सुप्रीम आदेश: जिला जज अब करेंगे ज्ञानवापी प्रकरण की सुनवाई, कोर्ट ने रिपोर्ट लीक होने पर जताई आपत्ति...

सुप्रीम कोर्ट में आज शुक्रवार को ज्ञानवापी प्रकरण की तीसरी बार सुनवाई हुई. कोर्ट ने स्पष्ट किया की मामले को निचली अदालत में ही सुना जाना चाहिए, आपके लिए हमारे दरवाजे हमेशा के लिए खुले है. कोर्ट ने रिपोर्ट लीक होने की जानकारी पर कड़ी आपत्ति जताई.

सुप्रीम आदेश: जिला जज अब करेंगे ज्ञानवापी प्रकरण की सुनवाई, कोर्ट ने रिपोर्ट लीक होने पर जताई आपत्ति...

वाराणसी,भदैनी मिरर। ज्ञानवापी सर्वे को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने 51 मिनट तक हिंदू और मुस्लिम पक्ष के वकीलों की दलीलों को सुना। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा की मामला हमारे पास जरूर है, लेकिन इसकी सुनवाई जिला न्यायाधीश वाराणसी की कोर्ट में की जाएगी। जिला जज इस प्रकरण को अगले 8 हफ्तों में पूरी करें। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने अपने 17 मई की सुनवाई के निर्देश को अंतरिम आदेश तक लागू रखा है। 

कोर्ट ने कहा कि मामला जिला जज के पास भेजा जाए। उनके पास 25 साल का लंबा अनुभव है। इस मामले में सभी पक्षों के हित को सुनिश्चित किया जाएगा। कोर्ट ने दोनों पक्षों से कहा कि यह न समझा जाए कि हम मामले को निरस्त कर रहे हैं। आपके लिए आगे भी हमारे रास्ते खुले रहेंगे।

रिपोर्ट लीक पर जताई कड़ी आपत्ति

कोर्ट में हिंदू पक्षकार की ओर से सीनियर वकील वैद्यनाथन और मुस्लिम पक्ष की ओर से मस्जिद कमेटी के वकील हुजेफा अहमदी ने दलील दी। मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता ने कहा की चुन - चुनकर सर्वे की रिपोर्ट लीक की जा रही है। इससे माहौल खराब करने की कोशिश हो रही है। इस दलील पर कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताई और कहा की रिपोर्ट लीक होने के मामले को तत्काल रोका जाए। प्रेस को रिपोर्ट लीक न करें, कमीशन की रिपोर्ट जमा होने के बाद उसे सिर्फ जज ही खोलते है। अदालत ने कहा कि ये जटिल सामाजिक समस्याएं हैं और इंसान के तौर पर कोई भी समाधान सटीक नहीं हो सकता। हमारा आदेश कुछ हद तक शांति बनाए रखना है और हमारे अंतरिम आदेशों का उद्देश्य थोड़ी राहत देना है। हम देश में एकता की भावना को बनाए रखने के संयुक्त मिशन पर हैं। 

17 मई को सुप्रीम कोर्ट का यह था निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने अपने जिन 17 मई के आदेश को अगले 8 सप्ताह तक जारी रखने का निर्देश दिया है उनमें तीन प्रमुख हैं। 
पहला: सुप्रीम कोर्ट में जब हिंदू पक्ष ने शिवलिंग मिलने का दावा किया तो कोर्ट ने साफ कहा की शिवलिंग मिलने वाले स्थान को सुरक्षित किया जाए।उससे किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ न की जाए।
दूसरा: मुस्लिम पक्ष को नमाज पढ़ने से न रोका जाए, नमाजियों को किसी भी दशा में रोकना उचित नहीं।
तीसरा: लोवर कोर्ट द्वारा नमाजियों की संख्या निर्धारित करने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। कहा हम संख्या निर्धारित नहीं कर सकते। 

दूसरी बार सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मात्र 5 मिनट ही सुनवाई की। सुबह 11 बजकर 3 मिनट पर तीन जजों की बेंच ने सुनवाई शुरू की और 11 बजकर 8 मिनट पर सुनवाई खत्म कर दी थी। इसके बाद जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि निचली अदालत, यानी बनारस कोर्ट, जहां सुनवाई हो रही है, वो इस मामले पर कोई भी एक्शन लेने से बचे। साथ ही कोर्ट ने  अगले दिन तक इस मामले में सुनवाई टालने की बात कही थी।