज किया है.

नौकरी दिलाने के लिए पैसे लेने का आरोप

प्रयागराज विश्वविद्यालय के विधि छात्र कौस्तुभ त्रिपाठी ने भी अरुण पाठक पर मुकदमा दर्ज करवाया है. कौस्तुभ त्रिपाठी का आरोप है की काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में स्नातक की पढ़ाई करते वक़्त वर्ष 2015 में काम की तलाश के दौरान उसकी मुलाकात अरुण पाठक से  हुई. आरोप है की काम करते समय कौस्तुभ त्रिपाठी को अरुण पाठक ने दो साल तक वेतन नही दिया. जिसका  दो साल का वेतन तीन लाख साठ हजार रुपये बकाया हो गया। इस बीच 2017 में अरुण पाठक ने ग्राम विकास में भर्ती की बात कह कर नौकरी लगवाने के लिए फार्म भरवाया. जिसके एवज में 5 लाख रुपये बता कर अपने पास बकाया वेतन के पैसा के आलावा और पैसा की मांग करने लगा. पीड़ित ने अपने पिता से पढ़ाई के नाम पर एक लाख तीन हजार रुपये लेकर दिया. अरुण ने पैसा लेने के बाद परीक्षा के एक हफ्ते पहले भर्ती में सेटिंग न होनी की बात बताया. और तत्कालीन रेल मंत्री मनोज सिंहा से बात कर रेलवे में नौकरी लगवाने का आश्वासन दिया. पैसा वापस मांगने पर अरुण पाठक झूठे मुकदमे और जान से मारने की धमकी देने लगा. कौस्तुभ त्रिपाठी की तहरीर पर अरुण पाठक के खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 420, 406, 506 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.